logo

ट्रेंडिंग:

सिर्फ नेमप्लेट के लिए 12 करोड़, हर काम का उद्घाटन कर रहे AAP नेता

पंजाब में लगभग दो महीने तक चलने वाली 'सिख्य क्रांति' 31 मई तक चलेगी। इस अभियान की शुरुआत में ही यह विपक्ष के निशाने पर है और विपक्ष ने इसे 'उद्घाटन क्रांति' का नाम दिया है।

bhagwant mann during innaguration

उद्गाटन करते CM भगवंत मान और अन्य नेता, Photo Credit: AAP

दिल्ली का विधानसभा चुनाव हारने के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) का पूरा ध्यान अब पंजाब पर है। कुछ नीतियां ऐसी हैं जो पहले दिल्ली में लागू हुई थीं और उन्हें पंजाब में भी दोहराया जा रहा है। दिल्ली चुनाव के बाद से पंजाब में 'ऐक्शन मोड' में चलने का दावा कर रही पंजाब सरकार अपने प्रचार पर भी विशेष ध्यान दे रही है। अब यह भी सामने आया है कि पंजाब में किसी भी तरह के काम को लेकर नेमप्लेट लगवाने का फरमान जारी कर दिया गया है। कहा गया है कि अगर स्कूलों में कोई रिपेयरिंग का काम भी करवाया जाए तो उसके उद्गाटन के लिए नेमप्लेट लगवाई जाए। इस काम के लिए भारी भरकम बजट भी रखा गया है। यही वजह है कि विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने AAP पर निशाना साधते हुए कहा है कि पंजाब में 'उद्घाटन क्रांति' की जा रही है।

 

AAP में हुए कुछ बदलावों के तहत मनीष सिसोदिया को पंजाब का प्रभारी और सत्येंद्र जैन को सह प्रभारी नियुक्त किया गया है। पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल खुद भी पंजाब के कई सरकारी और राजनीतिक कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं। इसको लेकर भी विपक्ष की ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं। हालांकि, AAP का पूरा फोकस अपने उन वादों को पूरा करने को लेकर है जिनके दम पर वह सत्ता में आई थी। पार्टी की ओर से पूरी कोशिश की जा रही है कि इस तरह के कामों के बारे में प्रचार-प्रसार भी अच्छे से हो।

 

यह भी पढ़ें- '10 हजार लोग बिठा दूंगा और...', वक्फ कानून पर बंगाल के मंत्री की धमकी

पंजाब में क्या हो रहा है?

 

हाल ही में पंजाब की भगवंत मान सरकार ने 54 दिनों तक चलने वाली 'सिख्य क्रांति' शुरू की है। यह अभियान 31 मई तक चलेगा जिसके तहत प्रदेश के 12 हजार सरकारी स्कूलों में 2000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किए जा रहे छोटे और बड़े प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया जाएगा। असल में हो यह रहा है कि स्कूलों में हर छोटे-बड़े काम के लिए नेमप्लेट लगवाई जा रही हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उद्घाटनों के इस अभियान के लिए ही 20 करोड़ का बजट रखा गया है जिसमें 12 करोड़ रुपये तो सिर्फ नेमप्लेट पर ही खर्च किए जाने हैं। बाकी के पैसे कार्यक्रमों के आयोजन और अन्य कार्यों पर खर्च किए जाएंगे।

 

स्कूल में CM भगवंत मान के साथ मनीष सिसोदिया, Photo Credit: AAP

 

 

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी इस रिपोर्ट में लिखा है कि अगर किसी स्कूल में रेनोवेशन का काम हो रहा है, कहीं फर्श की टाइल्स बदली जा रही हैं, बाउंड्री ठीक कराई जा रही है, टॉयलट रिपेयर किए जा रहे हैं या नए बनाए जा रहे हैं तो ऐसे कामों के लिए भी नेमप्लेट लगाने को कहा गया है। ऐसा करने के पीछे का मकसद यह बताना है कि AAP सरकार शिक्षा को बहुत अहमियत दे रही है।

 

यह भी पढ़ें- वे 9 चेहरे जिन्होंने पाकिस्तान से बैठकर की मुंबई हमले की प्लानिंग

रिपेयरिंग तक के लिए लगा दी नेमप्लेट

 

इसके बारे में पंजाब के शिक्षा सचिव की ओर से आदेश जारी करके कहा गया है कि रिपेयरिंग से जुड़े कामों के लिए भी अलग-अलग नेमप्लेट लगाई जाएं। कहा गया है कि यह नेमप्लेट ग्रेनाइट की होनी चाहिए और नेमप्लेट पर मुख्यमंत्री भगवंत मान, शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस और स्थानीय विधायक का नाम होना चाहिए। रोचक बात यह है कि इसके लिए अभी पैसे जारी नहीं किए गए हैं और स्कूल के स्टाफ या शिक्षकों को अपनी जेब से ये पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।

 

उद्गाटन के लिए लगी नेमप्लेट पर मनीष सिसोदिया का नाम

 

 

इस सबके चलते हर स्कूल में लगभग चार-पांच नेमप्लेट देखने को मिल रही हैं। AAP के विधायक और मंत्री अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों के स्कूलों में जा रहे हैं और उनके आने-जाने का इंतजाम किया जा रहा है। साथ ही, इन कामों की मीडिया कवरेज भी सुनिश्चित की जा रही है। यही वजह है कि अब यह मामला विपक्ष के निशाने पर भी आ गया है। बीजेपी ने कहा है कि यह 'पंजाब सिख्य क्रांति' नहीं 'उद्घाटन क्रांति' हो रही है।

BJP ने पूछा- पैसे कहां से आ रहे?

