logo

ट्रेंडिंग:

देवी सिद्धिदात्री: ध्यान मंत्र से लेकर आरती तक, जानें सबकुछ

नवरात्रि के नौवें दिन देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं देवी सिद्धिदात्री का ध्यान मंत्र, आरती और पूजा विधि।

Representational Picture

प्रतीकात्मक तस्वीर: Photo credit: AI

नवरात्रि के नौवें दिन देवी दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जब ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना कर रहे थे और उन्हें दिव्य शक्तियों की जरूरत थी, तब देवी दुर्गा ने सिद्धिदात्री रूप धारण कर आठों सिद्धियां प्रदान कीं थीं। मान्यता है कि इन्हीं शक्तियों से ब्रह्मांड की रचना पूर्ण हुई। यही वजह है कि सिद्धिदात्री को सम्पूर्ण सिद्धियों और मोक्ष की दात्री माना जाता है। देवी सिद्धिदात्री की पूजा विधि भी खास मानी गई है। सुबह स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर देवी की प्रतिमा या तस्वीर को लाल कपड़े पर स्थापित किया जाता है। फूल, चंदन, धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित कर देवी के इस मंत्र 'ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः' का जाप किया जाता है। 

 

भक्तों का विश्वास है कि इस दिन की पूजा से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं, सिद्धियां मिलती हैं और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। सिद्धिदात्री से जुड़े कई प्रमुख तीर्थस्थल भी देशभर में प्रसिद्ध हैं। मध्य प्रदेश का इंदौर स्थित बिजासन माता मंदिर, असम का ढेकियाजुली सिद्धिदात्री दुर्गा मंदिर, वाराणसी का सिद्धेश्वरी मंदिर और बिहार के मुफ्फरपुर का मारिपुर स्थित सिद्धिदात्री स्थान श्रद्धालुओं के बड़े आस्था केंद्र हैं। उत्तर प्रदेश के दोहरीघाट और आगरा के सतोगुनी दरबार में भी सिद्धिदात्री माता की विशेष पूजा होती है। नवरात्रि के दौरान इन मंदिरों में हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं और देवी की आराधना करते हैं।

 

यह भी पढ़ें: देवी दुर्गा ने क्यों लिया था सिद्धिदात्री का अवतार? जानें कथा और महत्व

देवी सिद्धिदात्री की पूजा विधि

नवरात्रि के नवम दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन की पूजा से भक्त को सभी तरीके की सिद्धियां, शक्ति, ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 

पूजा विधि

  • स्नान व शुद्धि – सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें और पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • आवाहन मंत्र का उच्चारण कर देवी का ध्यान करें।
  • फूल, अक्षत, रोली, चंदन, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
  • लाल फूल, कमल, धूप-दीप विशेष प्रिय माने जाते हैं।
  • सिद्धिदात्री मंत्र का जाप करें।
  • पूजा के अंत में आरती करें और प्रसाद बांटें।

देवी सिद्धिदात्री से जुड़े मंत्र

ध्यान मंत्र

 

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदा शुभदात्री च सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते।।

 

बीज मंत्र

 

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।।

 

सिद्धिदात्री मंत्र

 

ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।।

 

यह भी पढें: अष्टमी और नवमी के दिन जरूरी है कन्या पूजन, जानिए पूजन की हर एक बात

आरती देवी सिद्धिदात्री की

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निसदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।

जय अम्बे गौरी...

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको।।

जय अम्बे गौरी...

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गलमाला, कंठन पर साजै।।

जय अम्बे गौरी...

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुख हारी।।

जय अम्बे गौरी...

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योति।।

जय अम्बे गौरी...

शुम्भ निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोकन नेत्रों से, संहारक त्राती।।

जय अम्बे गौरी...

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोनित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।

जय अम्बे गौरी...

ब्रहमाणी रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानि, तुम्हारी महिमा जानी।।

जय अम्बे गौरी...

तुम हो जग की माता, तुम ही हो भर्ता।
भक्तन की दुख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।

जय अम्बे गौरी...

भुज चारो सोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर-नारी।।

जय अम्बे गौरी...

कंचन थार विराजत, अगर कपूर बाती।
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।।

जय अम्बे गौरी...

पूजा का महत्व

  • देवी सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्त को सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
  • जीवन में आने वाली रुकावटें और भय दूर होते हैं।
  • आध्यात्मिक साधना करने वालों के लिए यह दिन विशेष रूप से मोक्षदायक माना गया है।
  • नवरात्रि का समापन इन्हीं की पूजा से होता है, इसलिए इन्हे पूर्णता और सिद्धि का प्रतीक कहा गया है।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap