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कौन हैं देवी कालरात्रि, अवतार की कथा क्या, सौम्य देवी, विकराल क्यों?

देवी कालरात्रि की पूजा देवी दुर्गा के सातवें अवतार के रूप में की जाती है। देवी का यह स्वरूप बहुत विकराल माना जाता है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर: Photo Credit: AI

नवरात्रि का सातवां दिन देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि को समर्पित होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी ने यह भयानक रूप दानवों और असुरों का विनाश करने के लिए धारण किया था। उनका स्वरूप देखने में विकराल है लेकिन वह अपने भक्तों को निर्भयता, शक्ति और कल्याण का वरदान देती हैं। माना जाता है कि मां कालरात्रि ने असुर का संहार कर धरती को भय और आतंक से मुक्त किया था। इसलिए उनकी पूजा न सिर्फ साहस और निडरता प्रदान करती है, बल्कि हर प्रकार के संकट, काला जादू और नकारात्मक शक्तियों से भी रक्षा करती है।

 

मान्यता है कि देवी कालरात्रि की पूजा से व्यक्ति के जीवन से सभी भय, बाधाएं और नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं। देवी की पूजा करने से भक्तों को साहस, आत्मविश्वास और निर्भयता का आशीर्वाद मिलता है। इसीलिए मां कालरात्रि को 'शुभंकरी' भी कहा जाता है क्योंकि उनका रौद्र रूप होने के बावजूद वह सदैव अपने भक्तों का कल्याण करती हैं। नवरात्रि के इस दिन देशभर के मंदिरों में देवी की विशेष पूजन-अर्चन होती है और भक्त जागरण कर मां की आराधना करते हैं।

 

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देवी कालरात्रि ने अवतार क्यों लिया था?

पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब दानवों और असुरों का अत्याचार ज्यादा बढ़ गया और वे देवताओं और साधुओं को परेशान करने लगे, तब देवी दुर्गा ने सातवें स्वरूप कालरात्रि का अवतार लिया। देवी ने कालरात्रि का अवतार विशेष रूप से उन असुरों के विनाश के लिए हुआ था जो अंधकार और भय का प्रतीक माने जाते थे। माना जाता है कि उन्होंने रक्तबीज नामक असुर का भी वध किया था, जिसकी हर एक खून की बूंद धरती पर गिरते ही नया असुर बना देती थी। देवी कालरात्रि ने इस संकट का अंत कर धर्म और सत्य की रक्षा की थी। उनका रूप भयावह है लेकिन वे अपने भक्तों को निडरता और शक्ति प्रदान करती हैं।

देवी कालरात्रि का स्वरूप

शरीर: धार्मिक ग्रंथों में देवी के स्वरूप का वर्णन किया गया है, जिसके अनुसार, देवी का शरीर काला और चमकता हुआ आकाश जितने गहरे रंग का है।

वाहन: गधा।

अस्त्र: एक हाथ में कटारी (खड्ग) और दूसरे में लोहे का कांटा।

मुद्रा: दो हाथ अभय और वरद मुद्रा में (भय दूर करने और वरदान देने के लिए)।

आंखें: अग्नि की तरह लाल और बाल बिखरे हुए।

 

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देवी कालरात्रि की पूजा का महत्व

  • देवी कालरात्रि की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है।
  • वह अपने भक्तों को निडरता, शक्ति और साहस देती हैं।
  • ऐसा माना जाता है कि उनकी पूजा से काला जादू, बुरी शक्तियां, भूत-प्रेत और अचानक आने वाली विपत्तियां दूर हो जाती हैं।
  • कालरात्रि की आराधना से व्यक्ति को आध्यात्मिक शक्ति और मोक्ष मार्ग की प्राप्ति होती है।
  • वह 'शुभं करोति कालरात्रि' कहलाती हैं, यानी उनके भयावह रूप के बावजूद वे अपने भक्तों के लिए मंगलकारी हैं।

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