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इस मंदिर बनाने का क्रेडिट 'भूतों' को क्यों मिला? दिलचस्प है कहानी

मेरठ जिले दातियाना गांव में भूतों द्वारा निर्मित भगवान शिव का एक प्रसिद्ध मंदिर है। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं और धार्मिक महत्व।

Bhootonwala mandir, famous bhagwan Shiv Temple

भूतों ने किया इस मंदिर का निर्माण। (सांकेतिक चित्र, Pic Credit- Freepik)

भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनसे जुड़े रहस्य और लोकमान्यताएं हम सभी को अचंभित कर देते हैं। इनमें कुछ मंदिर पौराणिक महत्व रखते हैं, वहीं कुछ का इतिहास हमें सोच में डाल देता है। ऐसा ही एक मंदिर उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के सिम्भावली के दातियाना गांव में स्थित है। भगवान शिव का यह मंदिर आस्था, रहस्य और विभिन्न मान्यताओं से भरा हुआ है। बता दें कि भगवान शिव के इस मंदिर को भूतोंवाला मंदिर या लाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस स्थान की मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण को भूतों द्वारा एक ही रात में किया गया था।

मंदिर का निर्माण और मान्यताएं

स्थानीय लोग बताते हैं कि यह मंदिर हजारों साल पुराना है। साथ इस मंदिर के निर्माण में सिर्फ लाल ईंटों का उपयोग किया गया है। इसके निर्माण में न तो सीमेंट और न ही लोहे का प्रयोग किया गया है, जो यह सोचने पर मजबूर करता है कि कैसे यह इतने वर्षों तक जस का तस खड़ा हुआ है। मान्यता है कि भूतों ने इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में किया था, हालांकि जब तक मंदिर का निर्माण पूरा होता तब तक सूर्य देव उदित हो गए और भूत इस मंदिर के शिखर के निर्माण को अधूरा छोड़कर चले गए।

 

कई वर्षों के बाद राजा नैन सिंह ने इस अधूरे शिखर का निर्माण पूरा करवाया। लोगों का मानना है कि मंदिर ने हजारों सालों में कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया, लेकिन इसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा।

भूतोंवाला मंदिर पर क्या कहते हैं इतिहासकार?

इतिहासकारों का इस मंदिर को लेकर अलग मत है। वे भूतों द्वारा मंदिर के निर्माण की कथा को लोककथा या भ्रामक मानते हैं। उनका कहना है कि यह मंदिर गुप्तकाल (319-550 ईस्वी) में बनाया गया था। उनका करना है कि उस समय के निर्माण तकनीक और वास्तुकला की झलक इस मंदिर के निर्माण में दिखाई देती है। इसी कारण से यह संरचना आज भी सुरक्षित है।

भगवान शिव के गण कहे जाते हैं भूत

शास्त्रों में इस बात का वर्णन किया गया है कि भूत, प्रेत, पिशाच आदि भगवान शिव के गण कहे जाते हैं। बता दें कि भगवान शिव का एक नाम भोलेनाथ भी है और उनके इसी स्वभाव व भक्तों के प्रति असीम प्रेम के कारण उन्होंने भूतों को अपने गण के रूप में स्वीकार किया था। भगवान शिव के यह गण महादेव के सभी आदेशों का पालन करते हैं और उनकी सेवा में तत्पर रहते हैं।

क्या है भूतोंवाला मंदिर का धार्मिक महत्व?

भगवान समर्पित भूतोंवाला या लाल मंदिर के प्रति आस्था न केवल आसपास के क्षेत्रों में बल्कि देशभर में फैली हुई है। इस मंदिर को देखने के लिए और दर्शन करने के लिए देश-विदेश से शिव भक्त यहां आते हैं। विशेष रूप से श्रावण मास तथा शिवरात्रि के अवसर पर देशभर से हजारों की संख्या में भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं। भक्तों के अनुसार, यहां भगवान शिव की उपासना से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता.

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