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मुबंई में पहली बार किसी को नहीं बनाया गया बंधक, कब-कब ऐसी घटनाओं से दहला यह शहर?

मुंबई के पवई इलाके में 30 अक्टूबर को एक व्यक्ति ने 17 बच्चों समेत 19 लोगों को एक घंटे तक बंधक बना लिया। ऐसी कई और घटनाएं हुई है जब मुंबई बंधक बनाने की घटनाओं से दहली है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर, AI Generated Image

महाराष्ट्र के मुंबई में 30 अक्टूबर को एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई। ऐसी घटना शायद पहली बार हुई जहां इतनी बड़ी संख्या में बच्चों को बंधक बनाया था। पवई इलाके में स्थित रा स्टूडियो से एक शख्स ने 17 बच्चों समेत कुल 19 लोगों को करीब एक घंटे तक बंधक बना रखा था। मौके पर पुलिस ने पहुंच कर बंधकों को छुड़ा लिया था। बंधकों को छुड़ाने के दौरान पुलिस कार्रवाई में आरोपी रोहित आर्या को गोली लगी और अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। यह महानगर बंधक संकटों से अनजान नहीं है। इस शहर को पहले भी मुश्किल में डाला है। 

 

पुलिस ने लगभग तीन घंटे तक चले इस नाटकीय बंधक संकट को बहुत समझदारी से खत्म किया। 10 से 12 साल के इन बच्चों, जिनमें लड़के और लड़कियां दोनों शामिल थे, को एक वेब सीरीज के ऑडिशन के लिए स्टूडियो बुलाया गया था, जो दो दिनों से चल रहा था। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि हाल के सालों में यह अपनी तरह का पहला मामला हो सकता है जिसमें इतनी बड़ी संख्या में बच्चों को बंधक बनाया गया हो।


जानते हैं उन घटनाओं के बारे में, जब बंधक बनाकर अपराधियों ने मनमानी की-

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फाइनेंशियल कैपिटल में बंधक बनाने की घटना

1. रिटायर्ड कस्टम अधिकारी ने बनाया बंधक
 
मार्च 2010 में एक रिटायर्ड कस्टम अधिकारी, हरीश मारोलिया ने अंधेरी (वेस्ट) में एक 14 साल की लड़की को बंधक बना लिया था। 60 साल के हरीश ने लड़की हिमानी को अपने फ्लैट में बंधक बना रखा था। अधिकारी ने बताया कि उसने यह कदम उस हाउसिंग सोसाइटी के सदस्यों के साथ झगड़े के बाद उठाया था। यह दोनों ही वहां  उस सोसाइटी में रहते थे। लड़की को बंधक बनाने से कुछ मिनट पहले, उसने अपनी बिल्डिंग की एक मंजिल पर चल रहे कंस्ट्रक्शन के काम पर आपत्ति जताई थी। उसने हवा में फायरिंग करके हाउसिंग सोसाइटी के सेक्रेटरी को भी धमकी दी थी। यह बंधक ड्रामा तब हिंसक हो गया जब उसने उस टीनएजर लड़की को मार डाला और बाद में पुलिस ने उस आरोपी को भी गोली मार दी।

 

2. बिहार का बंदूकधारी


नवंबर 2008 में बिहार के 25 साल के एक गनमैन राहुल राज ने अंधेरी से जाने के समय एक डबल-डेकर सरकारी बस में यात्रियों को बंधक बना लिया था। जैसे ही बस कुर्ला के बैल बाजार पहुंची लगभग 100 पुलिसकर्मियों ने बस को घेर लिया। जब पुलिस ने राहुल से सरेंडर करने को कहा, तो उसने उन पर एक करेंसी नोट फेंका, जिस पर उसने लिखा था कि वह महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के अध्यक्ष राज ठाकरे को 'मारने' आया है। राज ठाकरे की पार्टी ने मुंबई में उत्तर भारतीयों को निशाना बनाते हुए उनके लिए विरोधी आंदोलन शुरू किया था। पुलिस ने 25 साल के राहुल को गोली मार दी जिससे इस संकट का खूनी अंत हो गया। 

 

3. 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले

 

मुंबई का 26/11 का आतंकवादी हमला जो अब तक की सबसे बड़ी और गंभीर बंधक संकट की घटना थी। ताज महल पैलेस होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल और नरीमन हाउस में कई लोगों को बंधक बना लिया गया था। हमलावरों की मुख्य मांगों में भारत में जेल में बंद कुछ आतंकवादियों को रिहा कराना था। इस संकट को राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के कई दिनों के ऑपरेशन के बाद खत्म किया गया।

 

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नागपुर ACP ने बंधकों से बातचीत

नागपुर की असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (ACP) शैलनी शर्मा ने PTI से बात करते हुए बताया, 'बंधक बनाने जैसी स्थितियों में, सबसे जरूरी बात जान बचाना और कम से कम नुकसान सुनिश्चित करना होता है। बातचीत इन दोनों उद्देश्यों को ध्यान में रखकर की जाती है।' शैलनी शर्मा मुंबई पुलिस की पहली महिला अधिकारी थीं, जिन्हें 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के बाद बंधक बनाने जैसी स्थितियों से निपटने के लिए लंदन में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया था। उन्हें 2022 में NSG कमांडो को बंधक बनाने जैसी स्थितियों को सफलतापूर्वक संभालने की ट्रेनिंग देने के लिए भी बुलाया गया था।

 

ACP ने कहा, 'जब बातचीत में कोई बात नहीं बनती, तो ऑपरेशन टीम समय की जरूरत के हिसाब से फैसले लेती है।' 2010 के अंधेरी बंधक कांड में, ACP को हरीश से बातचीत करने के लिए बुलाया गया था, लेकिन तब तक एक पुलिस टीम उस फ्लैट में घुस चुकी थी जहां उसने लड़की को बंधक बनाया हुआ था और उस पर गोली चला दी थी।

 

2013 और 2017 में, ACP ने दो महिलाओं को बचाया, जो अपनी जान देने की कोशिश कर रही थीं, उनसे बात करके और उन्हें समझाकर कि वे यह खतरनाक कदम न उठाएं। मुंबई में CAA और NRC विरोधी विरोध प्रदर्शनों के दौरान, शर्मा नागपाड़ा में सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर के तौर पर तैनात थीं और उन्होंने बातचीत के जरिए आंदोलनों को संभाला। 

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