logo

ट्रेंडिंग:

कहीं बाढ़, कहीं लैंडस्लाइड; हर दिन कितने पेड़ काट दे रहे हैं हम?

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब-हिमाचल में बाढ़ को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि पेड़ों की अवैध कटाई के कारण ऐसी आपदाएं हो रहीं हैं। ऐसे में जानते हैं कि भारत में हर रोज कितने पेड़ कट रहे हैं।

floods in india

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड समेत कई राज्यों में कुदरत का कहर देखने को मिल रहा है। कभी बादल फट रहे हैं। कभी लैंडस्लाइड हो रहा है। तो कभी इतनी बारिश हो रही है कि बाढ़ आ जा रही है। हर तरफ नदियां उफान पर हैं। ऐसे में मन में सवाल यही आता है कि इस बार मौसम इतना खतरनाक क्यों होता जा रहा है? ऐसे हालातों पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा है कि पेड़ों की अवैध कटाई से ऐसी आपदाएं आ रहीं हैं। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रकृति में दखल दिया और अब वह जवाब दे रही है।


सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी बाढ़ और लैंडस्लाइड की घटनाओं की जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए की। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है, इसलिए आपदाएं आ रहीं हैं। 


अदालत ने केंद्र सरकार, नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA), नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) औ हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर की सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। 

अदालत में क्या-क्या हुआ?

  • याचिका किसने दी?: यह याचिका अनामिक राणा ने दाखिल की थी। उन्होंने पेड़ों की कटाई और अनियमित विकास का मुद्दा उठाया था। उन्होंने अपनी याचिका में लैंडस्लाइड और अचानक बाढ़ के कारणों की जांच की मांग की थी।
  • सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?: चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा, 'हमने उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में लैंडस्लाइड और बाढ़ की तस्वीरें देखी हैं। हम पंजाब की तस्वीरें देख रहे है। पूरे के पूरे खेत और गांव उजड़ गए हैं। विकास को संतुलित करना होगा।'
  • केंद्र सरकार ने क्या कहा?: सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 'हमने कुदरत के साथ बहुत छेड़छाड़ की है और अब कुदरत पलटवार कर रही है।' उन्होंने कोर्ट को बताया कि इसे लेकर वह तत्काल पर्यावरण मंत्रालय के सचिव और राज्यों के मुख्य सचिव से बात करेंगे।

यह भी पढ़ें-- पंजाब से हिमाचल तक बाढ़ से बेहाल, भीषण तबाही, कहां क्या है हाल?

 

कितने पेड़ काटे जा रहे हैं?

पेड़ों की कटाई को लेकर कोई ताजा सरकारी आंकड़ा मौजूद नहीं है। हालांकि, पेड़ों की कटाई को लेकर संसद में समय-समय पर सवाल जरूर पूछे गए हैं, जिनके जवाब में सरकार ने कुछ आंकड़े रखे थे।


लोकसभा में केंद्र सरकार ने एक सवाल के जवाब में बताया था कि 2016 से 2019 के बीच 76 लाख से ज्यादा पेड़ काटे गए थे। पेड़ काटने के लिए वन संरक्षण अधिनियम (FCA) के तहत अनुमति मांगी गई थी। 


मार्च 2022 में सरकार ने लोकसभा में बताया था कि 2020-21 में 30.97 लाख पेड़ों को काटने की अनुमति मांगी गई थी। सबसे ज्यादा 16.40 लाख पेड़ मध्य प्रदेश में काटे गए थे। अगर कहीं पेड़ काटे जाते हैं तो नियमों के तहत दूसरी जगह पेड़ लगाना भी पड़ता है। सरकार ने बताया था कि 2020-21 में 3.64 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाए गए थे, जिस पर 359 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।


अगर 2020-21 के आंकड़े ही देखें जाएं तो अनुमान लगाया जा सकता है कि हर दिन औसतन 8,487 पेड़ों का काटा गया।


एक बात यह भी कि यह पेड़ FCA के तहत अनुमति मांगकर काटे गए। अलग-अलग राज्यों में वहां के कानून के हिसाब से भी पेड़ काटे जाते हैं, जिनका केंद्रीय स्तर पर कोई हिसाब-किताब नहीं है।

 

यह भी पढ़ें-- ग्राउंड रिपोर्ट: पंजाब-हरियाणा और हिमाचल में कितनी तबाही, हालात कैसे?

