पेप्सी से अमेजन तक, क्या ट्रंप को भारी पड़ेगा भारत का बॉयकॉट?
कनाडा, फ्रांस और ब्रिटेन के बाद भारत में अमेरिकी सामान के बहिष्कार की मांग तेज होने लगी है। कई प्रभावशाली लोग इस मुहिम में शामिल हो चुके हैं।

उठने लगी अमेरिकी प्रोडक्ट के बहिष्कार की मांग।
टैरिफ के बाद भारत में अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ व्यापारियों और लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। देशभर में उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन का दौर जारी है। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में व्यापारियों ने ट्रंप के पुतले फूंके। टैरिफ के विरोध में फर्रुखाबाद में उनकी अर्थी निकाली गई। हरियाणा के पलवल में संयुक्त किसान मोर्चा ने भी ट्रंप का पुतला जलाकर अपना विरोध दर्ज कराया। मध्य प्रदेश के विदिशा में भी यही देखने को मिला। टैरिफ विवाद अब दो कदम आगे बढ़ चुका है। देशभर में अमेरिकी सामानों के बहिष्कार की मांग तेज होने लगी है। बता दें कि भारत के अलावा फ्रांस, कनाडा और ब्रिटेन में भी अमेरिकी उत्पादों का बहिष्कार हो रहा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने अमेरिकी सामान और ब्रांड के खिलाफ विरोध का बिगुल बजा दिया है। मंच ने रविवार को देश के अलग-अलग हिस्सों में रैली निकाली और अमेरिकी सामानों के बहिष्कार की अपील की। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की खबर के मुताबिक स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक अश्विनी महाजन का कहना है कि देश के लोग अभ भारत के प्रोडक्ट की ओर अपना रुख करने लगे हैं। इसमें कुछ समय लगेगा। मगर यह देशभक्ति और राष्ट्रवाद की अपील है।
#WATCH | Noida, UP | On 25% additional US tariffs on India from August 27, Yoga guru Ramdev says, "Indian citizens should strongly oppose the 50% tariffs that America has imposed on India as political bullying, hooliganism and dictatorship. American companies and brands should be… pic.twitter.com/sJedjdNt0k
— ANI (@ANI) August 27, 2025
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सोशल मीडिया पर भी अमेरिकी सामान के बहिष्कार की मुहिम चलाई जा रही है। एक सूची में अमेरिकी प्रोडक्ट के नाम और उनके जवाब में भारतीय ब्रांड की जानकारी दी गई है। लोगों ने अमेरिकी सामान की जगह स्वदेशी सामान अपनाने का आग्रह किया जा रहा है। टैरिफ के बाद भारत में अमेरिका के प्रति नाराजगी तेजी से बढ़ रही है। दुनिया के सबसे बड़े बाजार में अमेरिकी ब्रांडों के सामने बहिष्कार का खतरा मंडराने लगा है। मैकडॉनल्ड्स, स्टारबक्स, सबवे, पेप्सी, कोका कोला, अमेजन और एप्पल सब निशाने पर है। अब देश के अंदर एक्स, फेसबुक, व्हाट्सएप और यूट्यूब का विकल्प तैयार करने की मांग उठने लगी है।
'बहिष्कार हुआ तो अमेरिका में हाहाकार मच जाएगा'
योग गुरु बाबा रामदेव ने भी अमेरिकी सामानों के बहिष्कार की मांग उठा है। उन्होंने देश की जनता से अमेरिकी ब्रांड का बॉयकाट करके ट्रंप को सबक सिखाने की अपील की। उनका कहना है, 'अमेरिका ने तानाशाही और दादागीरी के तहत भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया है। इसका देश के सभी नागरिकों को पुरजोर विरोध करना चाहिए। सभी अमेरिकी ब्रांड और उत्पाद का बहिष्कार करना चाहिए। पेप्सी, कोका-कोला, सबवे, केएफसी या मैकडॉनल्ड्स के काउंटर पर एक भी भारतीय को दिखना नहीं चाहिए। जबरदस्त और घनघोर बहिष्कार होना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि एप्पल का फोन अभी ले लिया तो ले लिया। अगर एक बार इन उत्पादों का बहिष्कार हो गया तो अमेरिका में हाहाकार मच जाएगा। वहां महंगाई इस कदर बढ़ेगी कि ट्रंप को खुद ही टैरिफ वापस लेना पड़ेगा।
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एलपीयू ने छेड़ा स्वदेशी का राग
लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के संस्थापक और राज्यसभा सांसद अशोक कुमार मित्तल ने विश्वविद्यालय कैंपस में अमेरिका डिंक्स पर बैन लगा दिया है। उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप के नाम एक खुला पत्र भी लिखा। इसमें उन्होंने 7 अगस्त 1905 के स्वदेशी आंदोलन का जिक्र किया और कहा कि अगर 146 करोड़ भारतीय आज उस भावना के साथ अमेरिकी व्यवसायों पर रणनीतिक प्रतिबंध लगा दें तो इसका प्रभाव भारत की तुलना में अमेरिका पर कहीं अधिक गंभीर होगा।
𝐖𝐡𝐚𝐭 𝐢𝐟 146 crore Indians boycott American companies operating in India?
— Ashok Kumar Mittal (@DrAshokKMittal) August 7, 2025
My open letter to @realDonaldTrump on US’s 50% tariffs for India, in which I 𝐮𝐫𝐠𝐞 him to “choose dialogue over discord, coordination over coercion.”
Jai Hind! pic.twitter.com/rQJXv8yhiY
अमेरिका के लिए क्यों जरूरी भारतीय बाजार?
जनसंख्या के लिहाज से भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है। विशाल बाजार और उभरती अर्थव्यवस्था है। यहां हर तेज निवेश और व्यापार करना चाहता है। अमेरिका के लिए भी भारत अहम बाजार है। दुनिया में व्हाट्सएप के सबसे अधिक यूजर्स भारत में है। अन्य ब्रांडों की तुलना में भारत में डोमिनोज के सबसे अधिक रेस्टोरेंट हैं। अमेरिका ब्रांड कोका-कोला और पेप्सी का एकाधिकार है। हालांकि कुछ समय से इन्हें कैंपा कोला से कड़ी टक्कर मिल रही है।
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