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संत से लेकर सेक्स वर्कर तक SIR से परेशान, क्या हैं बड़ी समस्याएं?

देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR प्रक्रिया जारी है। इस बीच सेक्स वर्कर और साधु संतों को वोटर लिस्ट में नाम शामिल करवाने के लिए दस्तावेज इकट्ठा करने में दिक्कत हो रही है।

SIR West Bengal

SIR सांकेतिक तस्वीर, Photo Credit: PTI

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चुनाव आयोग देशभर में मतदाता सूची को लेकर स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान चला रहा है। इस अभियान को लेकर कई वर्गों के लोग चिंता में हैं। पश्चिम बंगाल में इस प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक बवाल भी मचा हुआ है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी खुलकर इसका विरोध कर रही है। देश के कई नागरिक ऐसे भी हैं जिनके पास चुनाव आयोग की ओर से मांगे गए दस्तावेज नहीं हैं। प्रवासी लोग, सेक्स वर्कर और एक जगह से दूसरी जगह घूमते रहने वाले कई संतों के पास भी दस्तावेज नहीं हैं। ऐसे लोगों को वोटर लिस्ट में कैसे जोड़ा जाएगा उसको लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।

 

चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के ड्राफ्ट वोटर लिस्ट आयोग की वेबसाइट पर जारी कर दी है। आयोग ने उन सभी मतदाताओं की डिटेल्स दी हैं, जिनके नाम 2025 में राज्य की वोटर लिस्ट में शामिल थे लेकिन 2026 की ड्राफ्ट लिस्ट से हटा दिए गए हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि 58 लाख से ज्यादा वोटरों के बारे में जानकारी हासिल नहीं हो पाई है। कुछ लोग अपने एड्रेस पर मिले ही नहीं, कुछ लोग स्थाई तौर पर चले गए, वहीं कुछ लोगों की मौत हो गई। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने फर्जी या डुप्लीकेट मतदाताओं के नाम भी हटा दिया है। हटाए गए मतदाताओं में कई नाम ऐसे भी हैं, जिन्होंने दस्तावेज ना होने के कारण फॉर्म जमा ही नहीं करवाया। पश्चिम बंगाल के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी कई लोगों की यही स्थिति है। 

 

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सेक्स वर्कर्स को आ रही परेशानी

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक सेक्स वर्कर ने बताया कि वह बिहार में रहती थीं लेकिन अपने पिता की मौत के बाद बंगाल में आ गई थीं। उनके घर पर बीएलओ SIR का फॉर्म देकर गया है लेकिन उनके पास 2002 की वोटर लिस्ट के डॉक्यूमेंट नहीं हैं। हालांकि, उनके पास आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड है। चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट को वेरिफाई करने के लिए 2002 की वोटर लिस्ट को आधार बनाया है।  वोटर को साबित करना पड़ रहा है कि उनके माता-पिता या रिश्तेदार का नाम 2002 की लिस्ट में मौजूद था लेकिन उनके पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है।

 

इसी रिपोर्ट में एक अन्य सेक्स वर्कर ने बताया कि उनकी शादी नहीं हुई लेकिन एक व्यक्ति से उनके दो बच्चे हैं। वह व्यक्ति उन्हें छोड़कर चला गया। उसके बाद कोई कागज नहीं बना। उन्होंने बताया कि उन्होंने कई बार वोटर कार्ड बनवाने की कोशिश की लेकिन नहीं बना। ऐसी ही कई सेक्स वर्कर्स ने चिंता जाहिर की है। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि अब उन्हें क्या करना चाहिए। 

SIR में फंसे साधु संत

SIR प्रक्रिया में साधु-संत भी फंस गए हैं। साधु-संतों का कहना है कि गुरु-शिष्य परंपरा की एक अलग व्यवस्था होती है। कम उम्र में ही साधु अपने गुरु के पास आ जाते हैं। इसके बाद गुरु की ओर से पंच संस्कार किए जाने के बाद शिष्य का गोत्र भगवान के गोत्र में शामिल हो जाता है, जिसे आध्यात्मिक रूप से पुनर्जन्म माना जाता है। इस पंच संस्कार के बाद साधु-संत अपने माता के नाम पर माता जानकारी का नाम या फिर और कोई नाम लिखते हैं। कई साधु अपने गुरु का नाम भी लिखते हैं। उनका अपने परिवार से कोई रिश्ता नहीं रहता। ऐसे साधु SIR में अपने परिवार के रिश्तेदारों के रूप में किसके दस्तावेज देंगे। अयोध्या में कई संतों ने अपने माता-पिता के नाम की जगह भगवान का नाम लिखा है। 

 क्या हैं 5 बड़ी समस्याएं?

  • कई सेक्स वर्कर्स एक राज्य से दूसरे राज्य में जाती हैं। ऐसे में उनका नाम किसी एक राज्य में दर्ज है लेकिन वे अन्य राज्य में रह रही हैं।
  • कई सेक्स वर्कर्स को उनके घर से निकाल दिया गया। उनके पास अपने परिवार के कोई दस्तावेज नहीं हैं।
  • बुजुर्ग महिलाओं के पास अपने परिवार के दस्तावेज नहीं हैं। उनके बच्चे वहीं, पले-बढ़ें हैं लेकिन महिला के पास कोई दस्तावेज नहीं हैं।
  • कई सेक्स वर्कर के बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें नहीं पता है कि उनके पिता कौन हैं। कई लड़कियों के पास माता-पिता दोनों का प्रूफ नहीं है। 
  • साधु अपने परिवार से नाता तोड़कर छोटी उम्र में ही घर से दूर रहते हैं। वे सभी दस्तावेज कहां से लाएंगे।

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ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं है नाम तो क्या करें?

अगर किसी वोटर का नाम चुनाव आयोग की ओर से जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में नहीं है, तो वह तय समय सीमा के भीतर दावा या आपत्ति दर्ज कर सकता है। इसके लिए चुनाव आयोग ने प्रोसेस भी बताई है। सेक्स वर्कर को लेकर चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि महिलाओं को विशेष छूट दी गई है। अगर महिलाओं ने पिछले दो विधानसभा चुनाव में मतदान किया है तो उनका नाम वोटर लिस्ट में शामिल कर लिया जाएगा। 

  • फॉर्म 6 फिर से भरना होगा।
  • इसके साथ Annexure IV (घोषणा पत्र) और पहचान या निवास से जुड़े जरूरी दस्तावेज जमा करने होंगे।
  • यह आवेदन ऑनलाइन voters.eci.gov.in, ECINET ऐप, या ऑफलाइन BLO के पास दिया जा सकता है।
  • दावे और आपत्तियों की अवधि 16 दिसंबर से शुरू होकर 15 जनवरी 2026 तक चलेगी। इसके बाद अंतिम मतदाता सूची 14 फरवरी 2026 को प्रकाशित की जाएगी।

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