पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने 25 हजार शिक्षकों की भर्ती को रद्द करने वाले कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस भर्ती प्रक्रिया को ही गड़बड़ बताया है।
मामला 2016 में हुई 25 हजार से ज्यादा टीचिंग और नॉन-टीचिंग स्टाफ की भर्तियों से जुड़ा है। यह भर्ती पश्चिम बंगाल के स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (SSC) ने की थी। इन भर्तियों में अनियमितता बरतने और भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने इन भर्तियों को रद्द कर दिया था। हालांकि, पिछले साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के इस फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
मगर अब सुप्रीम कोर्ट ने भी कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए इन भर्तियों को रद्द कर दिया है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने इस पर गुरुवार को फैसला दिया।
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कोर्ट ने क्या कहा?
फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, 'यह ऐसा मामला है जिसमें पूरी चयन प्रक्रिया ही दागदार है। बड़े पैमाने पर हेरफेर और धोखाधड़ी करने के साथ-साथ मामले को छिपाने के इरादे ने चयन प्रक्रिया पर इतने दाग लगा दिए हैं कि इन्हें सुधारा नहीं जा सकता। इससे चयन प्रक्रिया की वैधता और विश्वसनीयता खत्म हो गई है।'
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने की कोई जरूरत नहीं है। चीफ जस्टिस खन्ना ने कहा, 'नियुक्तियां धोखाधड़ी और जालसाजी से की गई हैं, इसलिए हमें इसमें दखल देने का कोई कारण नहीं दिखता।'
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जिनकी भर्तियां हुईं, उनका क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि जिन भी उम्मीदवारों की भर्ती गलत तरीके से हुई थी, उसे अब रद्द कर दिया जाएगा। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, 'जिन भर्तियों में गड़बड़ी हुई है, उन उम्मीदवारों की सेवाएं अब खत्म हो जाएंगी। इन उम्मीदवारों को जो सैलरी और पेमेंट मिली थी, वह लौटाना होगा।'
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा, 'कुछ ऐसे उम्मीदवार भी होंगे, जिनकी भर्ती में कोई गड़बड़ी नहीं होगी। ऐसे उम्मीदवार पहले किसी और विभाग में काम करते होंगे। उन्हें अपने पुराने विभागों में लौटने की अनुमति होगी।' सुप्रीम कोर्ट ने सारी भर्तियों के आवेदन की जांच करने के लिए 3 महीने का वक्त दिया है, धोखाधड़ी से नौकरी हासिल करने वालों पर कार्रवाई की जा सके।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांग उम्मीदवारों को राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में साफ किया कि दिव्यांग उम्मीदवारों को तब तक सैलरी मिलती रहेगी, जब तक नई भर्तियां नहीं हो जातीं। इसके साथ ही दिव्यांग उम्मीदवार नई भर्ती प्रक्रिया में भी शामिल हो सकेंगे।