अमेरिका ने भारतीय सामान पर 50 फीसद का टैरिफ लगाया है। इनमें 25 फीसदी रेसिप्रोकल टैरिफ है और बाकी 25 प्रतिशत रूसी तेल खरीदना पर लगाया गया है। इस बीच थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने भारत को तीन सुझाव दिए हैं। उसका मानना है कि इससे भारत को थोड़ी राहत मिल सकती है। थिंक टैंक ने कहा कि भारत को रूसी तेल आयात बंद करना चाहिए। इसके बाद रूसी तेल की वजह से लगे टैरिफ को हटाने का दबाव अमेरिका पर बनाना होगा। अगर टैरिफ हटाया जाता है तो भारत को व्यापार वार्ता के अगले चरण की बातचीत संतुलित शर्तों के साथ शुरू करनी चाहिए।
पहला उपाय: अमेरिका ने हाल ही में रोसनेफ्ट और लुकोइल समेत रूस की 30 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है। रोसनेफ्ट का भारत में बड़ा निवेश है। भारत की कंपनियां रोसनेफ्ट से तेल भी खरीदती हैं। थिंक टैंक जीटीआरआई ने पहला सुझाव दिया कि भारत को सबसे पहले प्रतिबंधित रूसी कंपनियों से तेल खरीदना बंद करना होगा। इससे वह अमेरिका के द्वितीयक प्रतिबंधों से बच सकेगा।
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दूसरा उपाय: टीटीआरआई ने दूसरा सुझाव दिया कि जब भारत पूरी तरह से रूसी तेल खरीदना बंद कर तो उसके बाद अमेरिका से बात करे। उस पर 25 फीसद टैरिफ हटाने की मांग करे। यह टैरिफ अमेरिका ने रूसी तेल खरीदने के कारण ही भारत पर लगाया था। अगर अमेरिका टैरिफ हटाता है तो भारत पर लगा मौजूदा 50 फीसद टैरिफ घटकर 25 फीसदी हो जाएगी। इससे अमेरिका को होने वाले निर्यात में सुधार आएगा।
तीसरा उपाय: थिंक टैक ने कहा कि जब टैरिफ सामान्य स्तर पर लौट आए, तभी भारत व्यापार वार्ता पर दोबारा बातचीत संतुलित और निष्पक्ष तरीके से करे। उसने यह भी कहा कि भारत का फोकस टैरिफ को 15 फीसद तक लाने पर होना चाहिए। अपने निर्यात के प्रमुख क्षेत्र जैसे ज्वैलरी, फार्मास्यूटिकल्स और कपड़े को टैरिफ से बाहर रखने की पूरी कोशिश करनी चाहिए।
अमेरिका ने भारत पर कब लगाया अतिरिक्ट टैरिफ?
अमेरिका ने भारत पर 31 जुलाई को 25 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाया था। यह टैरिफ रूसी तेल खरीदने की वजह से लगाया गया था। अमेरिका का आरोप था कि भारत तेल खरीदकर रूसी युद्ध मशीनरी को धन मुहैया करा रहा है। टैरिफ का असर यह हुआ कि मई से सितंबर के बीच भारत का अमेरिका को निर्यात करीब 37 फीसद गिर गया।
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रूसी कंपनियों पर प्रतिबंध से भारत को क्या खतरा?
22 अक्टूबर को अमेरिका ने रूसी कंपनी रोसनेफ्ट और लुकोइल समेत इनकी 30 सहयोगी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया। यह कंपनियां रूस का करीब 57 फीसद कच्चा तेल का उत्पादन करती हैं। भारत भी इन्हीं कंपनियों से बड़ी मात्रा में तेल खरीदता है। इसके अलावा भारत की नायरा एनर्जी में रोसनेफ्ट का करीब 49 फीसद की हिस्सेदारी भी है। इस वजह से भारत पर द्वितीयक प्रतिबंध का खतरा था।
द्वितीयक प्रतिबंध क्यों खतरनाक?
जीटीआरआई ने अपने सुझाव में कहा कि अगर भारत रूसी कंपनियों से तेल खरीदना बंद नहीं करता है तो उस पर द्वितीयक प्रतिबंध लग सकते हैं। यह टैरिफ से भी अधिक खतरनाक होंगे। इसका असर यह होगा कि भारत डॉलर भुगतान, स्विफ्ट एक्सेस समेत अन्य डिजिटल सिस्टम से बाहर हो सकता है। इससे उसकी रिफाइनरियों, बंदरगाहों और बैंकों का ऑपरेशन बंद हो सकता है।