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कौन हैं दिनेश प्रताप सिंह, जिनकी राहुल गांधी से हुई तीखी बहस?

योगी सरकार में मंत्री दिनेश प्रताप सिंह और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी बीच तीखी बहस के वायरल वीडियो की हर जगह चर्चा है। दिनेश प्रताप कभी सोनिया गांधी के खास थे। मगर अब विरोधी बन चुके हैं।

Rahul Gandhi, Dinesh Pratap Singh and KL Sharma.

राहुल गांधी, दिनेश प्रताप सिंह और केएल शर्मा। ( Photo Credit: Social Media)

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और योगी सरकार में मंत्री दिनेश प्रताप सिंह के बीच तीखी बहस हुई है। सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल हो रहा है। बुधवार को रायबरेली जिले में दिशा की बैठक थी। इसमें बतौर सांसद राहुल गांधी पहुंचे। मंत्री दिनेश प्रताप सिंह के अलावा जिलेभर के विधायक और ब्लॉक प्रमुख भी मीटिंग में थे। हालांकि ऊंचाहार विधायक मनोज पांडेय ने बैठक का बहिष्कार किया। इसी दौरान राहुल गांधी और दिनेश प्रताप सिंह के बीच बहस हुई। ये वही दिनेश प्रताप सिंह हैं, जिनकी कभी सोनिया गांधी के करीबियों में गिनती होती थी। 

कौन हैं दिनेश प्रताप सिंह?

लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने रायबरेली सीट पर राहुल गांधी के खिलाफ दिनेश प्रताप सिंह को उतारा था। मगर हार का सामना करना पड़ा। 2019 में दिनेश ने सोनिया गांधी के खिलाफ भी चुनाव लड़ा और 1,67,178 मतों से हार हुई। बीजेपी से एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह योगी सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं। रायबरेली के गुनावर कमंगलपुर के रहने वाले दिनेश प्रताप सिंह के आवास पंचवटी की धमक रायबरेली की सियासत में खूब है।

 

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इस परिवार का सियासी वर्चस्व कितना है? इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगा सकते हैं कि इनके ही घर में ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष, एमएलसी और विधायकी तक रह चुकी है। मौजूदा समय में इनके बेटे पीयूष प्रताप सिंह हरचंदपुर ब्लॉक प्रमुख हैं। राहुल गांधी से बहस करने वाले दिनेश प्रताप सिंह को कांग्रेस ने 2010 और 2016 में दो बार एमएलसी बनाया, लेकिन 2018 में कांग्रेस छोड़ने के बाद दोनों परिवारों में दूरियां बढ़ गईं।

क्या है पूरा मामला?

9 सितंबर को राहुल गांधी दो दिन के रायबरेली दौरे पर पहुंचे। बुधवार यानी 10 सितंबर को रायबरेली कलेक्ट्रेट में जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की बैठक आयोजित की गई। बैठक में कुल 42 बिंदुओं पर चर्चा होनी थी। मगर हुआ यूं कि नामित सदस्यों ने इन बिंदुओं से अलग जनता के मुद्दों को उठाया तो मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने अपनी आपत्ति जताई और कहा कि तय बिंदुओं पर ही चर्चा हो।

 

दिनेश प्रताप सिंह के बगल में राहुल गांधी बैठे थे। वह दिशा के अध्यक्ष हैं। उन्होंने मंत्री को टोकते हुए कहा कि जनता से जुड़े मुद्दे को सुनना चाहिए। मंत्री अपनी बात पर डटे रहे। इस पर राहुल गांधी के दूसरी बगल में बैठे अमेठी सांसद किशोरी लाल शर्मा ने दखल दिया। उन्होंने तर्क दिया कि मीटिंग का अध्यक्ष मुख्य होता है। अध्यक्ष जन समस्याओं से जुड़े बिंदुओं पर चर्चा कर सकता है। जवाब में मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि लोकसभा में आप लोग अध्यक्ष की नहीं सुनते हैं तो यहां किसकी सुनेंगे। अब इसी बहस का वीडियो वायरल है।

 

  • दिनेश प्रताप सिंह पांच भाई हैं। 2011 से 2016 तक छोटे भाई की पत्नी सुमति सिंह रायबरेली से जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं। 
  • विधानसभा चुनाव 2017 में हरचंदपुर से छोटे भाई राकेश सिंह ने चुनाव जीता। 2022 के विधानसभा चुनाव में हार हुई|
  • छोटे भाई अवधेश सिंह भी रायबरेली से जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं।

राहुल गांधी पर लगाया तानाशाही का आरोप

मंत्री दिनेश प्रताप सिंह का कहना, 'राहुल गांधी की तानाशाही नहीं चलेगी। केंद्र और प्रदेश की सरकार रायबरेली के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इसमें राहुल गांधी का कोई योगदान नहीं है। दिशा की बैठक में राहुल गांधी रायबरेली के विकास पर चर्चा और समीक्षा के बजाय अपनी मनमानी करना चाह रहे थे, जो कि मेरे होते कभी संभव नहीं हो सकता।'

 

 

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राहुल गांधी से बेटे के हाथ मिलाने पर क्या बोले दिनेश प्रताप? 

दिनेश प्रताप सिंह के बेटे की एक फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई। इसमें दिनेश प्रताप सिंह के ब्लॉक प्रमुख बेटे पीयूष प्रताप सिंह राहुल गांधी से हाथ मिला रहे हैं। अब मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने सफाई दी। उन्होंने कहा कि कल संपन्न हुई रायबरेली दिशा की बैठक के बाद राहुल ने विधायकों और ब्लाक प्रमुख से हाथ मिलाया। ब्लॉक प्रमुख के तौर पर बैठक में शामिल मेरे बेटे से भी हाथ मिलाया। हाथ मिलाने वाली इस फोटो को कांग्रेस के भाड़े के मीडिया वर्करों ने खूब वायरल करके हमें ट्रोल कराने का प्रयास किया, जबकि हाथ सबसे मिलाया। वैसे संभव है कि मेरे बेटे को राहुल गांधी पहचानते न हो, लेकिन  मेरे कुछ आलोचक मेरे बेटे से हाथ मिलाने वाली फोटो को इसलिए वायरल कर रहे हैं कि जनता नाराज हो जाए, पार्टी नेतृत्व और सरकार नाराज हो जाए। वैसे राहुल गांधी ने हमसे हाथ नहीं मिलाया, जबकि उनके आने पर मैं खड़ा हुआ और अभिवादन भी किया।

 

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