सुरक्षा मिली है तो बताकर ही विदेश जा सकते हैं नेता? नियम जान लीजिए
देश
• NEW DELHI 12 Sept 2025, (अपडेटेड 12 Sept 2025, 12:54 PM IST)
राहुल गांधी की सुरक्षा को लेकर CRPF का कहना है कि वह अपनी सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। राहुल गांधी बिना जानकारी दिए दौरे कर रहे हैं, जो उनकी सुरक्षा के लिए खतरा है।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी। (Photo Credit: X@INCIndia)
लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर सिक्योरिटी प्रोटोकॉल तोड़ने का आरोप लगाया है। यह आरोप उनकी सुरक्षा संभाल रही CRPF ने लगाया है। इसे लेकर CRPF ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को एक चिट्ठी भी लिखी है। CRPF का कहना है कि राहुल गांधी अपनी सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। इसमें कहा गया है कि राहुल गांधी बिना बताए दौरे कर रहे हैं।
इस चिट्ठी में कहा गया है कि राहुल गांधी ने हाल ही में देश और विदेश में कुछ ऐसे दौरे किए हैं, जिसकी जानकारी उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों को नहीं दी थी। CRPF ने कहा कि ऐसी गतिविधियां हाई रिस्क VIP की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती हैं।
न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस तरह की चिट्ठियां रूटीन का हिस्सा होती हैं। गांधी परिवार की सुरक्षा को लेकर CRPF की सिक्योरिटी विंग पहले भी इस तरह की कई चिट्ठियां भेज चुकी है।
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चिट्ठी क्यों भेजी गई?
PTI ने सूत्रों के हवाले से बताया कि CRPF की सिक्योरिटी विंग ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ-साथ राहुल गांधी के ऑफिस को भी चिट्ठी भेजी है।
बताया जा रहा है कि इस चिट्ठी में CPRF ने लिखा है कि राहुल गांधी ने देश के साथ-साथ विदेश दौरों की जानकारी पहले से नहीं दी थी।
CRPF ने इस बात पर जोर दिया है कि इस तरह की गतिविधियां VIP की सुरक्षा के लिए 'खतरा' पैदा करती हैं। CRPF ने यह भी कहा कि VIP और उनके स्टाफ को जरूरी गाइडलाइंस का पालन करना चाहिए।
राहुल ने विदेश दौरों की जानकारी नहीं दी!
दावा किया जा रहा है कि राहुल गांधी ने हाल ही में कई विदेश दौरे किए हैं लेकिन इसके बाद में CRPF की सिक्योरिटी विंग को नहीं बताया गया।
बताया जा रहा है कि CRPF ने राहुल गांधी की 30 दिसंबर से 9 जनवरी तक इटली, 12 से 17 मार्च की वियतनाम, 17 से 23 अप्रैल की दुबई, 11 से 18 जून की कतर, 25 जून से 6 जुलाई की लंदन और 4 से 8 सितंबर की मलेशिया यात्रा का हवाला दिया है।
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तो क्या बताना जरूरी है?
हां। जिस किसी भी VIP को सिक्योरिटी मिली है, उसे अपनी हर गतिविधि की जानकारी देनी होती। वह देश में या विदेश में कहीं आना-जाना करता है तो उसे सुरक्षा एजेंसियों को पहले ही इसके बारे में बताना पड़ता है, ताकि सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा सकें।
गृह मंत्रालय के मुताबिक, किसी भी VIP की सुरक्षा में कैसे इंतजाम होंगे, उसकी गाइडलाइंस 'येलो बुक' में होती है। इसे 'येलो बुक' कहा जाता है, जिसका टाइटल 'Security arrangements for the protection of individuals' है। इसमें अलग-अलग कैटेगरी में सिक्योरिटी का प्रोटोकॉल क्या होगा, इसके बारे में लिखा गया।
भारत में X, Y, Y+, Z और Z+ कैटेगरी की सुरक्षा होती है। इनके अलावा स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) भी होता है, जो प्रधानमंत्री की सुरक्षा संभालता है। 2019 तक गांधी परिवार के तीनों सदस्यों- सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी SPG की सिक्योरिटी मिलती थी। 2019 में सरकार ने यह सुरक्षा वापस ले ली थी। उसके बाद उनकी सुरक्षा CPRF के पास है।
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... लेकिन क्यों?
राहुल गांधी को Z+ के साथ-साथ एडवांस्ड सिक्योरिटी लाइजन (ASL) कवर भी मिला है। यह सबसे हाई सिक्योरिटी कवर होता है।
राहुल गांधी जब भी कहीं जाते हैं तो CRPF के 10 से 12 कमांडो उन्हें सिक्योरिटी कवर देते हैं। ASL के तहत, राहुल गांधी जिस जगह जाते हैं, पहले उस जगह की अच्छी से जांच की जाती है और सबकुछ ठीक होने पर ही वहां जाने की अनुमति दी जाती है।
बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी का कहना है कि राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष हैं, उनके पास कैबिनेट मंत्री की रैंक है तो प्रोटोकॉल के हिसाब से विदेश जाने से पहले उन्हें बताना चाहिए।
वहीं, येलो बुक का प्रोटोकॉल कहता है कि जिस किसी भी व्यक्ति को सिक्योरिटी मिलती है तो उसे किसी भी देश या विदेश में दौरे पर जाने से 15 दिन पहले सुरक्षा एजेंसियों को बताना जरूरी होता है।
इतना ही नहीं, 2015 की गाइडलाइंस के तहत अगर किसी राज्य के मुख्यमंत्री, मंत्री या विधायक को विदेश जाना है तो उसे भी पहले केंद्रीय सचिवालय और विदेश मंत्रालय को बताना होता है। अगर किसी केंद्रीय मंत्री को संसद सत्र के दौरान विदेश जाना है तो उसके लिए विदेश मंत्रालय के साथ-साथ प्रधानमंत्री कार्यालय से भी मंजूरी लेनी पड़ती है।
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बीजेपी-कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप
इस पूरे मामले को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है। बीजेपी का कहना है कि राहुल गांधी क्यों विदेश दौरों के बारे में नहीं बताते हैं? वहीं कांग्रेस ने इस चिट्ठी को राहुल गांधी को डराने की कोशिश बताया है।
बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में कहा, 'राहुल गांधी को विदेश जाना है तो प्रोटोकॉल के हिसाब से बताकर जाना चाहिए।' उन्होंने कहा, 'सबसे ज्यादा प्राइवेट विजिट पर जाने वाले नेता राहुल गांधी हैं। कैसी प्राइवेट विजिट है कि विदेश में बड़े-बड़े पब्लिक फोरम पर भाषण देते हैं लेकिन भारत में उन्हें कोई क्यों नहीं बुलाता? प्राइवेट विजिट में सबसे ज्यादा भारत-विरोधी नेताओं के साथ मिलने-बैठने वाले नेता राहुल गांधी ही हैं।'
The timing of the CRPF’s letter and its instant public release raise disturbing questions. It comes just as Shri @RahulGandhi is leading the charge against the BJP’s Vote Chori carried out with the Election Commission’s complicity.
— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) September 11, 2025
▪️Is this a veiled attempt to intimidate the…
वहीं, कांग्रेस ने CRPF की चिट्ठी पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने X पर पोस्ट कर कहा, 'CRPF की चिट्ठी की टाइमिंग और उसका तुरंत सार्वजनिक होना परेशान करने वाले सवाल खड़े करता है। यह तब आया है कि जब राहुल गांधी बीजेपी की 'वोट चोरी' के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं। क्या यह विपक्ष के नेता को डराने की कोशिश है।'
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