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3000 की क्षमता, 25 हजार भक्त पहुंचे, मंदिर में भगदड़ के पीछे कई खामियां

श्रीकाकुलम के कासीबुग्गा वेंकटेश्वर मंदिर में हुई भगदड़ मामले में कई खामियां सामने आई है। मंदिर में एक प्रवेश द्वार था। भक्तों के लिए बनाया गया गलियारा भी बेहद सकरा था। इसके अलावा पूरे आयोजन की जानकारी सरकार को नहीं थी।

enkateswara Temple stampede.

भगदड़ मामले में कई खामिया आई सामने। (Photo Credit: Social Media)

आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में हुई भगदड़ में आठ महिलाओं समेत 9 लोगों की मौत हुई है। कई अन्य लोग घायल हैं। प्रशासन के मुताबिक मंदिर में भगदड़ सुबह करीब साढ़े 11 बजे हुई है। अभी तक की जांच में सामने आया है कि मंदिर की रेलिंग टूटने के कारण यह घटना हुई। यहां हर शनिवार को भक्तों की भीड़ उमड़ती है। मगर इस शनिवार को एकादशी के कारण भीड़ अधिक हो गई।

 

आंध्र प्रदेश सरकार का कहना है कि कासीबुग्गा वेंकटेश्वर मंदिर सरकार के अधीन नहीं है। यह एक निजी मंदिर है। श्रीकाकुलम के पुलिस अधीक्षक केवी महेश्वर रेड्डी ने कहा कि हादसा मालिक की गलती से हुआ है। उसने आयोजन की जानकारी पुलिस को नहीं दी। न ही इसकी अनुमति ली। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मंदिर में एक ही प्रवेश द्वार है। इस वजह से भगदड़ जैसी स्थिति और विकराल हो गई।

 

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मंदिर में कैसे हुआ इतना बड़ा हादसा?

आंध्र प्रदेश सरकार के मुताबिक श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर का निर्माण हरिमुकुंद पंडा नाम के शख्स ने कराया है। चार महीने पहले ही यह मंदिर भक्तों के लिए खोला गया। निजी मंदिर होने के कारण यह न तो सरकारी प्रबंधन के अधीन है और न ही धर्मस्व विभाग का नियंत्रण है। मंदिर करीब 12 एकड़ जमीन पर बना है। इसकी क्षमता 2000 से 3000 हजार लोगों की है, लेकिन शनिवार को एकादशी होने की वजह से करीब 25 हजार श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। मंदिर के मालिक ने कोई उचित व्यवस्था नहीं की थी। न ही आयोजन की जानकारी सरकार को दी गई। यही हादसे की वजह बना। 

 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मंदिर तक महिलाओं को लाने के लिए मुफ्त बस सेवा भी चलाई गई। इससे मंदिर में क्षमता से कई गुना भीड़ जमा हो गई। अगर आयोजन की जानकारी पुलिस या सरकार को दी जाती तो भीड़ प्रबंधन करने में मदद मिल सकती थी।  सीएम चंद्रबाबू नायडू ने भी इसी बात का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस को पहले से जानकारी दी जाती  तो वे भीड़ प्रबंधन की योजना बना सकते थे।

 

बता दें कि श्रीकाकुलम जिले में बना श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर तिरुमला के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है। यही कारण है कि इसे 'चिन्ना तिरुपति' का जाता है। जिसका मतलब 'छोटा तिरुपति' होता है। 

 

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गृह मंत्री ने कहा- दो हजार लोग रोज आते हैं 

आंध्र प्रदेश की गृह मंत्री वंगालापुडी अनीता का कहना है कि मंदिर पहली मंजिल में ऊंचाई पर स्थित है। श्रद्धालुओं के सीढ़ी पर चढ़ते वक्त रेलिंग टूट गई। इस वजह से एक कोने पर खड़े लोग कुछ अन्य लोगों पर गिर पड़े। उन्होंने आगे कहा कि कासीबुग्गा वेंकटेश्वर मंदिर में हर शनिवार को 1,500 से 2,000 भक्तों का आना आम बात है। मगर इस शनिवार को कार्तिक मास के साथ एकादशी होने की वजह से मंदिर में भारी भीड़ उमड़ने से यह हादसा हुआ है। गृह मंत्री का कहना है कि पांच लोग घायल हैं। वहीं मृतकों में सात लोगों की उम्र 35-40 वर्ष के बीच है।

पुलिस अधीक्षक बोले- भगदड़ नहीं, यह हादसा है

श्रीकाकुलम के पुलिस अधीक्षक केवी महेश्वर रेड्डी ने बताया कि हादसे में नौ लोगों की जान गई है। एक अन्य व्यक्ति गंभीर घायल है। उसकी मौत नहीं हुई है। मृतकों में एक 12 वर्षीय बच्चा और बाकी महिलाएं हैं। उन्होंने कहा कि यह कोई सरकारी मंदिर नहीं था। इसका कुछ दिन पहले ही निर्माण कराया गया है। यह एक निजी मंदिर था। पुलिस अधीक्षक ने घटना को भगदड़ मानने से ही मना कर दिया। उनका दावा है कि यह हादसा सीढ़ियों के पास लगी लोहे की ग्रिल के गिरने से हुआ है। लोगों को लगा कि कुछ गिर रहा है। इससे वह डर गए, क्योंकि वह करीब छह फुट की ऊंचाई से गिरे। भगदड़ जैसी कोई स्थिति नहीं थी। एक व्यक्ति दूसरे पर गिर गया। इस वजह से यह हादसा हुआ है। यह पूरी तरह से एक दुर्घटना है।


आंध्र प्रदेश के सीएम एन चंद्रबाबू नायडू ने भी घटना पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा, 'श्रीकाकुलम जिले के काशीबुग्गा वेंकटेश्वर मंदिर में हुई भगदड़ ने मुझे व्यथित कर दिया। दुखद हादसे में श्रद्धालुओं की मौत बेहद दुखद है। मैं पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।'

 

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