शशि थरूर ने राहुल गांधी और वंशवाद पर ऐसा क्या लिखा कि BJP खुश हो गई?
शशि थरूर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार हैं लेकिन उनके बयानों की वजह से पार्टी की टॉप लीडरशिप उनसे कतराती लिखी रही है। अब उन्होंने वंशवाद पर एक ऐसा संपादकीय लिखा है, जिसे लेकर वह फिर अपनों के निशाने पर हैं।

शशि थरूर और राहुल गांधी। (Photo Credit: PTI)
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने राजनीतिक वंशवाद पर कुछ ऐसा कहा है, जिसकी वजह से उनकी पार्टी कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी के निशाने पर आ गई है। बीजेपी इसे मुद्दा बना रही है और कह रही है कि वंशवादी टिप्पणी, शशि थरूर ने राहुल गांधी के खिलाफ की है। शशि थरूर और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की खबरें हाल के कुछ साल में सुर्खियों में रहीं हैं। शशि थरूर की कांग्रेस में अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं, जो कांग्रेस के आलाकमान को खटकती रही हैं।
शशि थरूर ने अपने लेख में लिखा है कि परिवारवाद वाली राजनीति से देश की सरकार की क्वालिटी खराब होती है। बीजेपी ने इसे मौका मानकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 'नेपो किड' और तेजस्वी यादव को 'छोटा नेपो किड' कहा। बीजेपी का दावा है कि थरूर ने राहुल गांधी पर सीधा हमला किया।
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विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
शशि थरूर ने 31 अक्टूबर को ओपिनियन पोर्टल 'प्रोजेक्ट सिंडिकेट' पर एक लेख लिखा था। लेख का शीर्षक 'इंडियन पॉलिटिक्स आर ए फैमिली बिजनेस' था।  उन्होंने विस्तार से बताया था कि कैसे वंशवाद से प्रेरित राजनीति शासन की गुणवत्ता को कमजोर करती है। शशि  थरूर के लेख को बीजेपी ने राहुल गांधी के खिलाफ ही इस्तेमाल किया। बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस नेता ने, पार्टी के भीतर फैले 'भाई-भतीजावाद' की पोल खोली और राहुल गांधी पर हमला बोला।
बीजेपी ने यह भी कहा है कि शशि थरूर ने महागठबंधन पर भी निशाना साधा है, जिसके प्रतिनिधि चेहरे तेजस्वी यादव हैं। तेजस्वी यादव की पार्टी में उनके पिता संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, वह खुद महागठबंधन के सीएम चेहरे हैं। राहुल गांधी भी अपने परिवार की राजनीतिक विरासत संभाल रहे हैं।
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थरूर ने अपने लेख में क्या कहा?
नेहरू-गांधी परिवार की वजह से राजनीति में 'जन्म से अधिकार' वाली सोच मजबूत हो गई। जब नेता बनने का आधार सिर्फ सरनेम हो, न कि काबिलियत या मेहनत, तो सरकार कमजोर पड़ती है। परिवारवाद से मेरिट हार जाती है।
शशि थरूर:-
भारत में राजनीतिक वंशवाद गहराई से समाया है, गांव पंचायतों से लेकर संसद तक। नेहरू-गांधी परिवार से लेकर पटनायक, ठाकरे, यादव, पासवान, अब्दुल्ला, बदाल, राव और करुणानिधि तक, हर दल-क्षेत्र में उत्तराधिकार परिवार तक सीमित हैं। 149 परिवारों के सदस्य विधानसभाओं में, 11 केंद्रीय मंत्री और 9 मुख्यमंत्री रिश्तेदार विरासत वाले रहे। 2009 में 45 से कम उम्र के दो-तिहाई सांसद नेपो किड हैं, 70% महिला सांसद परिवारवादी हैं।
शशि थरूर लिखते हैं, 'राजनीति में परिवारवाद की वजह से कई वजहों पर निर्भर है। परिवार का ब्रांड नेम कितना बड़ा है, नाम कितना बड़ा है, पैसे, पार्टी की अंदरुनी गुटबाजी, भाई-भतीजावाद,और फ्यूडल संस्कृति  इसे पाल पोस रही हैं। इसका नतीजा यह होता है कि आपकी योग्यता नहीं, वंश तय करता है कि नेतृत्व कौन करेगा। इससे शासन की गुणवत्ता गिरती है, जवाबदेही खत्म होती है।'
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कांग्रेसी नेताओं को किस हिस्से पर ऐतराज है?
शशि थरूर ने लिखा है, 'नेहरू-गांधी वंश का प्रभाव स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास से जुड़ा है। इस परिवार में स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी, और लोकसभा में नेता विपक्ष नेता राहुल गांधी और सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल हैं। यह इशारा कर रहा है कि राजनीतिक नेतृत्व एक जन्मसिद्ध अधिकार हो सकता है।'
शशि थरूर ने लिखा, 'जब राजनीतिक शक्ति योग्यता, प्रतिबद्धता या जमीनी स्तर पर जुड़ाव के बजाय वंश से निर्धारित होती है, तो शासन की गुणवत्ता प्रभावित होती है। यह तब ज्यादा खराब स्थिति में होती है, जब उम्मीदवारों की योग्यता उनका सर नेम हो।'
कांग्रेस नेताओं के निशाने पर हैं शशि थरूर?
उदित राज:-
परिवारवाद सिर्फ राजनीति में नहीं, हर क्षेत्र में है। डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बनता है, बिजनेसमैन का बच्चा बिजनेस संभालता है। राजनीति में भी यही होता है। अमित शाह का बेटा, ममता बनर्जी, पवार, नायडू, डीएमके – सबमें उदाहरण हैं। नुकसान ये कि मौके सिर्फ परिवारों तक सीमित रह जाते हैं।
प्रमोद तिवारी ने कहा, 'नेहरू सबसे काबिल पीएम थे। इंदिरा और राजीव ने देश के लिए जान दी। गांधी परिवार में बलिदान, समर्पण और काबिलियत है। बीजेपी के पास ऐसा कौन सा परिवार है?'
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राशिद अल्वी:-
लोकतंत्र में जनता वोट देती है। पिता सांसद थे तो बेटा चुनाव नहीं लड़ सकता, ऐसा कानून नहीं लगा सकते। हर क्षेत्र में यही होता है।
भारतीय जनता पार्टी ने क्या कहा है?
बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला ने कहा, 'आज मैंने शशि थरूर का एक गहन लेख पढ़ा, जिसमें उन्होंने विस्तार से बताया है कि कैसे भारतीय राजनीति तेजी से एक पारिवारिक व्यवसाय बनती जा रही है। उन्होंने अपने लेख की शुरुआत कांग्रेस के प्रथम परिवार का ज़िक्र करके की है, जिसने कई मायनों में इस विचार को वैधता प्रदान की है कि राजनीतिक पद और सत्ता जन्मसिद्ध अधिकार हैं। इस तरह की बेबाकी कांग्रेस के भाई-भतीजावाद और नामदारों के खिलाफ बोलना, वह तथाकथित प्रथम परिवार जो परिवार को प्रदर्शन से ऊपर और वंशवाद को प्रतिभा और योग्यता से ऊपर रखता है , शशि थरूर का एक साहसी कार्य है। उन्हें याद होगा कि 7-8 साल पहले मैंने भी इसी तरह के मुद्दे उठाए थे, हम सभी जानते हैं कि उसके बाद क्या हुआ था। मुझे पूरी उम्मीद है कि शशि थरूर के साथ भी ऐसा ही व्यवहार न हो।'
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