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रूस से तेल खरीदना बंद कर देगा भारत? समझिए क्यों डरे हैं एक्सपर्ट

भारत रूस का सबसे बड़ा तेल आयातक है। अमेरिका को यह बात खटकती है। अब आशंका है कि रूस से भारत तेल की खरीद कम कर सकती है।

Narendra Modi and Vladimir Putin

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन। (Photo Credit: PIB)

भारत में रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) को अपने तेल आयात में भारी कटौती का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों, रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगाए हैं, जिसका असर भारत के तेल आयात पर पड़ सकता है। रिलायंस भारत के कुल रूसी तेल आयात का लगभग आधा हिस्सा खरीदता है। रोसनेफ्ट से इसका बड़ा हिस्सा लंबे समय से आ रहा है।

ट्रेड विशेषज्ञों का कहना है कि इन प्रतिबंधों के बाद भारतीय रिफाइनरियां और बैंक अब सावधानी बरत सकते हैं, जिससे वे रोसनेफ्ट, लुकोइल या उनके सहयोगियों से सीधे तेल खरीदने या लेनदेन से बचा जा सके। ऐसा न करने पर उन्हें अमेरिका से सेकेंड्री प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।

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प्रतिबंध क्यों लगाए गए हैं?

रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है और इस साल भारत के कुल तेल आयात में रूस का हिस्सा 35 फीसदी से ज्यादा रहा है। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने इन प्रतिबंधों को रूस पर दबाव बनाने के लिए लगाया है ताकि वह यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध को खत्म करे। रूस के लिए तेल उसकी सबसे बड़ी आय का स्रोत है। भारत, चीन के बाद इसका दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है। 

भारत को बड़ा नुकसान नहीं लेकिन...

विशेषज्ञों का कहना है कि रूसी तेल पर छूट अब पहले जितनी नहीं रही और वैश्विक तेल की कीमतें भी अब स्थिर हैं। ऐसे में रूसी तेल की कमी से भारतीय रिफाइनरियों को नुकसान होगा, लेकिन यह पहले जितना बड़ा झटका नहीं होगा। फिर भी, भारत के लिए रूस जैसे पुराने रणनीतिक साझेदार से तेल आयात कम करना आसान नहीं होगा। 

 

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क्या भारत तेल आयात बंद करेगा? 

एनर्जी सेक्टर के विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम गेम-चेंजर है। भारतीय रिफाइनरियों के पास अभी रूसी तेल खरीद बंद करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। पहले भी प्रतिबंधों के बाद कुछ समाधान निकाले गए थे, लेकिन इस बार ऐसा करना मुश्किल लग रहा है।

डरे क्यों हैं मार्केट एक्सपर्ट?

  • कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि ये प्रतिबंध वैश्विक तेल बाजार को प्रभावित करेंगे। रोसनेफ्ट और लुकोइल मिलकर रूस के आधे से ज्यादा तेल उत्पादन और निर्यात को नियंत्रित करते हैं। भारत और चीन मिलकर हर दिन लगभग 28 लाख बैरल रूसी तेल आयात करते हैं, जिसका विकल्प ढूंढना चुनौतीपूर्ण होगा। 

  • भारत सरकार का रुख रहा है कि वह वहां से तेल खरीदेगा जहां सबसे सस्ता और बेहतर सौदा मिलेगा, बशर्ते वह तेल प्रतिबंधों के दायरे में न हो। अब रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंधों के कारण भारत के रूसी तेल आयात में बड़ी कमी आ सकती है।

 

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