महाराष्ट्र में विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हुए 1 साल बीत गए हैं, अब तक सदन में विपक्ष का नेता तक नहीं है। विधानसभा स्पीकर ने अभी तक, सदन में नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं किया है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का का कहना कि विधानसभा और विधान परिषद, दोनों जगहों पर विपक्ष के नेता की नियुक्ति होनी चाहिए।
उद्धव ठाकरे का कहना है कि अगर सरकार के पास प्रचंड बहुमत है तो वह विपक्ष को स्वीकारने के लिए तैयार क्यों नहीं है। नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति सरकार को करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार विपक्ष का नेता नहीं चुन पाती है तो यह पहली बार होगा कि एक सत्र, बिना नेता प्रतिपक्ष के आयोजित हो जाए।
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महा विकास अघाड़ी को क्या खटक रहा है?
महायुति के नेता उद्धव ठाकरे का कहना है कि विपक्ष के नेता का पद, संवैधानिक है। अगर कोई विपक्ष का नेता नहीं नियुक्त किया जाता है तो उपमुख्यमंत्री जैसे पद का क्या औचित्य है, वह तो संवैधानिक भी नहीं है।
उद्धव ठाकरे, शिवसेना (UBT):-
इतना प्रचंड बहुमत होने के बावजूद सरकार नेता प्रतिपक्ष से क्यों डर रही है? नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति होनी चाहिए और हम इसकी मांग करते रहे हैं। अगर सरकार विपक्ष के नेता की नियुक्ति करने में असफल रहती है तो इतिहास में यह पहली बार होगा कि कोई सत्र नेता प्रतिपक्ष के बिना आयोजित किया जाएगा।
किन पदों को असंवैधानिक बता रही महा विकास अघाड़ी?
महाराष्ट्र में महायुति के 3 घटक दलों के सहयोग से सरकार बनी है। बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी। शिवसेना के कोटे से एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम हैं, एनसीपी के कोटे से अजीत पवार। दोनों उपमुख्यमंत्रियों के पद को उद्धव ठाकरे असंवैधानिक बता रहे हैं।
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महाराष्ट्र में नेता विपक्ष की दावेदारी किसकी है?
शिवसेना (UBT) के सदन में 20 विधायक हैं। MVA दलों में यह पार्टी, सबसे बड़ी है। नेता विपक्ष का पद, शिवसेना ही मांग रही है। शिवसेना ने अपने विधायक भास्कर जाधव को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए नामित किया है।
विधान परिषद में शिवसेना (UBT) के नेता अंबादास दानवे का कार्यकाल अगस्त में खत्म हो गया। अब यह पद कांग्रेस चाहती है। कांग्रेस ने सतेज पाटिल को नेता प्रतिपक्ष के लिए नामित किया है। आंकड़े न शिवसेना के पक्ष में हैं, न ही कांग्रेस के पास।
क्यों महाराष्ट्र में नेता विपक्ष नहीं है?
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं। नेता विपक्ष बनने के लिए कम से कम 10 फीसदी सीट होना अनिवार्य है। महा विकास अघाड़ी के किसी दल के पास इतनी सीटें नहीं हैं। महाराष्ट्र में बहुमत का आकंड़ा 145 सीट है। दिलचस्प बात यह है कि महाराष्ट्र में महायुति के पास 200 से ज्यादा सीटें हैं।
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किसकी दावेदारी मजबूत है?
महाराष्ट्र में विपक्ष के किसी भी दल के पास यह संख्या नहीं हैं। शिवसेना (यूबीटी) के पास सिर्फ 20 सीट, कांग्रेस के पास 16 और एनसीपी के पास 10 सीट है। तीनों स्वतंत्र रूप से विपक्ष के नेता का पद नहीं हासिल कर सकते हैं।
महायुति क्यों नहीं दे रही है नेता विपक्ष का पद?
एकनाथ शिंदे, शिवसेना:-
जब मैं मुख्यमंत्री था, तब भी वे मुझसे कह रहे थे कि यह गैर-कानूनी है और मैं गलती से मुख्यमंत्री बन गया। यह सरकार कल गिर जाएगी। मैंने ढाई साल काम किया है। अब मैं उपमुख्यमंत्री हूं। उसके लिए भी वे कहते हैं कि यह गलती से हुआ है। विपक्ष के नेता बनने के लिए आपको लोगों की समस्याएं हल करनी होंगी। लोगों ने आपको अस्वीकार कर दिया है। पिछली लोकसभा में भी उनके नंबर कम थे। जनता ही सब कुछ करती है और जनता ही सबसे जरूरी है।
एकनाथ शिंदे का इशारा साफ है कि यह फैसला, महायुति सरकार नहीं, जनता का है कि महाराष्ट्र में विपक्ष नहीं होगा। विधानसभा में नेता विपक्ष, विपक्ष का सबसे बड़ा नेता होता है। विधानसभा में सरकार का मुख्य आलोचक होता है। अगर विपक्ष के पास 10% से अधिक सीटें हों, तो उसे आधिकारिक दर्जा, कैबिनेट मंत्री स्तर का वेतन, बंगला और सुरक्षा सुविधाएं मिलती हैं।
सदन में उसके पास प्रश्नकाल, स्थगन प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव लाने की जिम्मेदारी होती है। लोक लेखा समिति, सार्वजनिक उपक्रम समिति और अनुमान समिति जैसे समितियों का सदस्य होता है। नेता विपक्ष के पास संवैधानिक कार्यकारी शक्ति नहीं होती लेकिन वह विधानसभा में सरकार पर दबाव डालता है। अभी महाराष्ट्र में MVA के दलों के पास संख्या बल ही नहीं है।