logo

ट्रेंडिंग:

महाकुंभ: बौद्ध भिक्षुओं ने क्या लिए संकल्प, धर्मसंसद में क्या किया?

महाकुंभ नगर में दुनियाभर के बौद्ध श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने पहुंचे। वहां उन्होंने धर्म संसद में भी हिस्सा लिया। बौद्ध भिक्षुओं ने प्रयागराज में क्या-क्या किया, आइए समझते हैं।

Mahakumbh 2025

जूना अखाड़े के स्वामी अवधेशानंद गिरि के प्रेम मंदिर शिविर में जुट बुद्ध धर्म अनुयाई

विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम, महाकुंभ में पहली बार बौद्ध श्रद्धालु आए हैं। भंते, लामा और बौद्ध भिक्षुओं के समूह ने न केवल संगम में स्नान किया, बल्कि धर्मसभा में भी सम्मिलित हुए। बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, संघ शरणं गच्छामि के का जयघोष महाकुंभ क्षेत्र में गूंजा। सेक्टर 18 के अखिल भारतीय संत समागम शिविर में इन्हें बड़ी संख्या में देखा जा सकता है।

महाकुंभ नगर में बौद्ध भिक्षुओं ने एक बड़ी शोभायात्रा निकालकर दुनिया को सनातन और बौद्ध धर्म की एकता का संदेश दिया। ऐतिहासिक शोभायात्रा में दुनिया भर के भंते, लामा, बौद्ध भिक्षु और सनातन धर्माचार्य शामिल थे। जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि ने शोभायात्रा का स्वागत किया। स्वामी अवधेशानंद गिरि महराज के प्रभु प्रेमी शिविर में पहुंचकर शोभायात्रा का समापन हुआ।

दुनियाभर के बौद्ध श्रद्धालुओं ने लिया हिस्सा

महाकुंभ नगर क्षेत्र में शोभायात्रा के अगले दिन विश्वभर से आए भंते, लामा और बौद्ध भिक्षुओं ने गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई। साथ ही पूरी दुनिया को सनातन और बौद्ध धर्म की एकता का संदेश दिया। संगम नोज पर पहुंचे लाखों श्रद्धालुओं जहां गंगा मईया की जय,हर हर महादेव का जयकारा लगा रहे थे, वहीं बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, संघ शरणं गच्छामि के जयघोष के साथ संगम में 500 से अधिक बौद्ध धर्मावलंबियों ने आस्था की डुबकी लगाई। भगवान बुद्ध की करुणा हो, सम्राट अशोक अमर रहें के नारे भी लगाए। इस जयघोष में हिंदू श्रद्धालुओं ने भी चढ़कर हिस्सा लिया।

यह भी पढ़ें: हरियाणा की 'मंत्री' रहीं सुषमा दिल्ली की CM कैसे बनी थीं? पढ़ें किस्सा

भंते, लामा और बौद्ध भिक्षुओं के साथ सनातन का संगम

संगम तट पर ही बौद्ध भिक्षुओं ने आरएसएस के अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार की उपस्थिति में सनातन और बौद्ध एकता का संकल्प लिया। भंते ,लामा,और बौद्ध भिक्षुओं का संगम स्नान, सनातन और बौद्ध धर्म के बीच सामंजस का यह अनुपम पल था। सेक्टर 18 में स्वामी अवधेशा नंद गिरी महाराज जी के शिविर में विश्व भर के आए भंता, लाम्बा के साथ बौद्ध धर्माचार्यों और आरएसएस के साथ एक धर्म सभा भी आयोजित हुई जिसमें तीन प्रमुख प्रस्तावों को पारित किया गया।

महाकुंभ की 'धर्म संसद' में क्या फैसला हुआ?
पहले प्रस्ताव में बांग्लादेश और पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को बंद करने की मांग की गई । दूसरे प्रस्ताव में तिब्बत को स्वायत्तता देने की बात रखी गई। और तीसरे प्रस्ताव में सनातन और बौद्ध धर्म के बीच की एकता को बढ़ावा देने की बात की हुई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा कि कुंभ का संदेश संगम समागम और समन्वय का है। यहां गंगा, जमुना और सरस्वती मिलती हैं, जिससे कोई भेदभाव नहीं दिखाई देता।

संगम का संदेश यह है कि यहां से एक नई धारा शुरू होगी। कुंभ में विभिन्न मतों और धर्मों के संत मिलकर संवाद और चर्चा करते हैं, जो समाज को एकजुट करने में मदद करता है। उनका मानना था कि संतों का एकजुट होना सामान्य लोगों को भी एकजुट करता है।वहीं निर्वासित तिब्बत की रक्षा मंत्री गैरी डोलमाहम ने कहा कि महाकुंभ का आयोजन ऐतिहासिक है।

 

यह भी पढ़ें: मदन लाल खुराना को क्यों छोड़नी पड़ी थी दिल्ली के CM की कुर्सी? 

सनातन और बौद्ध धर्म के बीच प्रेम और नजदीकी बढ़ाने के लिए यह पावन धरती एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। यहां पर बौद्ध और सनातन धर्म के बीच की एकता और शांति के प्रति जो कदम उठाए जा रहे हैं, वो ऐतिहासिक है। प्रयागराज की पावन धरती पर संघ के मार्गदर्शन में बौद्ध व सनातनी एक साथ आए हैं और कदम मिलाकर चल रहे हैं। 

म्यांमार से आए संतों ने क्या कहा?
म्यांमार के भदंत नाग वंशा ने कहा, 'पहली बार महाकुंभ में आया हूं। हम लोग विश्व शांति के लिए काम करते हैं। अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के भदंत शील रतन ने कहा कि हम सब एक थे, एक हैं और एक रहेंगे। आरएसएस के इंद्रेश कुमार ने कहा कि कुंभ से सनातन व बौद्ध मत के समन्वय की धारा को हम आगे लेकर जाएंगे। सनातन ही बुद्ध है। बुद्ध शाश्वत व सत्य है।' महाकुंभ नगर 2025 में ही नहीं इससे सैकड़ो साल पहले प्रयागराज में लगने वाले कुंभ में बहुत विषयों का आना-जाना था।

कब-कब बौद्ध संन्यासियों ने लिया है महाकुंभ में हिस्सा?
7वीं शताब्दी में प्रसिद्ध चीनी बौद्ध भिक्षु और यात्री ह्वेनसांग - जुआनज़ंग आए थे। अपनी भारत यात्रा के दौरान यहां रहकर बौद्ध धर्म का अध्ययन किया और विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण किया था। ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, ह्वेनसांग ने प्रयागराज में आयोजित होने वाले कुंभ मेले का भी दौरा किया था। उनके यात्रा वृत्तांतों में इस विशाल मेले का विस्तृत वर्णन मिलता है, जिसमें लाखों लोगों की भागीदारी, धार्मिक अनुष्ठान और सामाजिक गतिविधियों का जिक्र है। वृत्तांत में कुंभ मेले के भव्य दृश्यों का वर्णन मिलता है। गंगा नदी में स्नान करने के लिए आते हैं हजारों लोगों और उनके धार्मिक अनुष्ठान, मेले में लगने वाले बाजारों, साधु-संतों और विभिन्न धार्मिक समूहों के बारे में भी विस्तार से लिखा है।

Related Topic:

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap