महाराष्ट्र में नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों में 'परिवारवाद' पूरी तरह से हावी नजर आ रहा है। महायुति गठबंधन ने अपने प्रमुख नेताओं के रिश्तेदारों को चुनाव में जमकर टिकट बांटे हैं। इन चुनावों में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से लेकर राज्य के कई मंत्रियों के करीबी रिश्तेदार तक मैदान में हैं।
पूरे राज्य में बीजेपी के बड़े नेताओं के कम से कम 29 रिश्तेदार चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी से भी 12 से ज्यादा नेताओं के परिजन उम्मीदवार बने हैं। सबसे हैरान करने वाला मामला ठाणे जिले के कुलगांव-बदलापुर नगर परिषद का है, जहां शिंदे गुट के एक ही नेता के परिवार के 6 सदस्य जनादेश के इंतजार में हैं।
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महायुति में कितना परिवारवाद?
महाराष्ट्र में महायुति की सरकार है। भारतीय जनता पार्टी, शिवसेना और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी प्रमुख दल हैं। एकनाथ शिंदे शिवसेना प्रमुख हैं, अजीत पवार नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के प्रमुख हैं। तीनों दलों के प्रमुख नेताओं के परिजन चुनावी मैदान में उतरे हैं। कई जगहों पर परिवारवाद इस हद तक हावी है कि एक ही परिवार के 6 सदस्य चुनावी मैदान में हैं।
बदलापुर में एक परिवार को मिला 6 टिकट
कुलगांव-बदलापुर में शिवसेना (शिंदे गुट) के शहर प्रमुख वामन म्हात्रे खुद चेयरमैन पद का चुनाव लड़ रहे हैं। उनके अलावा उनकी पत्नी वीना, भाई तुकाराम, भाभी उषा, बेटा वरुण और भतीजा भावेश भी अलग-अलग पैनल से उम्मीदवार हैं।
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बीजेपी ने पति-पत्नी और सास को एकसाथ उतारा
अंबरनाथ नगर परिषद में बीजेपी ने मेयर पद के लिए तेजश्री करंजुले को उम्मीदवार बनाया है। उनके पति अभिजीत और सास अल्पना को भी टिकट दिया है।
बड़े मंत्रियों के कौन से रिश्तेदारों ने लड़ा चुनाव?
- देवेंद्र फडणवीस: नागपुर संभाग के चिखलदरा नगर परिषद में सीएम फडणवीस के चचेरे भाई अल्हाद कालोटी भी निर्विरोध चुने गए हैं।
- गिरीश महाजन: जलगांव में जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन की पत्नी साधना महाजन जामनेर नगर परिषद से चुनाव लड़ रही हैं।
- जयकुमार रावल: धुले जिले में मंत्री जयकुमार रावल की मां नयन कुंवर रावल दोंडाईचा-वरवड़े नगर परिषद से निर्विरोध चुन ली गई हैं।
बीजेपी ने कुछ सीटों पर एक ही परिवार में कई टिकट बांटे हैं। कुलगांव-बदलापुर में ही बीजेपी ने भी कई पति-पत्नी की जोड़ियों को उतारा है।रुचिता और राजेंद्र घोरपड़े पति पत्नी हैं। शरद और कविता तेली भी दंपति हैं।
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कार्यकर्ता नाराज, फिर भी परिवारवाद
महायुति के आम कार्यकर्ताओं का कहना है कि जो लोग सालों से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं, उनकी जगह प्रभावशाली परिवारों को टिकट मिलने से वे खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। बड़े पदों पर वे तो चुनाव लड़ते हैं, अब निकाय चुनावों में भी लोग अपने परिवार को प्रमुखता दे रहे हैं।
क्यों निकाय चुनावों में परिवारवाद का बोलबाला है?
स्थानीय नेताओं का मानना है कि नगर निकाय अब नेताओं के परिवार के सदस्यों के लिए एक 'लॉन्च पैड' बन गए हैं। खुद राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी पार्षद रह चुके हैं। निकाय चुनाव, भविष्य में विधानसभा या लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए लॉन्चपैड की तरह होते हैं। दूसरी दलील यह भी है कि जिन नेताओं के जीतने की संभावना ज्यादा होती है, उन्हें मौके भी दिए जाते हैं।