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रॉ के नए बॉस होंगे पराग जैन, कश्मीर से कनाडा तक निभा चुके हैं अहम रोल

पराग जैन, एविएशन रिसर्च सेंटर के चीफ हैं। ऑपरेशन सिंदूर में इस विंग ने अहम भूमिका निभाई थी। अब उन्हें एक और बड़ी जिम्मेदारी मिली है।

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केंद्र सरकार ने 1989 बैच के पंजाब कैडर के आईपीएस अधिकारी पराग जैन को रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) का अगला सचिव नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति दो साल के लिए होगी और वह सोमवार को रवि सिन्हा की जगह लेंगे। रवि सिन्हा का कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो रहा है।

वर्तमान में पराग जैन एविएशन रिसर्च सेंटर के प्रमुख हैं। इसी सेंटर ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी सेना के बारे में महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी जुटाने में अहम भूमिका निभाई थी।

पराग जैन ने पहले चंडीगढ़ में एसएसपी के तौर पर तैनात रहे हैं। वह  कनाडा और श्रीलंका में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उनकी पोस्टिंग जम्मू और कश्मीर में भी हुई है। उन्होंने केंद्र सरकार की आतंक विरोधी गतिविधियों में अहम भूमिका भी निभाई है। 

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पंजाब में भी निभा चुके हैं अहम रोल 

पराग जैन अनुभवी अधिकारी हैं, उनके पास संवेदनशील इलाकों में तैनाती का अनुभव रहा है। जब पंजाब में आतंक का दौर अपने चरम पर था, तब वह भटिंडा, मानसा, होशियारपुर जैसे इलाकों में काम कर चुके हैं। वह चंडीगढ़ में एसएसपी और लुधियाना में डीआईजी रह चुके हैं।

खालिस्तान-आतंकवाद पर रख चुके हैं पैनी नजर

पराग जैन ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने और ऑपरेशन बालाकोट के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कनाडा और श्रीलंका में भारत के प्रतिनिधि के तौर पर भी काम किया। कनाडा में रहते हुए उन्होंने खालिस्तान समर्थक गतिविधियों पर नजर रखी और दिल्ली को आगाह किया था कि वहां का खालिस्तानी तंत्र खतरनाक रूप ले रहा है। 

 

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चुनौतियां क्या हैं?

पराग जैन ऐसे वक्त में रॉ प्रमुख बने हैं, जब बांग्लादेश से लेकर पाकिस्तान तक के मोर्चे पर भारत के लिए हालात ठीक नहीं है। पहलगाम में हफ्तों पहले आतंकी हमला हुआ है, जिसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच संबंध बेहद तल्ख हैं। कश्मीर पर खुफिया एजेंसियों की सिमटते पकड़ को दुरुस्त करने की भी चुनौती उनके सामने है।

पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद असीम मुनीर को फील्ड मार्शल बना दिया है। वह ट्रम्प से मुलाकात कर चुके हैं। पाकिस्तान का आतंकवाद के प्रति रवैया अभी तक नहीं बदला है। जमीनी स्तर पर खुफिया जानकारी और रणनीति मजबूत करने की चुनौती अब भारत के सामने है। 

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