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किसे कहा जाता है देवताओं का स्नान? जिसका कुंभ से है खास संबंध

हिंदू धर्म में ब्रह्म स्नान का विशेष महत्व है। इस स्नान को देवताओं का स्नान भी माना जाता है। आइए जानते हैं, क्या है इस स्नान का महत्व और पूजा मुहूर्त?

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सांकेतिक चित्र।(Photo Credit: PTI)

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हिंदू धर्म में ब्रह्म स्नान को एक बहुत ही पवित्र माना जाता है और अध्यात्म में इसका विशेष स्थान है। यह स्नान साधु-संत व कुछ भक्त हर दिन ब्रह्म स्नान करते हैं। वहीं कई लोग कुछ विशेष अवसर पर ये स्नान करते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य आत्मा की शुद्धि, पापों का प्रायश्चित और मोक्ष की प्राप्ति माना जाता है।

 

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में भी कई श्रद्धालु ब्रह्म स्नान करते हैं। साधु-संत और अखाड़े अमृत स्नान के दिन यह स्नान करते हैं। यह स्नान सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि इस से कई लोगों का विश्वास भी जुड़ा होता है। इस स्नान को देवताओं का स्नान भी माना जाता है।

ब्रह्म स्नान का कुंभ मेले से संबंध

कुंभ मेला हर 12 वर्षों में चार प्रमुख स्थान- प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है। इस मेले का मुख्य आकर्षण संगम स्नान होता है। संगम वह स्थान है जहां, गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है। ब्रह्म स्नान कुंभ मेले के दौरान विशेष तिथियों पर किया जाता है, जिन्हें अमृत स्नान की तिथियां भी कहा जाता है। ये तिथि ज्योतिष गणना और ग्रहों की स्थिति के आधार पर तय की जाती हैं।

 

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ब्रह्म स्नान का धार्मिक महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब देवता और असुर अमृत कलश के लिए संघर्ष कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर अमृत कलश को सुरक्षित किया। इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी के चार स्थानों पर गिरीं, जहां कुंभ मेले का आयोजन होता है और इन स्थानों पर ब्रह्म स्नान का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्म स्नान करने से व्यक्ति को अपने पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।

ब्रह्म स्नान की प्रक्रिया

ब्रह्म स्नान की प्रक्रिया केवल जल में डुबकी लगाने तक सीमित नहीं है। यह एक विशेष विधि और श्रद्धा के साथ किया जाने वाला अनुष्ठान है:

 

इसमें ब्रह्म स्नान से पहले व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से शुद्ध होना आवश्यक है। व्रत और संयम का पालन करना जरूरी माना जाता है। इसके साथ स्नान के दौरान गंगा स्तोत्र, गायत्री मंत्र और अन्य पवित्र मंत्रों का उच्चारण किया जाता है ताकि जल के साथ आत्मा की शुद्धि हो सके। 

 

बता दें कि ब्रह्म स्नान में कम से कम तीन बार डुबकी लगाई जाती है। हर डुबकी के साथ व्यक्ति अपने पापों के नष्ट होने और आत्मा के शुद्ध होने की प्रार्थना करता है। इस स्नान के बाद दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। अन्न, वस्त्र और धन का दान करना धार्मिक रूप से शुभ माना जाता है।

 

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ब्रह्म स्नान के लाभ

आध्यात्मिक शुद्धि: मान्यता है कि यह स्नान व्यक्ति के मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है व उसे एक नई ऊर्जा और सकारात्मकता से भर देता है।

 

पापों का प्रायश्चित: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्म स्नान से व्यक्ति के पिछले जन्म के भी पाप धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 

स्वास्थ्य लाभ: गंगा जल में प्राकृतिक औषधीय गुण होते हैं, जो शरीर को शारीरिक रूप से भी लाभ पहुंचाते हैं।

 

सांस्कृतिक एकता: कुंभ मेले के दौरान ब्रह्म स्नान में भाग लेने से व्यक्ति को विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के लोगों से मिलने का अवसर मिलता है, जिससे सामाजिक एकता मजबूत होती है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।


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