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कहानी इजरायल के सबसे शातिर जासूस की, जिसने सीरिया को हिला दिया

सीरिया की सरकार तक पहुंच बनाने वाले मोसाद के एजेंट एली कोहेन की कहानी काफी दिलचस्प है। 2019 में नेटफ्लिक्स ने The Spy नाम से उस पर एक सीरीज भी बनाई है।

Photo of Israeli spy Eli Cohen in Syria

सीरिया में इजरायली जासूस एली कोहेन की फोटो। Photo Credit: Israel PM Office

एली कोहेन, इजरायल का वो जासूस जिसकी लाश की तलाश आज भी मोसाद को है। सीरिया में किस जगह एली कोहेन को दफन किया गया है, इसका अभी तक पता नहीं चल सका है। 60 साल पहले 18 मई 1965 को सीरिया के दमिश्क शहर में एली कोहेने को सरेआम फांसी पर लटकाया गया था। इसके बाद से मोसाद एली कोहेन से जुड़े दस्तावेज और सामान की तलाश में जुटी है। सीरिया में मोसाद का अभियान छह दशक से जारी है। मोसाद के एजेंट एली कोहेन से जोड़े 2500 दस्तावेज और सामान सीरिया से इजरायल ला चुके हैं। 

 

1967 में इजरायल ने छह दिन के युद्ध में जीत और सीरिया के गोलान हाइट्स पर कब्जा एली कोहेन की खुफिया जानकारी के आधार पर हासिल की थी। जासूस कोहेन का जन्म 26 दिसंबर 1924 को मिस्र के अलेक्जेंड्रिया में हुआ था। 29 साल की उम्र में एली कोहेन मोसाद से जुड़ा। मगर उसे नियमित सेवा में नहीं रखा गया था। उसे एक क्लर्क की नौकरी दी गई। मगर उसकी याददाश्त जबरदस्त थी। आईक्यू भी असाधारण था। 

 

31 अगस्त 1959 को एली कोहेन ने इराक में जन्मी नादिया मजाल्ड से शादी की। कोहेन को फ्रेंच, अरबी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान था। सीरिया से पहले कोहेन मिस्र में जासूसी कर चुका था। 1960 में मोसाद ने कोहेन से दोबारा संपर्क किया। मगर उसने जासूसी से मना कर दिया। अगली बार संपर्क करने पर वह राजी हो गया। इस बार उसे सीरिया के मिशन पर भेजा जाना था, क्योंकि गोलान हाइट्स क्षेत्र में इजरायल सीरियाई गोलीबारी से काफी परेशान था।  

मोसाद ने क्या-क्या ट्रेनिंग दी?

मोसाद ने उसे मानचित्र का ज्ञान दिया। रेडियो प्रसारण और क्रिप्टोग्राफी की ट्रेनिंग दी। हथियार चलाना सिखाया। तेज रफ्तार में गाड़ी दौड़ाने की कला भी सिखाई। उसे सीरियाई अरबी बोलने का तरीका बताया गया। इसके बाद कोहेन की नई पहचान कामेल अमीन थाबेत के तौर पर गढ़ी गई।

 

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पार्टियों से कोहेन ने बनाई थी पैठ

फर्जी दस्तावेज से यह सिद्ध किया गया कि उसका जन्म लेबनान के बेरूत में सीरियाई मुस्लिम परिवार में हुआ। उसके पिता का नाम अमीन थाबेत और मां का नाम सादिया इब्राहिम बताया गया। बाद में यह परिवार 1948 में अर्जेंटीना चला गया। उधर, एली कोहेने को मोसाद ने सबसे पहले ब्यूनस आयर्स भेजा, ताकि किसी को उस पर शक न हो। उसे सीरियाई प्रवासी नागरिक की कामेल अमीन थाबेत के तौर पर पहचान बना दी गई। यहां एली ने सीरियाई लोगों के बीच अपनी पहचान बनाना शुरू किया।  उसने अपने आपको एक धनी व्यावसायी के तौर पर स्थापित किया।

