सरकार ने बढ़ाया MSP, आखिर कितना अहम है नारियल का कारोबार?
नारियल पर MSP बढ़ने से किसानों का इसका सीधा फायदा होगा। नारियल के बाजार को समझने के लिए इसके मांग और सप्लाई को भी जानने की जरूरत है।

प्रतीकात्मक तस्वीर, AI Generated Image
नारियल की खेती करने वाले किसानों के लिए केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ा दिया है। इससे किसानों को सीधा लाभ मिलेगा क्योंकि अब कोपरा बेचने पर उन्हें पहले से ज्यादा कीमत मिलेगी। यह फैसला 12 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी की बैठक में लिया गया। आपको बता दें कि भारत दुनिया के नारियल बाजार में लगभग 31% का योगदान देता है। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि वैश्विक स्तर पर नारियल की मांग और उत्पादन की स्थिति क्या है और साथ ही MSP बढ़ने से क्या असर होगा।
नारियल का ट्रेड भारत और दुनिया के स्तर पर बहुत बड़ा और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है। यह केवल एक फल नहीं, बल्कि एक बहुउद्देशीय फसल है जो कई उद्योगों के लिए कच्चा माल भी उपलब्ध कराती है।
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MSP में बढ़ोतरी
मिलिंग कोपरा का MSP अब 12,027 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है, जो पहले से 445 रुपये की बढ़ोतरी दर्शाता है। बॉल कोपरा का MSP 12,500 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, जिसमें 400 रुपये की वृद्धि हुई है। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट समिति ने 12 दिसंबर 2025 को लिया।
भारत में नारियल का बाजार
भारत विश्व स्तर पर नारियल उत्पादन में शीर्ष देशों में से एक है, अक्सर इंडोनेशिया और फिलीपींस के साथ कॉम्पीटिशन में पहले स्थान पर रहता है। भारत में हर साल 2,400 करोड़ से ज्यादा नारियल का उत्पादन होता है। भारत की उत्पादकता (प्रति हेक्टेयर नारियल) भी दुनिया के सबसे ज्यादा उत्पादन वाले देशों में गिनी जाती है, जो कि 11,419 नारियल प्रति हेक्टेयर से ज्यादा है।
नारियल विकास बोर्ड (CDB) के आंकड़ों के अनुसार, देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में नारियल का योगदान लगभग 31,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इसमें कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश मुख्य हिस्सेदार हैं। भारत नारियल उत्पादों के निर्यात से सालाना लगभग 3,236 करोड़ रुपये से ज्यादा का राजस्व कमाता है (वर्ष 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार)। भारत मुख्य रूप से नारियल तेल, कॉयर (Coir), सूखे नारियल , सक्रिय कार्बन और नारियल पानी जैसे वैल्यू एडेड उत्पादों का निर्यात करता है।
एक समय भारत नारियल तेल आयात करता था लेकिन अब यह मलेशिया, इंडोनेशिया, श्रीलंका और यहां तक कि अमेरिका और यूरोपीय देशों को भी निर्यात कर रहा है। नारियल की खेती और इससे जुड़े उद्योग पर देश में 1 करोड़ से अधिक लोग अपनी कमाई के लिए निर्भर करते हैं।
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दुनिया का नारियल बाजार
हेल्थ को लेकर लोगों की जागरूकता के कारण नारियल पानी, तेल विशेष रूप से वर्जिन नारियल तेल और दूध जैसे उत्पादों की दुनिया में मांग बढ़ी है। इडोनेशिया, फिलीपींस और भारत मिलकर वैश्विक उत्पादन का लगभग 73% हिस्सा उत्पादित करते हैं, जो एशिया के नेतृत्व को दर्शाता है।
- नारियल का व्यापार सिर्फ कच्चे फल तक सीमित नहीं है बल्कि यह कई वैश्विक उद्योगों को प्रभावित करता है।
- नारियल पानी, नारियल का दूध और खाना पकाने का तेल।
- स्कीन और बालों की देखभाल की चीजे, साबुन और फार्मास्युटिकल उत्पादों में नारियल तेल का उपयोग।
- कॉयर (नारियल का रेशा) का उपयोग फर्श मैट, रस्सी, ब्रश और बागवानी के लिए किया जाता है।
आजकल लोग अपनी सेहत को लेकर ज्यादा जागरूक हो गए हैं। इसी वजह से नारियल से बने सामानों की मांग पूरी दुनिया में बढ़ गई है। इसमें नारियल पानी, नारियल तेल (खासकर वर्जिन कोकोनट ऑयल) और नारियल दूध शामिल हैं। इंडोनेशिया, फिलीपींस और भारत मिलकर दुनिया के कुल नारियल उत्पादन का लगभग 73% हिस्सा पैदा करते हैं। इससे साफ है कि नारियल उत्पादन में एशिया सबसे आगे है।
नारियल का कारोबार सिर्फ कच्चे नारियल तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे कई उद्योग जुड़े हुए हैं। जैसे नारियल पानी, नारियल दूध और खाना बनाने वाला तेल। स्कीन और बालों की देखभाल के उत्पाद, साबुन और दवाइयों में नारियल तेल का इस्तेमाल और नारियल के रेशे (कॉयर) से चटाई, रस्सी, ब्रश और बागवानी से जुड़ी चीजें बनाई जाती हैं।
आसान शब्दों में कहा जाए तो MSP बढ़ने से कोपरा किसानों को पहले से ज्यादा कीमत , अधिक स्थिर आय और उत्पादन बढ़ाने के नए अवसर मिलेंगे। सरकार का दावा है कि यह फैसला नारियल की खेती को और मजबूत करेगा और किसानों को निश्चित कमाई का भरोसा देगा।
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