 

पंजाब बीजेपी के महासचिव अनिल सरीन ने AAP को घेरते हुए कहा, 'AAP के विधायक लाभ सिंह उगोके ने एक सरकार सीनियर सेकेंड्री स्कूल में टॉयलेट की रिपेयरिंग तक का उद्घाटन कर दिया। उद्गाटन के लिए लगी नेमप्लेट पर भी यही लिखा है। यह कैसी क्रांति है?' अनिल सरीन ने  कहा कि केंद्र सरकार ने पंजाब को 'समग्र शिक्षा अभियान' के तहत फंड दिया है ताकि स्कूलों के मूलभूत ढांचे को मजबूत किया जा सके, नए स्कूल खोले जा सकें और स्मार्ट क्लासेज बनाई जा सकीं। यही वजह है कि अनिल सरीन ने कहा है कि भगवंत मान और हरजोत सिंह बैंस यह बताएं कि सरकारी स्कूलों के लिए ये पैसे कहां से आ रहे हैं।

 

यह भी पढ़ें- मंदिर के पुजारी ने रची थी पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी की हत्या की साजिश?

 

एक रोचक बात यह है कि दिल्ली चुनाव में हार चुके AAP नेता भी अब पंजाब में सक्रिय दिख रहे हैं। यही वजह है कि विपक्ष ने इस पर सवाल भी पूछे हैं। जिस दिन यह अभियान शुरू किया गया उसी दिन नावनशहर में एक 'स्कूल ऑफ एमिनेंस' का उद्घाटन किया गया। इसके उद्घाटन में मनीष सिसोदिया भी शामिल हुए और उनका नाम भी नेमप्लेट पर लिखा गया है। अनिल सरीन ने इसको लेकर भी सवाल पूछे हैं। उन्होंने कहा, 'किस हैसियत के हिसाब से नेमप्लेट पर मनीष सिसोदिया का नाम लिखा गया है।'

 

 

फिलहाल AAP की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने भी एक ट्वीट करके मनीष सिसोदिया का नाम नेमप्लेट पर लिखे जाने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने दो तस्वीरें पोस्ट करके लिखा है, 'यह बात सबको पता है कि पंजाब सरकार दिल्ली के रिमोट कंट्रोल से चल रही है लेकिन इस तरह सीधे-सीधे सरकारी कामों में दखल देकर सांविधान का अपमान किया जा रहा है। एक चुने हुए सांसद को ऐसे बेइज्जत करके दिल्ली में हारे नेताओं को आगे किया जा रहा है। ये बहुत ग़लत बात है…!!'

AAP और विज्ञापन

 

AAP इससे पहले दिल्ली में भी विज्ञापनों को लेकर आलोचना का शिकार होती रही है। कई बार योजनाओं के लिए पैसे न होने की बात कहने वाली पूर्व AAP सरकार को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने भी सवाल उठाए थे। जनवरी 2021 में जब एमसीडी कर्मचारियों की सैलरी न दिए जाने का मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा था तब हाई कोर्ट ने टिप्पणी की थी, 'आपके पास विज्ञापन पर खर्च करने के लिए पैसा है लेकिन एमसीडी के गरीब कर्मचारियों को देने के लिए नहीं है।'

 

ऐसा ही एक मामला साल 2023 में भी आया। दिल्ली सरकार ने दिल्ली से मेरठ के बीच बनाई जा रही RRTS परियोजना के लिए पैसे दे पाने में असमर्थता व्यक्त की थी। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। तब सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्त टिप्पणी की थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, 'दिल्ली सरकार ने कॉमन प्रोजेक्ट के लिए फंड देने में असमर्थता जताई है। इस प्रोजेक्ट में पैसे की कमी एक बाधआ इसलिए हम दिल्ली सरकार को कहते हैं कि वह एक एफिडेविट दाखिल करके बताए कि विज्ञापन पर कितने पैसे खर्च किए गए हैं।' इन दोनों ही मामलों के वक्त दिल्ली में AAP की ही सरकार थी। साल 2022 में RTI के तहत मिले जवाबों के जरिए यह पता चला था कि दिल्ली सरकार ने 2021-22 में ही विज्ञापन पर 488.97 करोड़ रुपये खर्च कर दिए थे।

शिक्षा के मामले में पंजाब की स्थिति

 

एनुएल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ASER)-2024 के मुताबिक, पंजाब में शिक्षा की स्थिति यह है कि कक्षा 1 के 17 पर्सेंट बच्चे 1 से 9 तक की गिनती भी नहीं पहचान पाते। इस सर्वे के लिए कुल 582 स्कूलों में जांच की गई जिसमें बता चला कि 30 पर्सेंट स्कूलों में शिक्षकों और बच्चों का अनुपात मानक के मुताबिक नहीं है। हालांकि, 2022 की तुलना में इसमें कुछ पर्सेंट का सुधार जरूरी है। 21 पर्सेंट स्कूल ऐसे हैं जहां क्लासरूम और टीचर का अनुपात सही नहीं है। 

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap