सोमवार (25 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने राजोआना की मौत की सजा को कम करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।
न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति पी के मिश्रा और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की विशेष पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। वहीं, केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। दरअसल, केंद्र ने पीठ से राजोआना की दया याचिका पर विचार करने के लिए और समय मांगा था। हालांकि, कोर्ट ने केंद्र सरकार का पक्ष सुनने के बाद सुनवाई 4 हफ्तों के लिए स्थगित कर दी।
फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की अपील
इसे संवेदनशील मामला बताते हुए केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि उन्हें इस मामले पर इनपुट मिल रहे हैं लेकिन और अधिक जानकारी की जरूरत है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अन्य एजेंसियों से भी परामर्श करना होगा।
बता दें कि राजोआना के वकीलों ने उसकी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की अपील की है। उनका कहना है कि इतने लंबे समय तक मौत की सजा का इंतजार करना क तरीके से मानसिक यातना के समान है। राजोआना ने अपनी दया याचिका राष्ट्रपति को भेजी थी जिसपर कोर्ट ने राष्ट्रपति के सचिव से 2 हफ्तों में फैसला लेने का निर्देश दिया था।
29 सालों से जेल में बंद राजोआना कौन?
31 अगस्त, 1996 को राजोआना पर पूर्व मुख्यमंत्री समेत 12 लोगों की हत्या का दोषी ठहराया गया था। 2007 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की एक विशेष अदालत ने राजोआना को मौत की सजा सुनाई गई थी। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने मार्च 2012 में उसकी ओर से दया याचिका दायर की थी। सितंबर 2019 में केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने पंजाब को पत्र लिखकर गुरु नानक देव की 550वीं जयंती मनाने के लिए उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने का प्रस्ताव दिया, लेकिन प्रस्ताव कभी लागू नहीं हुआ।
सितंबर 2020 में, राजोआना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और कहा कि कई सालों से लंबित उनकी दया याचिका पर तुरंत विचार किया जाए। 3 मई, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी और पंजाब पुलिस के पूर्व कांस्टेबल राजोआना की दया याचिका पर उचित समय पर फैसला करने का काम केंद्र पर छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने नई याचिका दायर की।