सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि अगर कुछ लोगों को पराली जलाने के मामले में जेल भेजा जाए तो यह ‘सही संदेश जाएगा।’ सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के योगदान को अहम बताते हुए यह भी कहा कि किसान लोगों को भोजन उपलब्ध कराते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम पर्यावरण की सुरक्षा न करें।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने यह टिप्पणी अमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह की दलीलों को सुनने के दौरान की। अपराजिता सिंह ने किसानों द्वारा पराली जलाने के मुद्दे पर तर्क पेश किया। चीफ जस्टिस गवई ने पंजाब सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा से कहा, ‘अगर कुछ लोग जेल में जाएं तो इससे अच्छा मैसेज जाएगा। अगर आपका उद्देश्य वास्तव में पर्यावरण की सुरक्षा करना है तो किसानों के लिए सजा का कुछ प्रावधान क्यों नहीं हैं?’
यह भी पढ़ेंः 'आतंकी ने रो-रोकर बताया अपना हाल', ऑपरेशन सिंदूर पर क्या बोले PM?
पटाखों पर भी उठाया सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने यह बात दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से संबंधित एक मामले की सुनवाई में कही, जिसमें पटाखों और पराली बर्निंग दोनों शामिल हैं। सीजेआई ने यह भी बताया कि कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पराली का उपयोग बायोफ्यूल बनाने के लिए भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा, 'किसान विशेष हैं और हम उनके कारण ही भोजन कर रहे हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम पर्यावरण की रक्षा न करें।'
सीजेआई के ये बयान उस समय आए हैं जब उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर साल भर का प्रतिबंध लागू है, लेकिन इसे पूरे देश में लागू नहीं किया गया। उन्होंने कहा, 'अगर एनसीआर के नागरिकों को प्रदूषण-मुक्त हवा का अधिकार है, तो अन्य शहरों के लोगों का क्या? सिर्फ इसलिए कि यह राजधानी है और सुप्रीम कोर्ट यहीं है, इसका मतलब यह नहीं कि केवल इन्हें प्रदूषण-मुक्त हवा मिले।'
यह भी पढ़ें: '1 करोड़ इन्वेस्टमेंट है...', DUSU चुनाव में सिर्फ पैसा ही चलता है?
सर्दियों में बढ़ता प्रदूषण
हर साल सर्दियों की शुरुआत में दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। इसमें पटाखों के साथ-साथ पराली बर्निंग को भी प्रमुख कारण माना जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने पराली बर्निंग पर टिप्पणियों के अलावा बुधवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन से तीन महीने के भीतर सभी खाली पद भरने का निर्देश भी दिया। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, कोर्ट ने राज्यों को भी चेताया और उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब से तीन महीने में प्रदूषण बोर्ड के सभी पद भरने का आदेश दिया।