बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) के लिए चुनाव होने जा रहे हैं। यह चुनाव वैसे तो 2022 में हो जाने चाहिए थे लेकिन 2026 में हो रहे हैं। BMC चुनावों के लिए 15 जनवरी को वोटिंग होगी। इस चुनाव में दोनों ठाकरे बंधु- उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे साथ आ गए हैं। तो वहीं महायुति सरकार में शामिल अजित पवार की एनसीपी अलग चुनाव लड़ रही है। बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना में गठबंधन हो गया है।
इस चुनाव में कांग्रेस अलद-थलग पड़ गई है। कांग्रेस ने पहले BMC चुनाव में अकेले ही लड़ने का एलान किया था लेकिन बाद में उसने दो पार्टियों से हाथ मिला लिया। कांग्रेस अब प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA), राष्ट्रीय समाज पक्ष (RSP) और रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया (गवई गुट) के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी।
15 जनवरी को BMC के 227 वार्डों में चुनाव होंगे। इसके लिए मंगलवार को ही नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन है।
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कौन-कितनी सीटों पर लड़ रहा?
BMC चुनावों में कई सारे सियासी समीकरण बनकर उभरे हैं। महायुति सरकार में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) और अजित पवार की एनसीपी शामिल है।
हालांकि, इस चुनाव में बीजेपी और शिवसेना ही मिलकर लड़ रहे हैं। अजित पवार की एनसीपी अलग हो गई है। बीजेपी 137 और शिवसेना 90 वार्डों में चुनाव लड़ रही है।
अजित पवार की एनसीपी अब तक 64 वार्डों पर उम्मीदवारों को उतार चुकी है। कई सारे जगहों पर अजित पवार और शरद पवार की एनसीपी साथ है।
वहीं, कांग्रेस अलग-थलग पड़ गई है। कांग्रेस 227 में से 153 वार्ड पर लड़ेगी। प्रकाश आंबेडकर की VBA 62, RSP 10 और RPI 2 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस पहले अकेले ही लड़ने वाली थी लेकिन 29 दिसंबर को ही उसने गठबंधन कर लिया।
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क्या कांग्रेस को साइड किया जा रहा?
BMC चुनावों में जिस तरह से सबने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया, उसे पार्टी को साइड करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। ठाकरे बंधुओं का साथ मिलकर लड़ना और कई जगहों पर शरद पवार और अजित पवार का साथ आना कांग्रेस को किनारे करने की कोशिश है।
इस चुनाव को नई राजनीतिक रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। कांग्रेस ने जो गठबंधन बनाया है, उसे मराठों, ओबीसी, दलितों और मुस्लिम वोट बैंक को एक साथ लाने की कोशिश भी माना जा रहा है। हालांकि, कांग्रेस नेताओं का कहना है कि वह गठबंधन की राजनीति की छाया से बाहर आना चाहती है।
गठबंधन के बाद कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि पार्टी समान विचारधारा वाली पार्टियों को साथ लेकर चलना चाहती है और धर्मनिरपेक्ष ताकतों को मजबूत करना चाहती है। यह कदम महाराष्ट्र में भविष्य की राजनीति का रास्ता खोल सकता है।
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BMC में ठाकरे परिवार का होगा कब्जा?
BMC देश की सबसे अमीर नगर निगम है। इसलिए इस पर सब कब्जा करना चाहते हैं। 1997 से 2022 तक यहां शिवसेना का कब्जा था।
2017 के चुनावों में अविभाजित शिवसेना ने सबसे ज्यादा 84 वार्डों में जीत हासिल की थी। बीजेपी ने 82 सीटें जीती थीं। हालांकि, जून 2022 में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना के 84 में से 46 पार्षद शिंदे गुट के साथ आ गए थे। साथ ही दूसरी पार्टियों के 16 पार्षद भी शिंदे के साथ आ गए थे। बीजेपी में दूसरी पार्टियों के 6 पार्षद शामिल हो गए थे। इस तरह से बीएमसी पर बीजेपी-शिवसेना गठबंधन का कब्जा हो गया था।
अब BMC पर ठाकरे परिवार के फिर कब्जे के लिए दोनों भाई साथ आ गए हैं। इसलिए इस चुनाव को ठाकरे परिवार के लिए बड़ी लड़ाई के तौर पर देखा जा सकता है। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने 24 दिसंबर को साथ आने का एलान किया था। हालांकि, दोनों ही पार्टियों ने यह नहीं बताया कि कौन-कितने वार्डों में लड़ रहा है।
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16 जनवरी को आएंगे रिजल्ट
BMC चुनाव के लिए 227 वार्ड हैं और जीत के लिए 114 पार्षदों की जरूरत है। BMC के लिए 15 जनवरी को वोट डाले जाएंगे, जबकि वोटों की गिनती 16 जनवरी को होगी।
2017 में BMC में चुनाव हुए थे। तब अविभाजित शिवसेना ने 84, बीजेपी ने 82 और कांग्रेस ने सिर्फ 31 वार्डों में ही जीत हासिल की थी। अविभाजित एनसीपी ने 9 और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने 7 सीटें जीती थीं। असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने 3 और समाजवादी पार्टी 6 वार्डों में जीती थी।