हिंदू धर्म में भगवान विष्णु की उपासना के लिए एकादशी व्रत को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। फाल्गुन मास की अंतिम एकादशी, जिसे आमलकी एकादशी के रूप में जाना जाता है, 10 मार्च 2025, सोमवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है, जो पूजा-पाठ और व्रत के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं। आइए जानते हैं कि आमलकी एकादशी पर पूजा करने का शुभ समय क्या होगा और व्रत का पारण कब किया जाएगा।
आमलकी एकादशी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 10 मार्च 2025 को प्रातः 7:44 बजे समाप्त होगी। इस विशेष दिन पर पुष्य नक्षत्र का निर्माण हो रहा है, जिसे पूजा-पाठ के लिए अत्यंत उत्तम माना जाता है।
- पुष्य नक्षत्र – मध्य रात्रि तक रहेगा।
- शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ शोभन योग – दोपहर 1:55 बजे तक रहेगा।
- सर्वार्थ सिद्धि योग – प्रातः 6:40 बजे से मध्य रात्रि तक रहेगा।
- दान-पुण्य के लिए अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:08 से 12:50 तक रहेगा।
आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की उपासना विधि
धर्म शास्त्रों के अनुसार, आमलकी एकादशी के दिन विशेष विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें। पीले रंग के वस्त्र पहनें, क्योंकि यह रंग भगवान विष्णु को प्रिय है। स्नान के बाद सूर्यदेव को जल अर्पित करें। एकादशी व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन नियमपूर्वक व्रत का पालन करें। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा के समक्ष गंध, पुष्प, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
भगवान विष्णु के मंत्रों और स्तोत्रों का जाप करें। पूजा के दौरान भगवान विष्णु को फल, मिठाई और तुलसी पत्र अर्पित करें। ध्यान रखें कि एकादशी के दिन तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए, इसे एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें। पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती करें। विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करें और पूजा को विधिपूर्वक संपन्न करें। मान्यता है कि इस प्रकार, विधि-विधान से आमलकी एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।