भारत के सीमाओं की रक्षा करने वाले हमारे वीर सैनिक जहां हर समय देश की सीमाओं पर तैनात रहते हैं, वहीं वे आध्यात्मिक और धार्मिक आस्था से भी गहराई से जुड़े होते हैं। उनके जीवन में देश भक्ति और धर्म के प्रति अटूट विश्वास होता है, जो उन्हें कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी साहस, धैर्य और ऊर्जा प्रदान करता है। भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जहां भारतीय सेना के जवान नियमित रूप से दर्शन और पूजा के लिए आते हैं। इनमें से तीन मंदिर ऐसे हैं जिन्हें भारतीय सैनिकों की विशेष आस्था और विश्वास का केंद्र माना जाता है। आइए जानते हैं उन तीन प्रमुख मंदिरों के बारे में विस्तार से-
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बाबा हरभजन सिंह मंदिर – पूर्वी सिक्किम
स्थान: नाथू ला दर्रा, सिक्किम
विशेषता: भारतीय सेना के एक जवान को भगवान की तरह पूजा जाता है
पूर्वी सिक्किम के नाथू ला क्षेत्र में स्थित बाबा हरभजन सिंह मंदिर भारतीय सेना की आस्था का प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर एक ऐसे सैनिक की स्मृति में बना है जिसे आज भी "ड्यूटी पर" माना जाता है – जी हाँ, हम बात कर रहे हैं कैप्टन हरभजन सिंह की, जिन्हें बाबा हरभजन कहा जाता है।
1968 में हरभजन सिंह की मृत्यु एक दुर्घटना में हो गई थी, लेकिन उनके साथी सैनिकों का मानना है कि उनकी आत्मा आज भी सीमाओं की रक्षा करती है। कहा जाता है कि बाबा हरभजन अपने साथियों को सपनों में आकर चेतावनी देते हैं, जैसे—बर्फबारी, दुश्मन की घुसपैठ, या खतरे के संकेत।
भारतीय सेना ने भी इस आस्था को सम्मान दिया है। बाबा के नाम पर आज भी एक कमरा आरक्षित रहता है, जिसमें उनके वस्त्र, बूट, और अन्य सामान रखे जाते हैं। हर दिन उनके लिए भोजन बनता है, बिस्तर लगाया जाता है और उनका वेतन भी उनके नाम से जाता है। यह मंदिर न केवल श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि यह सैनिकों को मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति देने वाला स्थान भी है।
तनोट माता मंदिर – जैसलमेर, राजस्थान
स्थान: भारत-पाकिस्तान सीमा के पास, जैसलमेर
विशेषता: युद्ध के समय बम नहीं फटे, माता ने रक्षा की
राजस्थान के जैसलमेर जिले में भारत-पाक सीमा के बेहद पास स्थित है तनोट माता मंदिर। यह मंदिर देवी हिंगलाज माता के अवतार को समर्पित है और यहाँ माता को "तनोट राय" के नाम से पूजा जाता है। यह मंदिर भारतीय सैनिकों के बीच अत्यंत श्रद्धा का केंद्र है।
1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों के समय यह मंदिर चमत्कारिक घटनाओं के कारण प्रसिद्ध हुआ। माना जाता है कि पाकिस्तान की ओर से छोड़े गए सैकड़ों बम मंदिर परिसर में गिरे, लेकिन उनमें से एक भी नहीं फटा। यह घटना सेना के जवानों के लिए ईश्वरीय चमत्कार से कम नहीं थी।
भारतीय सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान आज भी इस मंदिर की देखरेख करते हैं और यहां रोज पूजा-अर्चना की जाती है। यह मंदिर न केवल युद्ध के समय की गवाह है, बल्कि यह भारतीय सैनिकों के आत्मबल और विश्वास का भी प्रतीक बन गया है। तनोट माता को भारत माता के रूप में भी देखा जाता है, जो अपने बच्चों की रक्षा करती हैं।
बाबा बर्फानी अमरनाथ गुफा मंदिर – जम्मू-कश्मीर
स्थान: अमरनाथ, जम्मू-कश्मीर
विशेषता: कठिन यात्रा के बावजूद सैनिकों की श्रद्धा और सेवा
अमरनाथ यात्रा भारत की सबसे पवित्र धार्मिक यात्राओं में मानी जाती है। यह मंदिर एक प्राकृतिक गुफा में स्थित है, जहां हर वर्ष बर्फ से स्वयंभू शिवलिंग का निर्माण होता है। इस मंदिर में भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों की विशेष श्रद्धा है। यात्रा के दौरान हजारों सैनिकों को अमरनाथ गुफा की सुरक्षा, मार्ग की निगरानी और तीर्थयात्रियों की सहायता में लगाया जाता है।
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बर्फीले और खतरनाक रास्तों में तैनात सैनिक न केवल अपनी ड्यूटी निभाते हैं, बल्कि खुद भी बाबा बर्फानी के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। हर साल यात्रा से पहले सैनिकों द्वारा विशेष पूजा की जाती है और यात्रा मार्ग पर सुरक्षा व्यवस्था से पहले गुफा मंदिर में 'प्रथम पूजा' भी होती है।
यह मंदिर सैनिकों के लिए केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह उन्हें आत्मबल और आंतरिक प्रेरणा का स्रोत भी प्रदान करता है। कठिन परिस्थितियों में भी डटे रहने की शक्ति उन्हें बाबा बर्फानी से मिलती है।