दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फिर से सुनवाई शुरू की। इस सप्ताह की शुरुआत में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) गंभीर से अधिक स्तर पर पहुंच गया था। इसको देखते हुए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान यानी ग्रैप-4 की पाबंदियां लागू हैं। ग्रैप-4 के तहत दिल्ली में ट्रकों की एंट्री पर बैन लगा दिया गया है। वहीं, सार्वजनिक तौर पर निर्माण कार्य को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने ग्रैप-4 की पाबंदियों को ठीक से ना लागू करवा पाने पर नाराजगी जताई है। सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस राजधानी में भारी वाहनों की एंट्री और ग्रैप-4 प्रतिबंधों को लागू करने में नाकाम रही। कोर्ट ने दिल्ली के सभी 13 मुख्य एंट्री प्वाइंट्स के सीसीटीवी फुटेज की मांग की है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि भारी वाहनों को दिल्ली में एंट्री की अनुमति दी गई थी या नहीं।
25 नवंबर से पहले रिपोर्ट पेश करें
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 13 वकीलों को नियुक्त किया है, जो 13 बिंदुओं पर जाकर 25 नवंबर से पहले वायु प्रदूषण पर रिपोर्ट पेश करेंगे। वकील इसमें पता करेंगे कि क्या दिल्ली के बाहर पंजीकृत भारी वाहनों और हल्के कमर्शियल वाहनों शहर में आने की अनुमति दी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट इसी मामले पर सोमवार को सुनवाई करेगा।
राज्यों को दिया निर्देश
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर (नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद) में खतरनाक तरीके से बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए राज्यों को सख्ती से ग्रैप-4 प्रतिबंधों को लागू करने के लिए टीमें गठित करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने राज्यों से कहा था कि अगली सुनवाई तक यह बैन लागू रहे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे लिए यह मान लेना मुश्किल है कि दिल्ली में ग्रैप-4 प्रतिबंधों के तहत ट्रकों का प्रवेश रोक दिया गया है। जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, 'हमारे लिए यह मान लेना बहुत मुश्किल है कि दिल्ली में ट्रकों का प्रवेश रोक दिया गया है।'
पुलिस कर्मियों की तैनाती
पीठ ने केंद्र सरकार को दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश की जांच के लिए पुलिस कर्मियों की तैनाती करने का निर्देश दिया। साथ ही केंद्र सरकार 25 नवंबर (अगली सुनवाई) तक इसपर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा। जब मामले की अगली सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट 18 नवंबर को वायु प्रदूषण पर सुनवाई करते हुए कहा था कि सभी नागरिकों के लिए प्रदूषण मुक्त वातावरण सुनिश्चित करना सभी राज्यों का संवैधानिक कर्तव्य है।