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क्यों देवी-देवताओं के जन्मदिन पर दावत की जगह रखा जाता है उपवास? जानें

सनातन धर्म में व्रत की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। आइए जानते हैं कि किसी विशेष दिन पर व्रत का पालन क्यों किया जाता है।

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सांकेतिक चित्र।(Photo Credit: AI Image)

हिंदू धर्म में देवी-देवताओं के जन्मोत्सव या विशेष पर्वों पर व्रत रखने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। हालांकि, कई लोग ये तर्क देते हैं कि जन्मोत्सव के अवसर पर अच्छे पकवान बनने चाहिए, क्योंकि यह एक खुशी का दिन है। मगर विशेष दिनों पर व्रत न सिर्फ शारीरिक अनुशासन का ही प्रतीक नहीं होता, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि और भक्ति का भी माध्यम होता है। 

जन्मोत्सव या विशेष दिनों पर क्यों रखा जाता है व्रत

हिंदू धर्म में किसी विशेष पर्व के दिन व्रत रखना मान्य है या नहीं यह व्यक्ति के जीवनशैली पर निर्भर करता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ लोग हर दिन फलाहार या सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं, जिससे उनका चित्त और मन शुद्ध होता है। वहीं कई लोग आम दिनों पर तरह-तरह के आहार लेते हैं, जिससे भगवान के प्रति भक्ति और उनके लिए की उपासना का प्रभाव कम हो सकता है। इसलिए कुछ विशेष दिनों पर व्रत का पालन करने के लिए उस निर्धारित अवधि में पूजा का पूर्ण फल होता है। मान्यता है कि व्रत रखने से मनुष्य अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखकर, भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करता है और उनकी कृपा प्राप्त करता है।

 

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विशेष दिनों पर व्रत रखने के पीछे कारण

शास्त्रों में बताया गया है कि उपवास करने से मन और आत्मा की शुद्धि होती है, जिससे व्यक्ति अधिक एकाग्र होकर भक्ति कर सकता है। इसके साथ व्रत का पालन करने से मनुष्य की इच्छाओं पर नियंत्रण रहता है और वह संयमित जीवन जीने की प्रेरणा पाता है।

 

आयुर्वेद शास्त्र में यह बताया गया है कि उपवास करने से शरीर की पाचन प्रक्रिया को आराम मिलता है और शरीर से विषैले तत्व बाहर निकलते हैं, जिससे शरीर स्वस्थ रहता है।

बता दें कि पुराण और शास्त्रों में व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। देवी-देवताओं के जन्मदिन पर व्रत रखना उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने का एक माध्यम माना जाता है।

पांच प्रमुख देवी-देवताओं के व्रत और उनके प्रकार

भगवान शिव व्रत- भगवान शिव को सृष्टि को पालनहार के रूप में पूजा जाता है। महादेव को प्रसन्न करने के लिए अधिकांश भक्त हर सोमवार को उपवास रखते हैं। इसके साथ महाशिवरात्रि के दिन पूरी रात जागरण और भजन-कीर्तन के साथ उपवास रखा जाता है। साथ ही सावन मास में विशेष रूप से शिवजी को जल अर्पित करके व्रत रखा जाता है।

 

श्री गणेश व्रत- भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए गणेश चतुर्थी व्रत के दिन भक्त निर्जला उपवास रखते हैं और चंद्रमा के दर्शन नहीं करते। वहीं हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन संकष्टी चतुर्थी व्रत का पालन किया जाता है, जो संतान और सुख-समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

 

मां दुर्गा व्रत- मां दुर्गा शक्ति और ऊर्जा की देवी हैं। उनके भक्त शक्ति प्राप्त करने के लिए नवरात्रि व्रत रखते हैं। नवरात्रि व्रत नौ दिनों तक रखा जाता है, जिसमें भक्त केवल फलाहार या एक समय भोजन करते हैं। इसके साथ मां भगवती और हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए मंगलवार व्रत रखा जाता है।

 

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भगवान विष्णु व्रत- भगवान विष्णु जगत के पालनहार माने जाते हैं। उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए हर महीने दो बार एकादशी व्रत रखा जाता है, जो मोक्ष और पापों के नाश के लिए किया जाता है। इसके साथ गुरुवार व्रत को भी बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। साथ ही भगवान कृष्ण के जन्मदिन पर निर्जला उपवास रखा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को विशेष लाभ प्राप्त होता है।

 

सूर्य देव व्रत- बता दें कि भगवान सूर्य को प्रत्यक्ष देवता के रूप में पूजा जाता है। उनकों प्रसन्न करने के लिए  रवि‍वार व्रत किया जाता है, जिसे बहुत ही फलदाई माना जाता है। इसके साथ छठ व्रत जो विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में मनाया जाता है, जिसमें भक्त लगातार दो दिन उपवास रखते हैं। इसके साथ हर महीने शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन व्रत जाता है। मान्यता है कि सूर्य देव कि उपासना करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।

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