भगवान गणेश को सभी देवताओं और विशेष रूप से भगवान शिव तथा माता पार्वती के पुत्र के रूप में जाना जाता है। इन्हें बुद्धि, समृद्धि और शुभता का देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य, यज्ञ, पूजा, या धार्मिक अनुष्ठान में सबसे पहले गणेश जी की पूजा करने की परंपरा है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है, जो इस प्रथा का रहस्य बताती है।
भगवान गणेश की प्रथम पूजनीय बनने की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवताओं के बीच यह विवाद हुआ कि उनमें से सबसे पहले पूजा किसे की जानी चाहिए। सभी देवता स्वयं को सर्वश्रेष्ठ मानते थे, इसलिए वे इस प्रश्न का उत्तर पाने के लिए भगवान शिव के पास गए। भगवान शिव ने इस समस्या का समाधान करने के लिए एक प्रतियोगिता रखी। उन्होंने घोषणा की कि जो देवता सबसे पहले संपूर्ण ब्रह्मांड की परिक्रमा करके लौटेगा, वही प्रथम पूजनीय होगा।
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इस प्रतियोगिता में सभी देवता अपने-अपने वाहनों पर बैठकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करने के लिए निकल पड़े। भगवान गणेश के भाई भगवान कार्तिकेय भी अपने मयूर पर और अन्य देवता अपने-अपने वाहनों पर यात्रा करने लगे।
गणेश जी का वाहन मूषक था, जो बहुत धीमा था। वे जानते थे कि अपने छोटे वाहन के कारण वे इस प्रतियोगिता में जीत नहीं सकते। इसलिए उन्होंने अपनी बुद्धि का प्रयोग किया और एक अनोखा उपाय सोचा। गणेश जी ने अपने माता-पिता भगवान शिव और माता पार्वती की सात बार परिक्रमा की और उनके सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए। जब शिव जी ने इसका कारण पूछा, तो गणेश जी ने उत्तर दिया- 'माता-पिता ही संपूर्ण ब्रह्मांड के समान होते हैं। जो अपने माता-पिता की परिक्रमा करता है, वह पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा करने के समान पुण्य अर्जित करता है।'
भगवान शिव और माता पार्वती उनके इस उत्तर से अत्यंत प्रसन्न हुए। जब सभी देवता अपनी-अपनी परिक्रमा पूरी करके लौटे, तो भगवान शिव ने घोषणा की कि गणेश जी ने सबसे पहले सही रूप से ब्रह्मांड की परिक्रमा की है। इसलिए वे ही प्रथम पूजनीय होंगे और किसी भी पूजा, यज्ञ या शुभ कार्य में सबसे पहले उनकी पूजा की जाएगी।
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गणेश जी की प्रथम पूजा का फल
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है, अर्थात वे सभी बाधाओं को दूर करते हैं। उनकी पूजा करने से जीवन में आने वाली रुकावटें समाप्त हो जाती हैं। साथ ही गणेश जी को विद्या और बुद्धि के देवता माना जाता है। उनकी कृपा से व्यक्ति को ज्ञान अर्जित करने की शक्ति मिलती है। एक मान्यता यह भी है कि गणेश जी की पूजा से घर में सुख, समृद्धि और सौभाग्य बना रहता है। इसके साथ कोई भी नया कार्य शुरू करने से पहले गणेश जी की आराधना करने से वह कार्य सफल होता है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।