देश के विभिन्न हिस्सों में भगवान शिव के कई प्रसिद्द मंदिर स्थापित हैं। इन मंदिरों को न केवल ऐतिहासिक, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी विशेष महत्व प्राप्त है। इन्हीं में से एक है बासुकीनाथ मंदिर, जो झारखंड के दुमका जिले में स्थित है और यह भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर को बैद्यनाथ धाम के बाद दूसरा प्रमुख शिवधाम माना जाता है।
बासुकीनाथ मंदिर न केवल अपनी धार्मिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इस स्थान को रहस्यमयी और अद्भुत परंपराओं के कारण भी ख्याति प्राप्त है। बासुकीनाथ मंदिर की ख्याति इस बात से भी जुड़ी है कि इसे भगवान शिव के दरबार के रूप में देखा जाता है, जहां लोग अपने विवाद और समस्याएं लेकर आते हैं।
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बासुकीनाथ मंदिर से से जुड़ी कथाएं
बासुकीनाथ मंदिर का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि यह स्थान नागराज वासुकी से संबंधित है, जो भगवान शिव के गले में निवास करते हैं। बासुकीनाथ नाम इसी कारण पड़ा, जहां ‘बासुकी' नागराज का नाम है और 'नाथ' शिवजी का। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर का उल्लेख कई धार्मिक ग्रंथों में किया गया है।
एक मान्यता यह है कि इसी स्थान पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए नाग वासुकि ने कठोर तपस्या की तिथि, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपने गले में धारण किया था। वहीं नाग वासुकि वही हैं, जिन्होंने समुद्र मंथन के दौरान देवताओं की सहायता की थी और उनका इस्तेमाल मंदराचल पर्वत को मथने के लिए रस्सी के रूप में किया गया था।
मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण कई सदियों पहले हुआ था और यह संथाल जनजाति के क्षेत्र में स्थित है। स्थानीय लोगों की आस्था है कि यहां भगवान शिव और मां पार्वती साथ में विराजमान हैं। इस मंदिर का मुख्य शिवलिंग स्वंभू है, जिनकी पूजा आदिकाल से की जाती है।
मंदिर का रहस्य और परंपराएं
बासुकीनाथ मंदिर से जुड़ी कई रहस्यमयी परंपराएं इसे विशेष बनाती हैं। इनमें सबसे अनोखी परंपरा यह है कि यहां भक्त भगवान शिव को अपनी समस्याओं और विवादों का समाधान खोजने के लिए मुकदमा दायर करते हैं। लोग अपने झगड़े, विवाद या अन्य कठिनाइयों को कागज पर लिखकर शिवलिंग के पास रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव खुद इन समस्याओं की 'सुनवाई' करते हैं और समय के साथ इनका हल निकलता है।
मंदिर में मुकदमा दाखिल करने की यह प्रथा यहां की सबसे बड़ी विशेषता है। लोग गवाहों की तरह अपने पक्ष रखते हैं और प्रार्थना करते हैं कि भगवान शिव उनके साथ न्याय करें। इस परंपरा में किसी भी जाति, धर्म या समुदाय के भेदभाव की कोई जगह नहीं है और यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। यहां तक कि न्याय मिलने के बाद लोग धन्यवाद देने के लिए फिर से मंदिर महादेव के दर्शन के लिए आते हैं।
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मंदिर से जुड़ी मान्यताएं
बासुकीनाथ मंदिर को चमत्कारिक स्थान माना जाता है। कहा जाता है कि यहां शिवलिंग पर जल अर्पित करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। श्रावण मास में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है, क्योंकि यह महीना भगवान शिव को विशेष प्रिय है। मंदिर के पास मौजूद कुंड और जलाशयों को भी पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि यहां स्नान करने से शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
वास्तुकला और धार्मिक महत्व
बासुकीनाथ मंदिर की वास्तुकला सरल लेकिन आकर्षक है। इसका निर्माण पारंपरिक शैली में किया गया है और मंदिर का गर्भगृह भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर के चारों ओर छोटे-छोटे कई अन्य मंदिर हैं, जो विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित हैं।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।