यूनेस्को में भारत के स्थायी शिष्टमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मस्थान वडनगर को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल करने नॉमिनेशन किया है। भारत के यूनेस्को के स्थायी राजदूत विशाल वी शर्मा ने कहा, 'लगभग 3,000 साल पुराने इतिहास के साथ, वडनगर प्राचीनता और धरोहर का खजाना है, जो 800/900 ईसा पूर्व से चला आ रहा है। इस खास मौके पर हम प्रधानमंत्री को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हैं।' यह नामांकन भारत की उस कोशिश का हिस्सा है, जिसमें वह अपने ऐतिहासिक स्थानों को विश्व धरोहर सूची में शामिल करवाना चाहता है।
यह नामांकन यूनेस्को की दो-चरण प्रक्रिया का पहला कदम है। नॉमिनेशन करना यूनेस्को में शामिल होने की दो चरण की प्रक्रिया में से पहला चरण है। वर्ल्ड हेरिटेज साइट की गाइडलाइन्स के मुताबिक पहले चरण में इस बात पर विचार किया जाता है कि क्या कोई साइट वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल होने लायक है या नहीं। इसके बाद ही किसी साइट को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किया जाता है।
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भारत की 69 साइटें यूनेस्को की अस्थायी सूची में हैं, जिनमें से कई साइट्स वर्षों से मूल्यांकन की प्रतीक्षा में हैं। इनमें पश्चिम बंगाल के बिष्णुपुर के मंदिर (1998), केरल का मट्टनचेरी पैलेस (1998), कर्नाटक के होयसला मंदिर (2023), जम्मू-कश्मीर के मुगल गार्डन (2010) और लद्दाख के प्राचीन बौद्ध स्थल (2014) शामिल हैं।
वडनगर का इतिहास
मेहसाना जिले में स्थित वडनगर में लगभग 2,700 सालों से लगातार बस्ती रही है। गुजरात के पुरातत्व निदेशालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की खुदाई में यहां सात सांस्कृतिक काल मिले हैं, जो दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 19वीं शताब्दी तक के हैं। वडनगर एक किलेबंद बस्ती, व्यापारिक केंद्र, धार्मिक स्थल और प्राचीन व्यापार मार्गों का जंक्शन रहा है।
वडनगर दो प्रमुख प्राचीन व्यापार मार्गों के बीच में था। एक मार्ग मध्य भारत को सिंध और उत्तर-पश्चिम से जोड़ता था, और दूसरा गुजरात के बंदरगाहों को उत्तरी भारत से। खुदाई में मिले अवशेषों में मेसोपोटामिया के टॉरपीडो जार, रोमन सिक्कों की छाप, ग्रीको-भारतीय सिक्कों का सांचा, 15वीं शताब्दी के ममलूक सोने के सिक्के और हजारों शंख की चूड़ियां शामिल हैं। नॉमिनेशन में कहा गया है, 'मालदीव से मिले कौड़ी के गोले और इंडो-पैसिफिक मोती वडनगर की लंबी दूरी के व्यापार में भूमिका को दर्शाते हैं।'
वडनगर की खासियत
शर्मिष्ठा झील के किनारे बसा वडनगर अपने मध्यकालीन किलों और द्वारों को आज भी संजोए हुए है। यहां बौद्ध मठ, स्तूप और औद्योगिक क्षेत्रों के अवशेष भी मिले हैं। वडनगर की शहरी योजना और जल प्रबंधन भी अनूठा है। तीन किलोमीटर के दायरे में 36 आपस में जुड़े टैंक और जलाशय हैं, जो इसकी निरंतरता का आधार रहे। घरों को छाया, रोशनी और ठंडक देने के लिए डिज़ाइन किया गया था, और शहर की संरचना पैदल चलने वालों के लिए उपयुक्त थी।
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वडनगर की तुलना भारत के मथुरा, उज्जैन, पटना और वाराणसी जैसे ऐतिहासिक शहरों के साथ-साथ ईरान के मसूलेह, चीन के क्वानझोउ, तुर्की के बेपज़ारी और मिस्र के सिकंदरिया जैसे अंतरराष्ट्रीय स्थानों से की गई है। यह एकमात्र ऐसा ऐतिहासिक स्थान है जो आज भी बस्ती के रूप में जीवित है और अपनी ऐतिहासिक संरचना व सांस्कृतिक प्रथाओं को बनाए रखे हुए है।