प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के लिए एक बड़ा बदलाव हो चुका है। अब इसका नया परिसर 'सेवा तीर्थ' के नाम से जाना जाएगा। जल्द ही पीएमओ को साउथ ब्लॉक में स्थित अपनी पुरानी इमारत से इस आधुनिक नई बिल्डिंग में शिफ्ट कर दिया जाएगा। इसके साथ ही, पूरे देश में राज्यपालों के आधिकारिक निवास और कार्यालयों को 'राजभवन' या 'राज निवास' के बजाय 'लोकभवन' या 'लोक निवास' कहा जाएगा। यह बदलाव केंद्रीय गृह मंत्रालय के 25 नवंबर 2025 को जारी निर्देश के बाद लागू हो रहा है, जो औपनिवेशिक काल के अवशेषों को मिटाने और जन-केंद्रित शासन को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है।
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यालय इस ऐतिहासिक परिवर्तन के लिए पूरी तरह तैयार है। दशकों से साउथ ब्लॉक में स्थित पीएमओ को अब 'सेवा तीर्थ' नाम के इस नए कॉम्प्लेक्स में ले जाया जा रहा है, जो सत्ता से सेवा की भावना को दिखाता है। माना जा रहा है कि एक तरह का सेवा के प्रति संदेश देने को कोशिश है जो सार्वजनिक संस्थाओं में जनसेवा की भावना को स्थापित करने का प्रयास है।’
यह भी पढ़ें: ट्रंप के टैरिफ के बावजूद भारत की इकॉनमी पर क्यों नहीं दिखा असर?
सेवा तीर्थ के कई ब्लॉक
यह नया कॉमप्लेक्स सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सरकारी कार्यों में को-ऑर्डिनेशन को सरल बनाना है। इससे कई महत्वपूर्ण कार्यालय एक ही छत के नीचे आ जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक, पीएमओ को 'सेवा तीर्थ-1' में शिफ्ट किया जाएगा, जो वायु भवन के निकट एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव-1 में बनी तीन नई इमारतों में से एक है। बाकी दो इमारतें—'सेवा तीर्थ-2' और 'सेवा तीर्थ-3', कैबिनेट सचिवालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के कार्यालयों के लिए रिजर्व होंगी।
पहले शुरू हो चुकी शिफ्टिंग
शिफ्ट करने का काम पहले से ही शुरू हो चुका है। उदाहरण के तौर पर, 14 अक्टूबर 2025 को कैबिनेट सचिव टी.वी. सोमनाथन ने 'सेवा तीर्थ-2' में रक्षा प्रमुख और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की थी।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने स्पष्ट किया कि यह निर्देश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राज्यपालों या उपराज्यपालों के कार्यालयों के लिए भी निर्देश है कि 'राजभवन' को 'लोकभवन' और 'राज निवास' को 'लोक निवास' नाम देकर औपनिवेशिक शब्दावली को हटाया जा रहा है, ताकि ये संस्थाएं जनता और जनभावना के करीब लगें।
यह भी पढ़ें: अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारत की रिकॉर्ड तोड़ ग्रोथ रेट, क्या है वजह?
यह पहल सरकार की व्यापक योजना का हिस्सा है, जिसमें कर्तव्य पथ (पहले राजपथ) सहित सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव डिस्ट्रिक्ट का फिर से गठन किया जा रहा है। तीन किलोमीटर लंबे इस मार्ग को पैदल यात्रियों के अनुकूल और इंटीग्रेटेड एकीकृत सरकारी क्षेत्र में बदलने का काम चल रहा है। इसका प्रमुख आधार 'कर्तव्य भवन' नाम का एकीकृत केंद्रीय सचिवालय का निर्माण है, जिसमें 10 नई इमारतें हैं। ये पुरानी इमारतों जैसे शास्त्री भवन, निर्माण भवन और कृषि भवन से बिखरे मंत्रालयों को एकत्रित करने के लिए बनाई गई हैं, जिससे प्रशासन अधिक कुशल बने।