सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने एलान किया है कि वह 30 जनवरी 2026 से महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठेंगे। उन्होंने कहा है कि सरकार ने जन लोकपाल पर अपना वादा नहीं निभाया है, एक अरसे से यह लंबित है, राज्य सरकार इसे विधानसभा और विधान परिषद में पास नहीं कर रही है, इसलिए वह अब आमरण अनशन करेंगे।
अन्ना हजारे का तर्क है कि लोकायुक्त कानून के दायरे में मुख्यमंत्री, मंत्री और सीनियर अधिकारी आते हैं। अगर यह लागू होता है कि राज्य में भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगा। महाराष्ट्र की राज्य सरकार इस कानून को पास नहीं कर रही है, इसलिए उन्होंने अनशन पर बैठने का फैसला किया है।
क्या करने वाले हैं अन्ना हजारे?
अन्ना हजारे ने एलान किया है कि अगर 30 जनवरी तक यह कानून लागू नहीं हुआ तो वह अपने गांव रालेगांव सिद्धि में अनशन शुरू कर देंगे। अन्ना हजारे ने पहले भी देशभर में लोकपाल के लिए बड़ा आंदोलन चलाया था और अब राज्य में हो रही देरी से नाराज हैं।
अन्ना हजारे, सामाजिक कार्यकर्ता:-
लोकायुक्त एक ऐसा कानून है जिसके दायरे में मुख्यमंत्री, बाकी सभी मंत्री और लगभग सभी सीनियर लोग आएंगे। यह भ्रष्टाचार को रोकने में बहुत असरदार होगा। मेरी यह मांग बहुत लंबे समय से लंबित है। महाराष्ट्र विधानसभा और महाराष्ट्र सरकार यह कानून पास नहीं कर रही है। मैंने इस मकसद के लिए फिर से आमरण अनशन करने का फैसला किया है। 30 जनवरी 2026 से मैं आमरण अनशन पर बैठूंगा।
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महाराष्ट्र में लोकायुक्त कानून कैसा है?
नागपुर में चल रहे विधानमंडल सत्र में गुरुवार को 'महाराष्ट्र लोकायुक्त संशोधन विधेयक 2025' दोनों सदनों से पास हो गया। यह विधेयक मूल कानून में राष्ट्रपति की सुझाई गई तीन मुख्य बदलावों को शामिल करता है।
किस बात पर ऐतराज है?
मूल लोकायुक्त विधेयक 2022 में विधानसभा और 2023 में विधान परिषद से पास हुआ था, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दी थी लेकिन कुछ संशोधनों की सलाह दी थी। संशोधनों में कहा गया है कि सिर्फ केंद्र के कानूनों से बने संस्थानों को राज्य लोकायुक्त के दायरे में नहीं लाया जाएगा, लेकिन अगर राज्य सरकार ने उनमें अधिकारियों की नियुक्ति की है तो वे लोकायुक्त की जांच के दायरे में आएंगे।
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नए प्रावधान क्या हैं?
मुख्यमंत्री या पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच के लिए विधानसभा में दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पास करना जरूरी होगा। कानून में केंद्र के नए आपराधिक कानूनों, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को जोड़ा गया है।
नए कानून में लोकायुक्त का अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट का मौजूदा या पूर्व मुख्य न्यायाधीश होना चाहिए। भ्रष्टाचार के मामलों के लिए विशेष अदालतें होंगी और मुकदमे एक साल में पूरा करने का प्रावधान है। पुराने कानून से नियुक्त मौजूदा लोकायुक्त का कार्यकाल नए कानून लागू होते ही खत्म हो जाएगा, लेकिन नया लोकायुक्त आने तक वे काम करते रहेंगे।
कब लागू होगा?
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि दोनों सदनों से विधेयक पास हो जाने और राष्ट्रपति की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है, इसलिए जल्द ही नया लोकायुक्त कानून लागू कर दिया जाएगा। इससे महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ जवाबदेही और मजबूत तंत्र बनेगा।