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महाकुंभ में 13 अखाड़ों के अलावा आते हैं ये 10 अखाड़े, ये हैं उनके नाम

कुंभ मेले में 13 अखाड़ों के अलावा भी कई अखाड़े शामिल होते हैं, जिनकी अपनी मान्यताएं हैं। आइए हैं हैं उन अखाड़ों के नाम और उनके महत्व।

Image of Sadhu in Kumbh Mela

सांकेतिक चित्र।(Photo Credit: PTI)

भारत की प्राचीन संस्कृति में कुंभ मेला एक ऐसा महापर्व है, जिसमें देश के हर हिस्से से साधु-संत, तपस्वी और श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए आते हैं। कुंभ मेले में मुख्य आकर्षण का केंद्र अखाड़ों का जमावड़ा है, जिसमें साधु और नागा साधु प्रमुख होते हैं। सामान्य रूप से कुंभ में 13 प्रमुख अखाड़ों की चर्चा होती है लेकिन इसके अलावा भी कई अन्य अखाड़े हैं जो कुंभ के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को बढ़ाते हैं। इन अखाड़ों की अपनी विशिष्ट परंपरा, अनुयायियों का समूह और धार्मिक दृष्टिकोण है। आइए इन अखाड़ों के नाम, उनकी परंपराओं और महत्व पर विस्तृत चर्चा करते हैं।

किन्नर अखाड़ा

किन्नर अखाड़ा, जो 2015 में स्थापित हुआ, LGBTQ+ समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है। यह अखाड़ा उन लोगों के लिए एक सुरक्षित स्थान है, जिन्हें समाज में अस्वीकृति और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। किन्नर अखाड़ा की परंपराएं शास्त्रीय वैदिक रीति-रिवाजों पर आधारित हैं। वे शिव और शक्ति के प्रतीकात्मक स्वरूप ‘अर्धनारीश्वर’ की पूजा करते हैं।

 

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अग्नि अखाड़ा

अग्नि अखाड़ा, अग्नि देवता के उपासक संतों का एक समूह है। यह अखाड़ा वैदिक अग्निहोत्र और यज्ञ परंपरा को बढ़ावा देता है। यह अखाड़ा आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण पर भी जोर देता है। अग्नि अखाड़ा भारतीय परंपराओं में अग्नि की पवित्रता और शक्ति का प्रतीक है। यह यज्ञ और पर्यावरण को जोड़ने का काम करता है।

परमहंस अखाड़ा

परमहंस अखाड़ा के संत अधिकतर ध्यान, साधना और आत्मज्ञान के मार्ग पर चलते हैं। यह अखाड़ा आत्मा के परम तत्व से जुड़ने और मोक्ष प्राप्ति का प्रचार करता है। यह अखाड़ा ध्यान और तपस्या की प्राचीन भारतीय विधियों को संरक्षित और प्रसारित करने का कार्य करता है।

दिगंबर अखाड़ा

दिगंबर अखाड़ा नग्न संतों का समूह है, जो सांसारिक वस्त्रों को त्यागकर पूर्ण वैराग्य का पालन करते हैं। वे शिव और सनातन धर्म के अनुयायी हैं। दिगंबर अखाड़ा समाज को त्याग और वैराग्य की शिक्षा देता है और सांसारिक मोह-माया से दूर रहने का संदेश फैलाता है।

अवधूत अखाड़ा

अवधूत अखाड़ा का मुख्य उद्देश्य संन्यास और योग साधना के माध्यम से जीवन के परम सत्य की खोज करना है। यहां के साधु सांसारिक चीजों से पूरी तरह विमुक्त होते हैं। अवधूत अखाड़ा ध्यान और योग के माध्यम से आत्म-ज्ञान और आंतरिक शांति की परंपरा को बढ़ावा देता है।

अघोरी अखाड़ा

अघोरी अखाड़ा उन संतों का समूह है, जो शिव के सबसे रहस्यमय और अघोर स्वरूप की पूजा करते हैं। वे साधारण रूप से श्मशान और घाटों में रहते हैं, साथ ही दुनिया के हर चीज को पवित्र मानते हैं।

निर्मला अखाड़ा

निर्मला अखाड़ा सिख परंपरा का प्रतिनिधित्व करता है। यह अखाड़ा सिख गुरुओं की शिक्षाओं और वैदिक परंपराओं का मिश्रण है। निर्मला अखाड़ा हिंदू और सिख धर्म के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक पुल का कार्य करता है।

उदासीन अखाड़ा

दासीन अखाड़ा साधु-संतों का ऐसा समूह है, जो भक्ति और ज्ञान के माध्यम से आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का प्रयास करता है। यह अखाड़ा धार्मिक सहिष्णुता और अध्यात्म की शिक्षा देता है।

 

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वैरागी अखाड़ा

वैरागी अखाड़ा के संत सांसारिक मोह-माया से दूर रहते हैं और वेदांत और भक्ति परंपरा का पालन करते हैं। यह अखाड़ा त्याग और भक्ति के माध्यम से समाज को प्रेरित करता है।

श्री पंचायती अखाड़ा

श्री पंचायती अखाड़ा के साधु पंचायती शासन प्रणाली का पालन करते हैं और उनका मुख्य उद्देश्य समाज में धार्मिक जागरूकता फैलाना है। यह अखाड़ा समाज में शांति और संतुलन बनाए रखने के लिए कार्य करता है।

कुंभ में अखाड़ों का महत्व

कुंभ मेला साधु-संतों और अखाड़ों के बिना अधूरा है। हर अखाड़ा अपनी अनूठी परंपरा और अध्यात्म के माध्यम से कुंभ मेले में जागरुकता फैलता  है। कुंभ में अमृत स्नान सबसे पहले अखाड़ों के साधु-संत और सन्यासी ही करते हैं। ऐसी मान्यता है कि साधु-संतों के स्नान से स्नान का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।

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