logo

ट्रेंडिंग:

अक्षय तृतीया पर बिना मुहूर्त देखे किए जाते हैं सभी शुभ काम, जानें वजह

हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया को इस भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दिन अबूझ मुहूर्त का निर्माण होता है। जानते हैं क्या है इस मुहूर्त की खासियत।

Image of Puja Path

सांकेतिक चित्र(Photo Credit: Freepik)

हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने के लिए मुहूर्त का खास ध्यान रखा जाता है। बता दें कि प्रत्येक दिन कई योग और मुहूर्त का निर्माण होता है, जिनकी गणना शुभ या अशुभ मुहूर्त में की जाती है। बता दें कि कुछ ऐसे विशेष दिन होते हैं जब अबूझ मुहूर्त का निर्माण होता है। अक्षय तृतीया का दिन उन्हीं में से एक है। अक्षय तृतीया, जिसे 'अक्ती' या 'आखती' भी कहा जाता है, वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इसे अत्यंत शुभ दिन माना जाता है और इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती, इसलिए इसे 'अबूझ मुहूर्त' कहा जाता है।

अबूझ मुहूर्त क्यों?

'अबूझ' का अर्थ होता है- जिसे समझने या देखने की जरूरत न हो। अक्षय तृतीया को ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों उच्च स्थिति में होते हैं, जिससे यह दिन विशेष रूप से सकारात्मक और शुभ फलदायक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए दान, पूजा, जप, तप, और शुभ कार्यों का फल कभी नष्ट नहीं होता- वह ‘अक्षय’ (अविनाशी) रहता है।

 

यह भी पढ़ें: जब एक पाप के कारण पूरे ब्रह्मांड में भिक्षा मांग रहे थे भगवान काल भैरव

अक्षय तृतीया से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं

परशुराम जयंती- इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी का जन्म हुआ था। इसलिए यह दिन परशुराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।


त्रेता युग की शुरुआत- यह माना जाता है कि त्रेता युग की शुरुआत भी अक्षय तृतीया के दिन ही हुई थी, जिस युग में भगवान श्री राम ने जन्म लिया।


महाभारत का संबंध- जब पांडव वनवास में थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को अक्षय पात्र (ऐसा बर्तन जो कभी खाली नहीं होता) दिया था। माना जाता है कि ऐसा अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ था, जिससे पांडवों को कभी भोजन की कमी नहीं हुई।


गंगा अवतरण- एक मान्यता के अनुसार गंगा नदी का अवतरण पृथ्वी पर इसी दिन हुआ था। इसलिए कई स्थानों पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है।


भगवान कुबेर और देवी लक्ष्मी की कृपा- कहा जाता है कि इस दिन कुबेर देवता को धन की प्राप्ति हुई थी और मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं। इसीलिए लोग इस दिन सोना, चांदी या नया सामान खरीदते हैं, जिससे घर में बरकत बनी रहे।

 

यह भी पढ़ें: हनुमान जी होंगे भविष्य के ब्रह्मा, जानें इस पद के दायित्व

पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सुबह स्नान करके भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और परशुराम जी की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत का पालन भी करते हैं और जरूरतमंद लोगों को अन्न, जल, वस्त्र, धन व गाय दान करते हैं। विशेष रूप से इस दिन जल दान, पंखा दान, छाता दान और तांबे के पात्र दान करने की परंपरा है। यह सब गर्मी से राहत देने वाले दान माने जाते हैं। कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन श्रद्धा भाव से पूजा या दान करता है, उसे उसका कई गुना पुण्य फल मिलता है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap