हिंदू पंचांग में दिए गए कई ऐसी तिथियां जिनका अपना एक विशेष महत्व है। इनमें अमावस्या तिथि का अपना एक विशेष महत्व है। पूजा-पाठ के लिए अमावस्या व्रत को सबसे उत्तम माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को खास सिद्धियों की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं चैत्र शुक्ल पक्ष की अमावस्या कब है और इस तिथि पर क्या खास है।
चैत्र अमावस्या 2025 तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 28 मार्च रात्रि 07 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 29 मार्च शाम 04 बजकर 30 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, चैत्र अमावस्या व्रत 29 मार्च, शनिवार के दिन रखा जाएगा।
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चैत्र अमावस्या पर सूर्य ग्रहण
पंचांग में बताया गया है कि चैत्र अमावस्या पर साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। हिन्दू धर्म में सूर्य ग्रहण को महत्वपूर्ण खगोलीय घटनाओं में गिना जाता है और इस दौरान कई बातों का ध्यान रखा जाता है। हालांकि, साल 2025 का पहला सूर्य भारत में दिखाई नहीं देगा, जिस वजह से यहां सूतक काल मान्य नहीं होगा। जानकारी के लिए बता दें कि सूतक काल सूर्य ग्रहण करीब 10 घंटे पहले से शुरू हो जाता है और ग्रहण के समापन तक रहता है।
चैत्र अमावस्या किन-किन देवताओं की होती है उपासना?
गरुड़ पुराण, महाभारत, स्कन्द पुराण समेत विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि अमावस्या तिथि के दिन पितृ पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन पितरों को तर्पण प्रदान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ इस विशेष दिन पर चंद्र देव, देवी काली और शनि देव की भी उपासना की जाती है, हालांकि ऐसा अलग-अलग परंपराओं पर निर्भर करता है। कुछ स्थानों पर यम देवता की पूजा का विधान है।
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अमावस्या व्रत का महत्व
गरुड़ पुराण के अनुसार, अमावस्या के दिन पितृ तर्पण और पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती है। साथ ही पितृ दोष लगने का भय भी दूर हो जाता है। इसके साथ महाभारत काल में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को अमावस्या पर पितृ पूजा के महत्व को समझाया था। स्कन्द पुराण में बताया गया है कि अमावस्या के दिन पवित्र स्नान, दान और दीपदान करने से जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।