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पार्वती के पुत्र थे कार्तिकेय फिर कृतिकाएं क्यों कहलाती हैं उनकी मां?

कार्तिकेय को कृतिका नक्षत्र की देवियों और पार्वती का पुत्र कहा जाता है। इसके पीछे की पौराणिक कथा को जानते हैं कि ऐसा क्यों?

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प्रतीकात्मक तस्वीर, AI Generated Image

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हिंदू धर्म में मां का दर्जा केवल जन्म देने तक सीमित नहीं है बल्कि बच्चे का पालन-पोषण करने वाली मां को भी उतना ही सम्मान दिया गया है। धार्मिक मान्यताओं में इसके कई उदाहरण मिलते हैं। भगवान श्रीकृष्ण को देवकी और यशोदा, दोनों का पुत्र माना जाता है। देवकी ने उन्हें जन्म दिया जबकि यशोदा ने उनका लालन-पालन किया। इसी तरह भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय को भी केवल पार्वती का ही नहीं बल्कि कृतिकाओं का पुत्र भी कहा जाता है। इसके पीछे जुड़ी पौराणिक कथाएं इस मान्यता को स्पष्ट करती हैं।

 

भगवान श्रीकृष्ण के जन्म और उनके पालन की कथा तो सभी जानते हैं लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि कार्तिकेय को भी दो देवियों का पुत्र माना गया है। हमारी धार्मिक कथाएं इस विश्वास के कारणों को विस्तार से समझाती हैं।

 

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जन्म की कहानी

हिंदू धर्मग्रंथों, विशेष रूप से शिव पुराण और स्कंद पुराण में कार्तिकेय के जन्म की कथा बहुत ही अद्भुत बताई गई है। मान्यता है कि उनकी एक नहीं बल्कि कई माताएं थीं। कृतिका नक्षत्र की देवियों को उनकी माता माना जाता है, क्योंकि उन्होंने ही बालक कार्तिकेय का पालन-पोषण किया था।

 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, तारकासुर का वध केवल शिव के तेज से उत्पन्न बालक ही कर सकता था लेकिन शिव का तेज इतना प्रबल था कि कोई भी सामान्य गर्भ उसे धारण करने में सक्षम नहीं था।

 

सबसे पहले अग्नि देव ने उस तेज को धारण किया लेकिन उसकी शक्ति को सहन न कर पाने के कारण उन्होंने उसे गंगा में प्रवाहित कर दिया। माता गंगा ने उस तेज को शरवन नामक वन में स्थित एक सरोवर के पास छोड़ दिया। वहीं उस तेज से एक अत्यंत सुंदर बालक का जन्म हुआ, जिन्हें कार्तिकेय कहा गया।

 

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कृतिकाओं के पुत्र

जिस समय उस सरोवर में बालक प्रकट हुआ उसी समय वहां स्नान करने के लिए छह कृतिकाएं आईं। कृतिकाओं को नक्षत्रों की अधिष्ठात्री देवियां माना जाता है। बालक को अकेला देखकर उनके हृदय में ममता उमड़ पड़ी और वे स्वयं को रोक नहीं सकीं। उन्होंने उसे गोद में उठाया और अपने बच्चे की तरह उसकी देखभाल करने लगीं। सभी देवियों ने पार्वती के पुत्र का प्रेमपूर्वक पालन-पोषण किया।

 

जब देवी पार्वती और भगवान शिव को अपने पुत्र के बारे में पता चला, तो वे उसे लेने वहां पहुंचे। यह देखकर कृतिकाएं बहुत दुखी हो गईं, क्योंकि पालन-पोषण के दौरान उन्हें बालक से गहरा लगाव हो गया था। तब पार्वती ने उनके प्रेम से प्रसन्न होकर कृतिकाओं का सम्मान किया और घोषणा की कि बालक कार्तिकेय के नाम से जाना जाएगा तथा संसार में आप उसकी माता के रूप में सदैव स्मरण की जाएंगी।


नोट: इस खबर में लिखी गई बातें धार्मिक और स्थानीय मान्यताओं पर आधारित हैं। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।

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