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40 हजार के वादे से CM बन पाएंगे अखिलेश यादव? तेजस्वी तो हार गए थे

झारखंड से लेकर बिहार तक के चुनावी नतीजे इशारा करते हैं कि जनता किसी भी चुनाव में विपक्ष के वादे पर कम, सत्तारूढ़ सरकार के वादे पर ज्यादा इशारा करती है।

Akhilesh Yadav

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव। (Photo Credit: PTI)

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उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वादा किया है कि अगर उनकी पार्टी अगर साल 2027 के विधानसभा चुनावों में जीतती है तो वह महिलाओं को हर साल 40 हजार रुपये देंगे। उन्होंने वादा किया कि जब यूपी में उनकी सरकार थी, तब महिलाओं को 500 रुपये दे रहे थे, अगले चुनाव में उन्हें 1 हजार देने वादा किया गया था लेकिन सरकार नहीं बन पाई। लोकसभा चुनाव में ढाई हजार देने का वादा किया था, वह भी नहीं हुआ। अब उन्होंने कहा है कि वह महिलाओं को 40 हजार रुपये देंगे। 

अखिलेश यादव अभी विपक्ष में हैं। यूपी में विधानसभा चुनाव भी 2027 में होने वाले हैं। क्या चुनावी राज्यों में विपक्ष के वादे पर जनता यकीन कर पाती है? आंकड़ों पर अगर गौर करें तो ज्यादातर राज्यों में विपक्ष के दावों पर जनता यकीन कम कर पाती है। महाराष्ट्र, झारखंड और बिहार के विधानसभा चुनावों के नतीजे कैसे इसे साबित करते हैं, आइए समझते हैं।

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कहां-कहां विपक्ष के वादे पर यकीन नहीं कर पाई जनता?

बिहार: विपक्ष के वादों को एक सिरे से नकार गई जनता 

बिहार में इंडिया गठबंधन ने कई क्रांतिकारी वादे किए। इंडिया गठबंधन के सीएम उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने वादा किया था कि हर घर में वह सरकारी नौकरी देंगे, राज्य में 1 करोड़ से ज्यादा नौकरियां देंगे, जीविका दीदियों को 30 हजार रुपये प्रति माह देंगे, 200 यूनिट तक फ्री बिजली देंगे, मां-बेटी योजना,  माई बहन मान योजना के तहत हर महिला को प्रति माह 2,500 रुपये देने का वादा भी रास नहीं आया। 

जनता का फैसला: राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनावों के एलान से कुछ महीने पहले ही कई योजनाओं पर मोहर लगा दी। मुफ्त बिजली, सुशासन, लखपती दीदी, जीविका दीदी, 1 करोड़ नौकरियों के वादे पर जनता ने भरोसा जताया। नतीजों में 243 सीटों में से 202 सीटें एनडीए के खाते में आईं, तेजस्वी यादव की अगुवाई वाला इंडिया गठबंधन, 35 सीटों पर सिमट गया। 

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महाराष्ट्र: महा विकास अघाड़ी के बड़े वादों को जनता ने नकारा

राज्य में नवंबर 2024 में विधानसभा चुनाव हुए थे। विपक्षी गठबंधन में 3 पार्टियां शामिल रहीं। कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (शरद पवार)। तीनों दलों की तरफ से वादा किया गया कि अगर सरकार बनी तो महालक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं को 3,000 रुपये प्रति माह मिलेंगे। महिलाओं और लड़कियों के लिए मुफ्त बस यात्रा भी होगी। 

MVA ने वादा किया था कि किसानों का 3 लाख रुपये तक का ऋण माफ किया जाएगा। समय पर ऋण चुकाने पर 50,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। जाति आधारित जनगणना कराई जाएगी। 50 फीसदी आरक्षण की सीमा हटा दी जाएगी। 25 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा और मुफ्त दवाइयों की गारंटी दी गई। बेरोजगार युवाओं को 4,000 रुपये प्रति माह तक की वित्तीय सहायता का वादा किया गया। 

जनता का फैसला: MVA 50 सीटों पर सिमटी। महायुति ने 230 सीटों के साथ राज्य की 80 फीसदी सीटें जीत ली। जनता ने मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण योजना पर भरोसा जताया। मराठा आरक्षण पर जनता ने विपक्ष के दावे से ज्यादा, सत्तारूढ़ दल पर भरोसा जताया।
 

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झारखंड: NDA का वादे पर यकीन नहीं कर पाई जनता

झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार है। सरकार ने संकट का भी सामना किया, जब अचानक हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी हुई और उन्हें जेल जाना पड़ा। चंपाई सोरेन मुख्यमंत्री बने। नवंबर 2024 में ही इस राज्य में भी चुनाव हुआ। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने कई वादे किए। एनडीए ने वादा किया कि अगर राज्य में सरकार बनी तो 'गोगो-दीदी योजना' के तहत हर महीने 2,100 रुपये की आर्थिक सहायता, दीवाली-रक्षाबंधन पर मुफ्त एलपीजी सिलेंडर और बाकी वर्ष भर 500 रुपये में उपलब्ध कराने का वादा किया। एनडीए ने वादा किया कि राज्य में 5 लाख नई नौकरियां दी जाएंगी। यूनिफॉर्म सिविल कोड, डायमंड क्वाड्रिलेटरल एक्सप्रेसवे, गरीबों को स्वास्थ्य बीमा दिया जाएगा।  

जनता का फैसला: जनता ने झारखंड की मइया सम्मान योजना पर भरोसा जताया। चुनाव से पहले ही हर महीने 1 हजार रुपये जारी हो गए। जनता ने विपक्ष के वादे पर भरोसा ही नहीं किया। नतीजा यह हुआ कि 81 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य में इंडिया गठबंधन के खाते में 56 सीटें आईं, वहीं एनडीए सिर्फ 24 सीटें हासिल कर पाया। 

अपवाद क्या हैं?

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार थी। 2024 में हुए विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने कई लोकलुभावने वादे किए थे। चुनावी नतीजे बीजेपी के पक्ष में आए। हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार 2017 से 2022 तक रही। 2022 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस के वादों पर जनता ने ज्यादा भरोसा जताया। पंजाब के भी चुनावी नतीजे ऐसे ही रहे। साल 2024 में ओडिशा में नवीन पटनायक की सरकार थी, उन्होंने कई वादे किए लेकिन विपक्ष सत्ता में आ गया। साल 2023 में कर्नाटक सत्ता से बाहर हुई। तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति की 10 साल की सरकार बाहर हो गई और कांग्रेस सत्ता में आई।   

 


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