 

इसके बाद वह सीरियाई दूतावास में काम करने वाले अधिकारियों और नेताओं से दोस्ती बनाने लगा। इसी दौरान उसकी दोस्ती बाथ पार्टी के समर्थक कर्नल अमीन अल-हफाज से हो गई। कोहेन पार्टियां करता था। रात्रिभोजों में बड़े-बड़े नेताओं को आमंत्रित करने लगा। बाद में इन्हीं नेताओं ने उसे सीरिया आने का न्योता दिया।  

मंत्रालय तक थी कोहेन की पहुंच

1962 में अर्जेंटीना से एक व्यवसायी बनकर कोहेन दमिश्क पहुंचा। सीरिया में उसकी पार्टियों में मंत्री और सैन्य अधिकारी आने लगे। वे खुलकर अपनी बातें करते और कई बार सैन्य योजनाओं का खुलासा भी करते। कोहेन नशे में होने का बहाना बनाता। मगर हर बात पर उसका खास निगाह होती थी। बाद में यही जानकारी वह इजरायल को भेजता था। कोहेन सीरिया के सूचना मंत्रालय में तैनात जॉर्ज सैफ का खास बन गया। मंत्रालय में उसका बेरोक-टोक आना जाना होने लगा। यहां से उसने कई खुफिया जानकारी निकालीं और इजरायल भेजी।

गोलान हाइट्स में जुटाई खुफिया जानकारी

1963 में बाथ पार्टी के सत्ता में आने के बाद कोहेन का प्रभाव इजरायल की सरकार में और अधिक बढ़ गया। उसने गोलान हाइट्स की यात्रा की। यहां कई तस्वीरें खींची। उसने मोसाद को गोलान हाइट्स में सीरिया की सैन्य किलेबंदी, टैंक, मशीन गन समेत सैनिकों की तैनाती की पूरी जानकारी साझा की। सीरिया के सैन्य अधिकारियों ने अपनी गुप्त किलेबंदी का ब्योरा कोहेन से साझा किया तो उसने सलाह दी कि यहां पेड़ों को लगाया जाए ताकि इजरायल की सेना को धोखा देना आसान हो जाए। सीरिया ने ऐसा ही किया। बाद में कोहेन ने यह जानकारी इजरायल को भेज दी। इन्हीं पेड़ों के आधार पर इजरायल ने सीरिया की सेना पर हमला किया और गोलान हाइट्स पर कब्जा जमा लिया था।

 

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रूस की मदद से पकड़ा गया था कोहेन

1964 में एली कोहेन ने आखिरी बार इजरायल की यात्रा की। तब उसने अपने मिशन को बंद करने की इच्छा जताई थी। तब तक सीरिया में सरकार बदल चुकी थी। देश से बाहर जा रही खुफिया जानकारी पर सीरिया की सरकार सतर्क हो गई। उसने रूस से मदद मांगी और जांच का आदेश दिया। रूसी सुरक्षा अधिकारियों ने सीरिया की राजधानी में संदेश के प्रसारण का सोर्स खोज निकाला। यह स्थान एली कोहेन का घर था।

 

24 जनवरी 1965 को सीरियाई खुफिया विभाग ने कोहेने के अपार्टमेंट पर धावा बोला और उसे रंगे हाथों इजरायल को सूचना भेजते पकड़ लिया। 18 मई 1965 को उसे राजधानी दमिश्क में सरेआम फांसी पर चढ़ा दिया गया। कोहेन की फांसी का प्रसारण सीरियाई टेलीविजन पर किया गया और लाश छह घंटे तक लटकाई गई। कोहेन शातिर, बुद्धिमान के साथ-साथ बेहद सुंदर था। सीरिया में उसकी कुल 17 प्रेमिकाएं थीं। 

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