 

क्या अंधाधुंध हो रही है कटाई?

पिछले साल ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच (GFW) की एक रिपोर्ट आई थी। इसमें दावा किया गया था कि भारत में 2000 से लेकर 2022 के बीच 23 लाख हेक्टेयर से ज्यादा का ट्री कवर एरिया कम हो गया है। इसका मतलब हुआ कि 22 साल में भारत की 23 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर पेड़ खत्म हो गए।


इस रिपोर्ट में बताया गया था कि 2017 में 1.89 लाख हेक्टेयर, 2016 में 1.75 लाख हेक्टेयर और 2023 में 1.44 लाख हेक्टेयर जमीन पर पेड़ खत्म हो गए थे। 


हालांकि, सरकारी रिपोर्ट कुछ और ही बताती है। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 तक भारत में कुल 8.27 लाख वर्ग किलोमीटर जमीन पर जंगल और पेड़ थे। यह भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 25.17 फीसदी है। इसका मतलब हुआ कि भारत की 25 फीसदी जमीन पर जंगल या पेड़ हैं।


रिपोर्ट में बताया गया था कि 2023 तक भारत की कुल 7,15,343 वर्ग किमी जमीन पर जंगल थे। जंगलों के अलावा 1,12,014 वर्ग किमी जमीन पर पेड़ थे। 2021 की तुलना में जंगल वाली जमीन 1,554 वर्ग किमी और पेड़ वाली जमीन 16,266 वर्ग किमी बढ़ गई थी।

 

यह भी पढ़ें-- भारत, पाकिस्तान और नेपाल में क्यों बढ़ रहीं बादल फटने की घटनाएं?

जंगल-पेड़ जितने होने चाहिए, उतने नहीं हैं

इस रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा जंगल वाली जमीन मध्य प्रदेश में है। मध्य प्रदेश की कुल 77,073 वर्ग किमी जमीन पर जमीन है। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश है, जहां की 65,882 वर्ग किमी जमीन पर जंगल बसे हैं। तीसरे नंबर पर छत्तीसगढ़ है, जहां 55,812 वर्ग किमी जमीन पर जंगल हैं। राजधानी दिल्ली की महज 195 वर्ग किमी जमीन पर ही जंगल हैं। 


इसी तरह, क्षेत्रफल के लिहाज से उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है। यहां का कुल क्षेत्र 2.40 लाख वर्ग किमी है लेकिन यहां की 15,045 वर्ग किमी पर ही जंगलों की बसाहट है।


हालांकि, यह तय मानक से भी कम है। 1988 की नेशनल फॉरेस्ट पॉलिसी के मुताबिक, भारत के कुल क्षेत्र का एक तिहाई यानी 33% जमीन पर जंगल या पेड़ होने चाहिए। अभी भारत के कुल क्षेत्रफल के 25 फीसदी जमीन पर ही जंगल और पेड़ हैं। इसी तरह से पहाड़ी इलाकों में कम से कम दो तिहाई यानी 66% क्षेत्रफल पर जंगल या पेड़ होना चाहिए लेकिन यहां भी तय मानक से काफी पीछे हैं। 

 

देश के कुल 17 राज्यों के 172 जिले ऐसे हैं जो पहाड़ी इलाकों में आते हैं। इन जिलों का कुल क्षेत्रफल 7.04 लाख वर्ग किमी है लेकिन यहां की 2,83,713 वर्ग किमी जमीन पर ही जंगल और पेड़ हैं। यानी, कुल क्षेत्रफल का लगभग 40 फीसदी।

Related Topic:#supreme court

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap