भारत से जन्म लेकर पूरे एशिया में फैल चुके बौद्ध धर्म ने समय के साथ अनेक धाराएं और परंपराएं अपनाईं, जो आज दुनिया भर में अलग-अलग रूपों में विद्यमान हैं। महात्मा बुद्ध के उपदेशों पर आधारित इस धर्म ने करुणा, अहिंसा और ज्ञान के मार्ग से मानवता को नई दिशा दी। सदियों के विकास के बाद यह धर्म मुख्य रूप से तीन प्रमुख संप्रदायों थेरवाद, महायान और वज्रयान में बंट गया। हर संप्रदाय की अपनी दार्शनिक सोच, साधना पद्धति और धार्मिक आचरण प्रणाली है।
थेरवाद बौद्ध धर्म, जिसे ‘हीनयान’ भी कहा जाता है, यह बुद्ध के मूल उपदेशों के सबसे करीब माना जाता है। यह आत्ममोक्ष पर केंद्रित है और पाली त्रिपिटक पर आधारित है। श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड और कंबोडिया में इसकी गहरी जड़ें हैं। ऐसे ही अन्य संप्रदायों की दार्शनिक सोच, साधना पद्धति और धार्मिक आचरण प्रणाली है।
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बौद्ध धर्म की तीन प्रमुख शाखाएं
थेरवाद
यह बौद्ध धर्म की सबसे पुरानी शाखा है। थेरवाद बौद्ध धर्म की मूल शिक्षाओं और पाली सुत्तों को महत्व देता है। श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया आदि देशों में यह सबसे ज्यादा प्रचलित है।
महायान
महायान संप्रदाय ने बाद में विकास किया। इस शाखा में बुद्ध और बोधिसत्त्वों की भूमिका, करुणा और सभी प्राणी-मुक्ति की अवधारणा ज्यादा व्याप्त है। चीन, जापान, कोरिया, वियतनाम आदि में महायान बौद्ध धर्म प्रमुख है।
वज्रयान
यह शाखा महायान का ही भाग मानी जाती है लेकिन इसमें तांत्रिक अभ्यास, मन्त्र, देवी-देवता, विशेष कर्मकाण्ड आदि शामिल होते हैं। तिब्बती बौद्ध धर्म का यह एक मुख्य रूप है।
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थेरवाद बौद्ध धर्म
मुख्य विचार: बुद्ध के मूल उपदेश, ध्यान और व्यक्तिगत मोक्ष (निर्वाण) पर जोर।
मुख्य ग्रंथ: पाली त्रिपिटक
मुख्य क्षेत्र: श्रीलंका, म्यांमार (बर्मा), थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया, भारत के कुछ हिस्से (विशेषकर बिहार और उत्तर प्रदेश)।
थेरवाद के प्रमुख उप-संप्रदाय
महा निकाय – थाईलैंड में सबसे बड़ा संप्रदाय, साधारण बौद्ध अनुशासन पर आधारित।
धम्मयुत निकाय – थाईलैंड का दूसरा प्रमुख समूह, सुधारवादी दृष्टिकोण वाला।
अमरपुरा निकाय – श्रीलंका का पारंपरिक बौद्ध समुदाय।
रामण्णा निकाय – श्रीलंका और म्यांमार में सक्रिय।
महायान बौद्ध धर्म
मुख्य विचार: केवल व्यक्तिगत निर्वाण नहीं, बल्कि सभी जीवों की मुक्ति (बोधिसत्व आदर्श)।
मुख्य ग्रंथ: महायान सूत्र, जैसे – लोटस सूत्र, अवतंसक सूत्र, हृदय सूत्र।
मुख्य क्षेत्र: चीन, जापान, कोरिया, नेपाल, वियतनाम, भारत के हिमालयी क्षेत्र।
महायान के प्रमुख उप-संप्रदाय
माध्यमक – नागार्जुन द्वारा स्थापित; ‘शून्यता’ सिद्धांत पर आधारित।
योगाचार – आसंग और वसुबंधु द्वारा स्थापित; मन-केवल दर्शन पर आधारित।
जेन – ध्यान पर केंद्रित, चीन और जापान में लोकप्रिय।
शुद्धभूमि – अमिताभ बुद्ध की भक्ति पर आधारित संप्रदाय।
निचिरेन – जापान में विकसित, मंत्र 'नम म्योहो रेंगे क्यो' के जाप पर आधारित।
वज्रयान बौद्ध धर्म
मुख्य विचार: तंत्र, मंत्र, योग और प्रतीकात्मक साधनाओं के माध्यम से शीघ्र मोक्ष।
मुख्य क्षेत्र: तिब्बत, लद्दाख, सिक्किम, भूटान, मंगोलिया, नेपाल।
मुख्य ग्रंथ: तांत्रिक सूत्र (तंत्र)
वज्रयान के प्रमुख उप-संप्रदाय
निंगमा – तिब्बती बौद्ध धर्म का सबसे पुराना संप्रदाय।
काग्यू – गुरु-शिष्य परंपरा पर आधारित; ध्यान योग पर विशेष बल।
साक्या – दर्शन और अनुशासन का मिश्रण।
गेलुग – ‘दलाई लामा’ की परंपरा इसी से जुड़ी है।
बोन – तिब्बत का प्राचीन धार्मिक रूप जो बाद में बौद्ध धर्म में समाहित हुआ।
भारत में आज के प्रमुख बौद्ध समुदाय
नवयान बौद्ध – डॉ भीमराव अंबेडकर के जरिए 1956 में स्थापित नया रूप, जो सामाजिक समानता और न्याय पर केंद्रित है।
लद्दाख और हिमाचल के वज्रयान अनुयायी – मुख्य रूप से गेलुग और काग्यू परंपरा का पालन करते हैं।
बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश में नवबौद्ध समुदाय – थेरवाद और नवयान पर आधारित।