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पितरों की उपासना के लिए श्रेष्ठ है आषाढ़ अमावस्या, यहां जानें तिथि

हिंदू धर्म में अमावस्या व्रत को बहुत महत्व दिया जाता है। आइए जानते हैं आषाढ़ अमावस्या व्रत कब रखा जाएगा और इससे जुड़ी मान्यताएं क्या हैं।

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अमावस्या तिथि के दिन पवित्र स्नान को माना जाता है महत्वपूर्ण।(Photo Credit: AI Image)

हिंदू धर्म में भगवान की पूजा के साथ-साथ पितरों की उपासना का विशेष स्थान है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, पितरों की उपासना के लिए अमावस्या तिथि को बहुत ही श्रेष्ठ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन पितरों का ध्यान करने और तर्पण आदि प्रदान करने से उनका आशीर्वाद सदैव बना रहता है। बता दें कि जल्द ही आषाढ़ अमावस्या व्रत का पालन किया जाएगा। आइए जानते हैं, आषाढ़ अमावस्या की तिथि और महत्व।

आषाढ़ अमावस्या 2025 तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 24 जूनसुबह शाम 06:55 पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 25 जून शाम 04:05 पर होगा। ऐसे में आषाढ़ अमावस्या व्रत 25 जून 2025, बुधवार के दिन रखा जाएगा।

आषाढ़ अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त

आषाढ़ अमावस्या के दिन स्नान-दान का खास स्थान है। मान्यता है कि इस दिन स्नान के बाद पितरों को तर्पण और श्राद्ध कर्म करना चाहिए। पंचांग के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है, जो सुबह 05:30 मिनट से सुबह 10:35 मिनट तक रहेगा।

 

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आषाढ़ अमावस्या पर इस तरह करें पूजा

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। घर के पूजन स्थान या तुलसी के पास दीपक जलाएं। फिर आंगन या घर के मंदिर में गंगाजल छिड़ककर शुद्धिकरण करें। फिर ब्रह्मा, विष्णु, शिव, लक्ष्मी और पितरों का ध्यान कर जल, पुष्प, दीप, धूप, अक्षत और तिल अर्पित करें। विशेष रूप से पितरों के लिए दक्षिण दिशा की ओर मुंह कर जल में काले तिल, चावल और कुश डालकर तर्पण करें।

 

जरूरतमंदों  को अन्न, वस्त्र और तिल दान करना पुण्यदायी माना जाता है। शाम को पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाकर उसकी सात बार परिक्रमा करें। मान्यता है कि इस दिन व्रत, ध्यान और साधना करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह दिन आत्मशुद्धि और पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का श्रेष्ठ अवसर है।

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