logo

ट्रेंडिंग:

देवी दुर्गा ने क्यों लिया था सिद्धिदात्री का अवतार? जानें कथा और महत्व

नवरात्रि का 9वां दिन देवी सिद्धिदात्री को समर्पित है। मान्यता के अनुसार, इस दिन देवी की पूजा करने से सिद्धियां प्राप्त होती हैं।

Representational Picture

प्रतीकात्मक तस्वीर: Photo Credit: AI

नवरात्रि के 9वां और अंतिम दिन देवी दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जब सृष्टि की रचना अधूरी रह गई थी और ब्रह्मा जी को जीव-जगत के निर्माण के लिए अलौकिक शक्तियों की जरूरत थी, तब देवी दुर्गा ने सिद्धिदात्री रूप धारण किया था। उन्होंने ब्रह्मा जी को आठों सिद्धियां प्रदान कीं थीं, जिनमें अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व था। मान्यता के अनुसार, इन्हीं शक्तियों से सृष्टि का संचालन संभव हुआ। यही वजह है कि देवी सिद्धिदात्री को संपूर्ण ब्रह्मांड की शक्तियों का मूल स्रोत माना जाता है।

 

कथा यह भी है कि भगवान शिव ने जब देवी की आराधना की, तो सिद्धिदात्री ने उन्हें सभी सिद्धियां दीं। तभी भगवान शिव का आधा अंग देवी में विलीन हो गया और वह अर्धनारीश्वर कहलाए। भक्तों का विश्वास है कि नवरात्रि के इस दिन सिद्धिदात्री की पूजा करने से जीवन में ज्ञान, भक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही, हर तरह की सिद्धि और सफलता का मार्ग खुलता है। देवी सिद्धिदात्री की कृपा से न केवल सांसारिक इच्छाएं पूरी होती हैं, बल्कि आत्मिक शांति और शक्ति भी मिलती हैं।

 

यह भी पढें: अष्टमी और नवमी के दिन जरूरी है कन्या पूजन, जानिए पूजन की हर एक बात

देवी सिद्धिदात्री के अवतार की कथा

देवी के अवतार से जुड़ी कथा के अनुसार, बताया गया है कि जब सृष्टि की रचना हो रही थी, तब ब्रह्मा जी को जीवों के निर्माण में कठिनाई हो रही थी। सृष्टि की पूर्णता के लिए उन्हें दिव्य शक्तियों की जरूरत थी। तभी देवी दुर्गा ने सिद्धिदात्री रूप धारण किया और ब्रह्मा जी को आठों सिद्धिया प्रदान कीं। कथा के अनुसार, इन्ही सिद्धियों की शक्ति से ही ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना की थी

 

इसके अलावा एक कथा यह भी है कि भगवान शिव ने जब सिद्धिदात्री की आराधना की, तो देवी ने उन्हें सभी सिद्धिया प्रदान कीं थीं। मान्यता के अनुसार, उसी शक्ति के प्रभाव से भगवान शिव का आधा अंग देवी में विलीन हो गया और व अर्धनारीश्वर कहलाए।

यह देवी भक्तों को आठों प्रकार की सिद्धियां देती हैं

अणिमा बहुत छोटा हो जाना

 

महिमा बहुत बड़ा हो जाना

 

गरिमा बहुत भारी हो जाना

 

लघिमा बहुत हल्का हो जाना

 

प्राप्ति जो चाहें उसे प्राप्त करना

 

प्राकाम्य इच्छित वस्तु प्राप्त करना

 

ईशित्व दूसरों पर अधिकार या नियंत्रण

 

वशित्व सबको अपने वश में करना

 

यह भी पढ़ें: शुंभ-निशुंभ को मारने वाली देवी कौशिकी की कथा क्या है?

देवी सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व

यह अवतार दर्शाता है कि संपूर्ण ब्रह्मांड की शक्तिया देवी से ही उत्पन्न होती हैं।

 

सिद्धिदात्री भक्तों को न केवल सिद्धिया देती हैं बल्कि ज्ञान, भक्ति, और मोक्ष भी प्रदान करती हैं।

 

मान्यता के अनुसार, जो व्यक्ति नवरात्रि में देवी सिद्धिदात्री की पूजा करता है, उसे जीवन में पूर्णता, शक्ति और सफलता प्राप्त होती है।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap