इस बार BSP को रिवाइव कर पाएंगे आकाश आनंद? समझिए पूरा प्लान
आकाश आनंद अपने युवा जोश, रणनीति और नई टेक्नोलॉली से बहुजन समाज पार्टी में जान फूंकने की जुगत में लगे हुए हैं। BSP की 9 तारीख की रैली बेहद अहम होने जा रही है।

आकाश आनंद। Photo Credit (@AnandAkash_BSP)
बहुजन समाज पार्टी (BSP) उत्तर प्रदेश की सत्ता से 2012 से बाहर चल रही है। इस चुनाव के बाद से पार्टी का ग्राफ लगातार गिरा है। मायावती के नेतृत्व में बीएसपी ने 2007 में 403 में से 206 विधानसभा सीटें जीतकर पहली बार अपने दम पर सरकार बनाई थी। इसके बाद 2012 के चुनाव में पार्टी चुनाव हार गई और उसे 80 सीटों से संतोष करना पड़ा। इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी 80 से गिरकर 19 सीटों पर सिमट गई। हैरानी तो तब हुई जब मायावती के नेतृत्व में 2022 का चुनाव लड़ने वाली बीएसपी महज एक सीट जीत पाई। इन चुनावों में लगातार बीएसपी का जनाधार गिरता गया। पार्टी को 2007 में 30.43 फीसदी, 2012 में 25.91 फीसदी, 2017 में 22.23 फीसदी और 2022 में गिरकर 12.9 फीसदी आ गया।
बीएसपी का यही हाल यूपी में लोकसभा चुनावों में भी देखने को मिला। 2009 के लोकसभा चुनाव में जहां पार्टी ने 20 सीट, 2014 के चुनाव में शून्य, 2019 में 10 सीट (समाजवादी पार्टी से गठबंधन के कारण) और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी बीएसपी एक भी सीट नहीं जीत पाई। बीएसपी एक राष्ट्रीय पार्टी है, जो पूरे देश में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ती है। मगर, राज्यों के पिछले कई चुनावों में भी पार्टी का जनाधार सिकूड़ा है। इन चुनावों ने जनता के बीच बहन मायावती की विश्वनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगाया है।
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बीएसपी के रणनीतिकारों की चिंता
बीएसपी के गिरते जनाधार और सीटों ने पार्टी के रणनीतिकारों को चिंता में डाल दिया है। रणनीतिकार सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि आखिर पार्टी का ग्राफ इतना तेजी से क्यों गिर रहा है? पार्टी ने अपने पुराने जनाधार को वापस पाने के लिए रणनीति बनाकर काम करना शुरू कर दिया है। बीएसपी की नई रणनीति धरातल पर उतारने का जिम्मा पूर्व मख्यमंत्री और पार्टी सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद पर है। आकाश आनंद के कम अनुभव लेकिन युवा जोश के कंधों पर बहुजन समाज पार्टी कोक बार फिर से देशभर में जिदा करने की भी जिम्मेदारी है। ऐसे में आइए जानते हैं कि आकाश आनंद पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेवारी संभालते हुए कैसे बीएसपी को रिवाइव करने की कोशिश कर रहे हैं...
मायावती ने आकाश को सौंपी जिम्मेदारी
बीएसपी सुप्रीमों मायावती ने अगस्त में आकाश आनंद को बहुजन समाज पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक नियुक्त किया। अपनी नियुक्ति पर आकाश ने अपनी बुआ को धन्यवाद देते हुए कहा था, 'मैं पूरी निष्ठा और मेहनत से बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर और मान्यवर कांशीराम के आंदोलन को आदरणीय बहन जी के मार्गदर्शन एवं दिशा-निर्देश के अनुसार आगे बढ़ाने के लिए पूरे जी-जान से काम करूंगा।'
आकाश आनंद को उनकी बुआ मायावती ने सबसे पहले साल 2019 के लोकसभा के दौरान लॉन्च किया था। उस चुनाव में बीएसपी का समारवादी पार्टी से गठबंधन था। आकाश बीएसपी के स्टार प्रचारक थे। मायावती के भतीजे को सभी जानना और सुनना चाहते थे। लोगों को उम्मीद जगी कि वह कमजोर हो रही पार्टी को फिर से जिंदा कर देंगे। उस चुनाव में उन्होंने धुआंधार प्रचार किया, जिसमें सपा से गठबंधन होने के चलते बीएसपी के खाते में 10 लोकसभा सीटें आ गईं।
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आकाश आनंद की नई कवायद
इसके बाद से आकाश आनंद मीटिंग से लेकर पार्टी की रणनीति बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाते देखे गए हैं। वह लंदन से एमबीए की डिग्री लेकर आए हैं। वह टेक्नोलॉजी को भली भांति समझते हैं। उन्होंने पार्टी सुप्रीमों को नए जमाने के मीडिया सोशल मीडिया पर बीएसपी के आने का आग्रह किया, जिसके बाद पार्टी और मायावती नजर आने लगे हैं। वह देशभर में बीएसपी के लिए वैचारिकी को तो मजबूत कर ही रहे हैं, इसके साथ ही वह पार्टी की गतिविधियों को सोशल मीडिया के सभी प्लेटफॉर्म पर ला रहे हैं।
आकाश जानते हैं कि नए जमाने के कोर वोटरों तक बीएसपी की पहुंच बढ़ानी है तो पार्टी को इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप आदि प्लेटफॉर्मों पर लाना होगा क्योंकि वर्तमान समय में लगभग सभी युवा लगभग किसी ना किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद हैं। आकाश जानते हैं कि सोशल मीडिया पर पार्टी की गतिविधियों और बहुजन नायकों को क्रिएटिव तरीके से पेश करके युवाओं को उनकी जड़ों में वापस लाया जा सकता है।
आकाश आनंद की चुनौतियां
उत्तर प्रदेश में 2012 के विधानसभा चुनावों के बाद जितने भी चुनाव हुए उनमें बीएसपी का जनाधार घटता गया है। पार्टी और आकाश की सबसे बड़ी चुनौती यही है कि घटे हुए जानाधार को फिर से वापस बीएसपी से जोड़ा जाए। देखा जाए तो बीएसपी के वोटर आज भी उसके पास हैं। हालांकि, उसके वोटरों में बीजेपी और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने कुछ हद तक सेंधमारी की है। मगर थोड़ी मेहतन करने के बाद बीएसपी इन्हें वापस पार्टी से जोड़ सकती है।
मगर, आकाश आनंद की सबसे बड़ी चुनौती मुसलमान मतदाताओं को फिर से पार्टी से जोड़ना है। जो मुसलमान बड़े पैमाने पर बीएसपी के ऊपर भरोसा किया करते थे, वे अब उससे छिटक गए हैं। मुसलमान छिटककर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के पास चले गए हैं। ऐसे में आकाश आनंद को मुसलमानों में विश्वास जगाना होगा, जिससे वह बीएसपी से जुड़ सकें।
चंद्रशेखर को रोकने की चुनौती
आकाश आनंद की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद चंद्रशेखर आजाद हैं। चंद्रशेखर दलित वोटरों में अपनी पैठ बना चुके हैं। वह यूपी में मायावती के बाद एक दलित लोकप्रिय चेहरा कहे जाने लगे हैं। लोग उन्हें मानते हैं, इसकी बानगी उनकी रैलियों में दिखाई भी देती है। ऐसे में आकाश आनंद को अपनी राजनतिक काबिलियत के दम पर चंद्रशेखर से पार पाना होगा, वर्ना दलित वोटरों में चंद्रशेखर सेंधमारी करते जाएंगे।
वर्तमान में आकाश आनंद बिहार विधानसभा चुनावों में सक्रिय हैं। वह बिहार में लगातार पार्टी के लिए प्रचार, सभाएं और नुक्कड़ सभाएं करके बीएसपी के पक्ष में माहौल बना रहे हैं।
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