नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा विशेष महत्व रखती है। शैलपुत्री, देवी दुर्गा का प्रथम स्वरूप, हिमालय के पुत्री रूप में प्रतिष्ठित हैं और इन्हें शक्ति, स्थिरता और साहस की देवी माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु घरों और मंदिरों में उनके कलश की स्थापना कर, दीपक, धूप और पुष्प अर्पित करके आराधना करते हैं। उत्तराखंड के त्रिपुरेश्वर महादेव, हिमाचल प्रदेश के चंबा स्थित शैलपुत्री मंदिर, राजस्थान के कालिका माता मंदिर और मध्यप्रदेश के मांडलिक माता मंदिर उनके प्रमुख तीर्थस्थल हैं, जहां नवरात्रि के पहले दिन भक्त भारी संख्या में पहुंचते हैं।
देवी शैलपुत्री की पूजा में विशेष रूप से लाल वस्त्र, फल, दुर्गा सप्तशती पाठ और'ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः' मंत्र का जाप करते है। कहा जाता है कि इस दिन की पूजा से जीवन में मानसिक स्थिरता, साहस और मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। भक्त शैलपुत्री की आराधना से अपने कर्तव्यों में सफलता और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करते हैं। नवरात्रि के आरंभ में शैलपुत्री के पूजन से पूरे नौ दिनों की विधिपूर्वक देवी पूजा की परंपरा की नींव रखी जाती है।
यह भी पढ़ें: नवरात्रि: 9 दिन, 9 देवियों की आराधना कैसे करें?
देवी शैलपुत्री का मंदिर
- मान्यता के अनुसार, बारामूला, जम्मू और कश्मीर में स्थित यह मंदिर शैलपुत्री तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है।
- यह वितस्ता (झेलम) नदी के तट पर स्थित है।
- इस मंदिर को शैलपुत्री का मूल स्थान और सिद्ध पीठ माना जाता है।
वाराणसी
- वाराणसी में स्थित इस मंदिर को भी देवी दुर्गा के शैलपुत्री रूप का पहला मंदिर कहा जाता है।
- यह मंदिर वाराणसी सिटी रेलवे स्टेशन से थोड़ी दूरी पर अलीईपुर में वरुणा नदी के नजदीक स्थित है।
- मान्यता है कि जब मां देवी शिव से नाराज होकर काशी आईं थीं, तब से वह यहीं विराजमान हैं।
यह भी पढ़ें: चिंतापूर्णी मंदिर: जहां गिरा था देवी सती का पांव, अनूठी है मान्यता
प्रमुख तीर्थस्थान
- त्रिपुरेश्वर महादेव, उत्तराखंड – यहां देवी शैलपुत्री की विशेष आराधना की जाती है।
- कालिका माता मंदिर, अजमेर, राजस्थान – नवरात्रि में यहां श्रद्धालु शैलपुत्री की पूजा करते हैं।
- शैलपुत्री मंदिर, चंबा, हिमाचल प्रदेश – यह हिमाचल का प्रमुख तीर्थ है, जहां नवरात्रि के पहले दिन भारी भक्तिभाव के साथ पूजा होती है।
- मांडलिक माता मंदिर, मध्यप्रदेश – यहां भी नवरात्रि के पहले दिन विशेष पूजन आयोजित होता है।
पूजा पद्धति
- घर में या मंदिर में कलश स्थापना के साथ गंगाजल, लाल वस्त्र, फल और दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है।
- उनके बीज मंत्र 'ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः' का जप नवरात्रि के पहले दिन किया जाता है।
- भक्त उन्हें कमल या लोबान की सुगंध और लाल फूल अर्पित करते हैं।