नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की आराधना की जाती है। मान्यता है कि मां ने यह अवतार अपने पुत्र कार्तिकेय (स्कंद) को जन्म देने और राक्षस तारकासुर का अंत कराने के लिए लिया था। कमल पर विराजमान और गोद में बाल स्कंद को धारण किए मां का यह स्वरूप करुणा, मातृत्व और वीरता का अद्भुत संगम है। कहा जाता है कि मां स्कंदमाता की पूजा से भक्त को बुद्धि, भक्ति और वैभव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
भारत में देवी स्कंदमाता की पूजा विशेष रूप से स्कंदमाता दुर्गा देवी मंदिर, वाराणसी (जैतपुरा, नगरी), बीजन माता मंदिर इंदौर और स्कंदमाता मंदिर, तेलंगाना सहित कई प्रमुख मंदिरों में नवरात्रि पर देवी की पूजा-अर्चना होती है। मां स्कंदमाता की पूजा से भक्त को मातृत्व का स्नेह, साहस, बुद्धि, भक्ति और समृद्धि प्राप्त होती है। साथ ही भगवान कार्तिकेय (स्कंद) का आशीर्वाद भी मिलता है।
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प्रमुख तीर्थ स्थल
स्कंदमाता दुर्गा देवी मंदिर, वाराणसी (जैतपुरा, नगरी)
वाराणसी में जैतपुरा इलाके में स्थित यह मंदिर स्कंदमाता के रूप में प्रसिद्ध है, जहां नवरात्रि के पांचवें दिन विशेष पूजा होती है।
बीजन माता मंदिर, इंदौर
यह मंदिर एक अनूठा स्थान है जहां नवरात्रि के दौरान नौ दुर्गा स्वरूपों की पूजा होती है, इनमें स्कंदमाता भी शामिल हैं।
स्कंदमाता मंदिर, तेलंगाना (निजामाबाद जिले)
इस क्षेत्र में RSS की पहल से कुछ वर्षों पहले स्कंदमाता मंदिर स्थापित किया गया है।
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देवी स्कंदमाता के मंत्र
बीज मंत्र
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः।
ध्यान मंत्र
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
मां स्कंदमाता की आरती
जय स्कंदमाता जगत की माता।
सकल सुख प्रदायिनी सुहासिनी भ्राता।।
सिंह पर आरूढ़ कमल आसनी।
दिव्य मुकुट मणि हार विभूषनी।।
चार भुजाओं में कमल विराजे।
वरमुद्रा से भक्त समाजे।।
गोद में बाल स्कंद समाए।
जग जननी करुणा बरसाए।।
पांचवें दिन तेरा गुण गाया।
भक्तों ने तुझको शीश झुकाया।।
कष्टों को हरने वाली माता।
सुख-समृद्धि देने वाली माता।।
जय स्कंदमाता जगत की माता।
सकल सुख प्रदायिनी सुहासिनी भ्राता।।