चंडीगढ़ का नाम सुनते ही साफ-सफाई और आधुनिक शहर की छवि उभरती है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस शहर का नाम देवी चंडी के नाम पर पड़ा है। चंडी माता का यह मंदिर प्राचीन समय से आस्था और श्रद्धा का केंद्र रहा है। यह मंदिर चंडीगढ़ से कुछ किलोमीटर दूर पंचकूला जिले में स्थित है और श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है।
चंडी मंदिर से जुड़ी पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवी चंडी को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस मंदिर का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। कहा जाता है कि इस क्षेत्र में देवी चंडी ने असुरों का संहार कर धर्म की रक्षा की थी। ऐसा माना जाता है कि यहां की मूर्ति स्वयंभू स्वत प्रकट है और इसमें मां की दिव्य ऊर्जा विराजमान है। भक्तों का विश्वास है कि यहां सच्चे मन से की गई प्रार्थना अवश्य फलदायी होती है।
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ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का संबंध द्वापर युग से है। जब पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान इस क्षेत्र में आए थे, तब उन्होंने माता चंडी की उपासना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया था।
एक अन्य कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक राजा ने देवी चंडी की कृपा प्राप्त करने के लिए यहां कठोर तपस्या की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें दर्शन दिए और आशीर्वाद दिया कि यह स्थान शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र बनेगा। तब से यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
देवी चंडी के नाम पर ही रखा गया है सैन्य छावनी का नाम
चंडी माता मंदिर का नाम सिर्फ आस्था ही नहीं, बल्कि सैन्य सम्मान से भी जुड़ा हुआ है। इस मंदिर के नाम पर ही चंडी मंदिर आर्मी स्टेशन का नाम रखा गया है। यह मंदिर सैनिकों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि अधिकतर सैनिक माता चंडी के उपासक होते हैं। चूंकि यह मंदिर छावनी क्षेत्र में स्थित है, इसलिए इसकी महिमा और भी बढ़ जाती है।
आधुनिक समय में भी इस मंदिर का विशेष महत्व है। भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इस मंदिर के दर्शन किए थे और यहीं से 'चंडीगढ़' नाम की प्रेरणा मिली थी। यह मंदिर आज भी श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र स्थल है। मंदिर की वास्तुकला भी दर्शनीय है। यहां मां चंडी की प्रतिमा अत्यंत दिव्य और तेजस्वी मानी जाती है। नवरात्रि के समय इस मंदिर में विशेष आयोजन होते हैं, जिनमें दूर-दूर से भक्त माता के दर्शन के लिए आते हैं। इस दौरान भव्य जागरण और भंडारे का आयोजन किया जाता है।
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यहां आने वाले श्रद्धालु मां चंडी से सुख-समृद्धि, संतान प्राप्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं। मान्यता है कि माता अपने भक्तों की पुकार अवश्य सुनती हैं और उन्हें आशीर्वाद देती हैं। इसके साथ ही, मंदिर के आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य भी मन को शांति प्रदान करता है।