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लक्ष्मण दास कैसे बने नीम करोली बाबा, कैंचीधाम के तीर्थ बनने की कहानी

नैनीताल में स्थित कैंची धाम मंदिर एक खास आध्यात्मिक स्थल, जहां साल भर भक्तों की भीड़ उमड़ती है। आइए जानते हैं, इस स्थान से जुड़ी खास मान्यताएं।

Image of Kainchi Dham and Neem Karoli baba

हिन्दू आस्था का केंद्र है नीम करोली बाबा का कैंची धाम।(Photo Credit: Wikimedia Commons)

उत्तराखंड की सुंदर पहाड़ियों में बसा नैनीताल सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि एक बड़ा आध्यात्मिक केंद्र भी है। यहीं पर बसे हैं नीम करोली बाबा के दिव्य संस्मरण और उनका प्रसिद्ध मंदिर- कैंची धाम। नीम करोली बाबा का जीवन सरलता, चमत्कारों और भक्ति का अद्भुत संगम रहा है। इस लेख में हम जानेंगे बाबा के जीवन की कुछ महत्वपूर्ण कहानियां और कैंची धाम की स्थापना की पूरी कथा।

नीम करोली बाबा कौन थे?

नीम करोली बाबा का असली नाम लक्ष्मण दास शर्मा था। वे उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में जन्मे थे। बचपन से ही उनमें विरक्ति और आध्यात्मिक झुकाव दिखने लगा था। बहुत कम उम्र में ही उन्होंने घर-बार छोड़कर साधु जीवन अपना लिया।

 

उनका अधिकतर समय उत्तर भारत की यात्रा, भिक्षा, ध्यान और साधना में बीता। वे बेहद शांत, सरल, सादगीपूर्ण लेकिन प्रभावशाली व्यक्तित्व के स्वामी थे। वे अक्सर लोगों को ईश्वर के प्रति श्रद्धा रखने, सेवा करने और प्रेम से रहने का संदेश देते थे।

 

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'नीम करोली' नाम कैसे पड़ा?

एक बार वे उत्तर प्रदेश के एक गांव के पास ट्रेन में बिना टिकट यात्रा कर रहे थे। टीटीई ने उन्हें जबरदस्ती उतार दिया। पर जैसे ही बाबा नीचे उतरे, ट्रेन आगे नहीं बढ़ सकी। जब काफी प्रयासों के बाद भी ट्रेन नहीं चली, तो लोगों ने बाबा को वापस बुलाया। जैसे ही वे ट्रेन में चढ़े, ट्रेन चलने लगी। यह चमत्कार देख गांव वालों ने उन्हें बहुत सम्मान दिया। यह गांव था नीम करोली, और तभी से लोग उन्हें 'नीम करोली बाबा' कहने लगे।

कैंची धाम की स्थापना की कथा

कैंची धाम नैनीताल जिले में स्थित है, और यह बाबा का सबसे प्रमुख आश्रम है। यह मंदिर दो नदियों के संगम के पास एक पहाड़ी मोड़ (जिसे लोकभाषा में ‘कैंची’ कहा जाता है) पर स्थित है। यहां बाबा को हनुमान जी का साक्षात भक्त माना जाता है।

 

बाबा नीम करोली पहले पहाड़ों में साधना करते थे। एक दिन उन्होंने देखा कि दो धाराएं कैंची जैसे मोड़ पर मिल रही हैं। उन्होंने इस स्थान को आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत शक्तिशाली माना और तय किया कि यहीं एक आश्रम और हनुमान मंदिर बनवाया जाए।

 

मंदिर निर्माण:

 

1964 में बाबा और उनके भक्तों ने मिलकर आश्रम की नींव रखी। बाबा ने खुद इसकी निगरानी की और साधकों के लिए ठहरने, ध्यान और सेवा की व्यवस्था की। उन्होंने यह स्थान आध्यात्मिक साधना, सेवा और भंडारे के लिए समर्पित किया।

 

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नीम करोली बाबा से जुड़ी कुछ चमत्कारी घटनाएं

भक्त की रेल दुर्घटना से रक्षा

एक बार बाबा के एक भक्त को रेल यात्रा करनी थी। बाबा ने कहा, “डर मत, कुछ नहीं होगा।” वही ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई, लेकिन जिस डिब्बे में भक्त था वह पूरी तरह सुरक्षित रहा। लोगों ने इसे बाबा की कृपा माना।

अमेरिकी भक्तों का आकर्षण

अमेरिका के कई प्रसिद्ध व्यक्ति जैसे रामदास (Richard Alpert) और स्टीव जॉब्स बाबा के भक्त रहे। बाबा का प्रेम, सरलता और अंतर्ज्ञान ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया। रामदास ने बाबा पर कई किताबें भी लिखीं।

कैंची धाम का वर्तमान महत्व

आज कैंची धाम न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह हजारों श्रद्धालुओं के लिए आस्था, ऊर्जा और शांति का केंद्र बन चुका है। हर साल 15 जून को यहां विशाल प्रसाद भंडारा और मेले का आयोजन होता है, जिसमें हजारों लोग भाग लेते हैं। यहां हनुमान जी का मुख्य मंदिर है, साथ ही बाबा का समाधि स्थल, ध्यान कक्ष और अन्य मंदिर भी हैं।

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