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'तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई', सुप्रीम कोर्ट ने NGO पर क्यों ठोका 1 लाख का जुर्माना

एक एनजीओ को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करना भारी पड़ गया। शीर्ष अदालत ने एनजीओ पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। वकील ने याचिका वापस लेने का अनुरोध किया, लेकिन शीर्ष अदालत ने ऐसा करने की अनुमति नहीं दी।

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट। (Photo Credit: PTI)

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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। एनजीओ ने संवैधानिक पीठ के आदेश के खिलाफ रिट याचिका दाखिल की थी। अपनी याचिका में यूनाइटेड वॉयस फॉर एजुकेशन फोरम नाम के गैर- सरकारी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के 2014 के उस फैसले को रद्द करने की मांग की गई थी, जिसमें मदरसों और अन्य अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम से बाहर रखा गया था। 

 

जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि संवैधानिक बेंच के फैसले को चुनौती देने वाली ऐसी याचिकाएं पूरी न्याय व्यवस्था को बर्बाद कर देंगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह याचिकाकर्ता पर आपराधिक अवमानना ​​का मामला चलाने से खुद को रोक रहा है।

 

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'अब हम जुर्माना लगाना शुरू करेंगे'

जस्टिस बीवी नागरत्ना और आर. महादेवन की बेंच ने एनजीओ को कड़ी फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने कहा, 'तुम्हें क्या हो गया है, तुम एक सिस्टम को बर्बाद करना चाहते हो। हम अपने ही आदेश के खिलाफ कोई रिट याचिका स्वीकार नहीं कर रहे हैं। ऐसा करने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? क्या तुम्हें प्रैक्टिस नहीं पता? हम गुस्से में हैं। अब हम जुर्माना लगाना शुरू करेंगे।' 

 

 

 

'यह कानून का सबसे बड़ा दुरुपयोग'

जस्टिस नागरत्ना ने कहा, 'वकील कैसी सलाह दे रहे हैं? हम गलत सलाह देने वाले वकीलों पर भी जुर्माना लगाना शुरू करेंगे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ कोई रिट याचिका स्वीकार्य नहीं है। यह कानून और कोर्ट की प्रक्रिया का सबसे बड़ा दुरुपयोग है। हम इस याचिका को एक लाख रुपये के जुर्माने के साथ खारिज करते हैं। यह ऐसे सभी याचिकाकर्ताओं के लिए एक उदाहरण होगा।'

 

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याचिका वापस लेने की नहीं दी अनुमति 

गैर-सरकारी संगठन यूनाइटेड वॉयस फॉर एजुकेशन फोरम ने बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिकार अनिधियम से अल्पसंख्यक संस्थानों को छूट देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को रद्द करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद एनजीओ की तरफ से पेश वकील ने याचिका वापस लेने का अनुरोध किया। मगर शीर्ष अदालत ने ऐसा करने से मना कर दिया। पीठ ने कहा कि आप इस देश की न्यायपालिका को ध्वस्त करना चाहते है। अदालत ने जुर्माना लगाने के बाद कहा कि यह उन सभी लोगों के लिए सबक होना चाहिए, जो सर्वोच्च न्यायालय के साथ ऐसा करने का प्रयास कर रहे हैं।

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