देशभर में दशहरा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व केवल एक त्योहार नहीं बल्कि अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि दशहरे का पर्व भगवान राम के जरिए रावण का वध करने और धरती से अधर्म का नाश करने की याद में मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार, इसी दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध कर संसार में धर्म और शक्ति की स्थापना की थी। दशहरा केवल रामलीला और रावण दहन तक सीमित नहीं है। यह दिन सच्चाई, साहस, भक्ति और धर्म के मूल्य को भी दर्शाता है।
इस पर्व को शास्त्रों के अनुसार, शुभ मुहूर्त में ही मनाना शुभ माना जाता है। इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले या सूर्योदय के समय शुभ मुहूर्त में पूजा-अर्चना करना सबसे लाभकारी माना जाता है। खासकर व्यापार, शिक्षा और नए काम की शुरुआत के लिए दशहरा का दिन बहुत शुभ माना जाता है। दशहरा पर्व के दौरान मंदिरों और बाजारों में उत्सव का माहौल देखने को मिलता है।
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दशहरा 2025 तिथि पूजन मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, दशहरा की दशमी तिथि की शुरुआत 1 अक्टूबर की शाम 7 बजकर 01 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 2 अक्टूबर, गुरुवार शाम 7 बजकर 10 मिनट पर होगा। पूजन के लिए 2 अक्टूबर को दशहरा के दिन सबसे विशेष मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 09 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजकर 56 मिनट तक रहेगा, जिसकी अवधि 47 मिनट की रहेगी। वहीं, अपराह्न पूजा का समय (देवी अपराजिता और शस्त्रों के पूजन का समय) दोपहर 1 बजकर 21 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 44 मिनट तक रहेगा, जिसकी अवधि 2 घंटे 22 मिनट की रहेगी।
दशहरा 2025 रावण दहन मुहूर्त
मान्यता के अनुसार, दशहरा या विजयादशमी के दिन रावण दहन हमेशा प्रदोष काल में किया जाता है। प्रदोष काल का समय सूर्यास्त के बाद शुरू होता है। इस दिन सूर्यास्त का समय शाम 6 बजकर 05 मिनट पर शुरू होगा और इसी के बाद से रावण दहन भी शुरू हो जाएगा।
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दशहरा के दिन क्या करना चाहिए?
दशहरे के दिन शमी का पौधा लगाना शुभ माना जाता है। अगर आपके पास बगीचा है तो वहां या फिर घर में गमले में शमी का पौधा लगा सकते हैं। इस पौधे को दक्षिण दिशा में रखने से घर में नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती और खुशहाली बनी रहती है। वहीं, एक परंपरा है कि दशहरे के दिन झाडू खरीदकर मंदिर में दान करना चाहिए और जरूरतमंदों को भी देना चाहिए, इससे आर्थिक स्थिति अच्छी होती है।