इस अखाड़े में 70 फीसदी हैं पढ़े-लिखे साधु, जानिए निरंजनी अखाड़े का इतिहास
सनातन परंपरा में 13 प्रमुख अखाड़ों में निरंजनी अखाड़ा विशेष महत्व रखता है। आइए जानते हैं, इस अखाड़े से जुड़ा इतिहास और खास बातें।

कुंभ मेले निरंजनी अखाड़े का स्नान।(Photo Credit: PTI)
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 में कई अखाड़ों के साधु-संत लाखों की संख्या में संगम के तट पर पवित्र राजसी स्नान के लिए आते हैं। इन्हीं में से एक है निरंजनी अखाड़ा। निरंजनी अखाड़ा हिंदू धर्म के प्रमुख 13 अखाड़ों में से एक है, जिसे जूना अखाड़ा के बाद सबसे बड़े अखाड़े में गिना जाता है। आइए जानते हैं क्या है निरंजनी अखाड़े का इतिहास और कुंभ में इस अखाड़े का महत्व।
कब हुई थी निरंजनी अखाड़े की स्थापना?
निरंजनी अखाड़े का स्थापना काल 1674 ईस्वी माना जाता है और इसे भारतीय संत परंपरा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण भाग माना जाता है। यह अखाड़ा शैव संप्रदाय से संबंधित है और भगवान शिव की भक्ति के लिए प्रसिद्ध है। बता दें कि निरंजनी अखाड़े के इष्ट देवता भगवान शिव के पुत्र, भगवान कार्तिकेय हैं। साथ ही इस अखाड़े का उद्देश्य हिंदू धर्म की रक्षा और धर्म प्रचार करना है। इसका मुख्यालय हरिद्वार में स्थित है, और इसकी शाखाएं अन्य प्रमुख तीर्थ स्थल, जैसे प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में भी हैं।
बता दें कि ‘निरंजनी’ शब्द का अर्थ है ‘निर्दोष’ या ‘पवित्र’ होता है और इसी भाव से यह अखाड़ा साधना, तपस्या और सेवा का प्रतीक माना जाता है। ऐतिहासिक रूप से, इस अखाड़े का संबंध साधुओं और संतों की उस परंपरा से है, जो जरूरत पड़ने पर धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र भी उठाते है।
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निरंजनी अखाड़ा में साधुओं का वर्गीकरण
निरंजनी अखाड़ा में साधुओं को अलग-अलग वर्गों में बांटा गया है, जिनमें प्रमुख रूप से दो प्रकार के साधु शामिल हैं, एक महंत और महामंडलेश्वर, जो अखाड़े के सर्वोच्च पदाधिकारी होते हैं और धार्मिक आयोजनों और फैसलों में मुख्य भूमिका निभाते हैं। वहीं दूसरे हैं नागा साधु, जो कठिन तपस्या और त्याग के प्रतीक होते हैं। बता दें कि नागा साधु आमतौर पर निर्वस्त्र रहते हैं और कठोर जीवनशैली का पालन करते हैं।
वर्तमान समय में निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी हैं। साथ ही यह अखाड़ा साधुओं को शास्त्र और शस्त्र दोनों की शिक्षा देता है। परंपरागत रूप से, साधु पहले धर्मशास्त्र का अध्ययन करते हैं और फिर कठिन तपस्या और योग की प्रक्रिया से गुजरते हैं।
निरंजनी अखाड़ा में सबसे पढ़े-लिखे साधु
निरंजनी अखाड़ा में कई साधु अपनी उच्च शिक्षा और विद्वता के लिए प्रसिद्ध हैं। इन अखाड़े के लिए कहा जाता है कि इसमें 70 प्रतिशत साधुओं ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है, जिनमें डॉक्टर, इंजीनियर और प्रोफेसर भी शामिल हैं। इस अखाड़े में कुछ ऐसे में साधु हैं, जिनकी पढ़ाई भारत के सबसे बड़े इंजीनियरिंग संस्थान IIT से की है। इसके साथ निरंजनी अखाड़ा को भारत के सबसे अमीर अखाड़ों में भी गिना जाता है। इसका बड़ा आर्थिक आधार इस अखाड़े के आश्रम, मंदिर और अन्य संपत्तियों से आता है।
हरिद्वार, प्रयागराज और उज्जैन जैसे स्थानों पर इसके बड़े-बड़े आश्रम और भूमि हैं। अखाड़ा दानदाताओं और भक्तों द्वारा दान भी मिलता है। इस संपत्ति का उपयोग धर्मशालाओं के संचालन, गरीबों की सहायता और धार्मिक गतिविधियों के आयोजन के लिए किया जाता है। निरंजनी अखाड़ा में साधुओं के लिए शिक्षण और आश्रम व्यवस्था भी उत्कृष्ट है।
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प्रयागराज महाकुंभ में निरंजनी अखाड़ा का महत्व
महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, और इसमें निरंजनी अखाड़ा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। कुंभ मेले में साधुओं का पहला 'शाही स्नान' होता है, जिसमें निरंजनी अखाड़ा प्रमुख रूप से भाग लेता है। शाही स्नान अखाड़े के साधुओं और नागा संन्यासियों की भव्य शोभायात्रा के साथ शुरू होता है। इस शोभायात्रा में हाथी, घोड़े, रथ और ढोल-नगाड़ों का भव्य प्रदर्शन होता है। साधु गंगा में डुबकी लगाकर पवित्र स्नान करते हैं, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
महाकुंभ में निरंजनी अखाड़ा की भूमिका केवल शाही स्नान तक ही सीमित नहीं है। यह अखाड़ा धर्मसभा, प्रवचन और भजन-कीर्तन जैसे आयोजनों में भी हिस्सा लेता है। अखाड़े के महामंडलेश्वर और महंत धार्मिक प्रवचन देते हैं, जिनमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
महाकुंभ 2025 में निरंजनी अखाड़ा क्यों चर्चा में
महाकुंभ 2025 निरंजनी अखाड़ा न सिर्फ शाही स्नान और नागा साधुओं के लिए चर्चा में बना है, बल्कि कुंभ के शुरुआत में एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पावेल ने निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी से दीक्षा प्राप्त की। साथ ही स्वामी कैलाशानंद गिरी ने पावेल को ‘कमला’ नाम और अपना गोत्र दिया। इसके साथ इस कुंभ में कुंभ में 4500 से ज्यादा संतों को नागा साधु की दीक्षा दी जाएगी।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।
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